उत्तर प्रदेश के उन्नाव में, गुरुवार सुबह, बलात्कार के दो आरोपियों सहित पांच लोगों ने मौजूदा समय के सबसे भयानक अपराधों में से एक को अंजाम दिया। इन हैवानों ने तेइस साल की एक लड़की को पहले लाठियों से पीटा, फिर चाकुओं से गोदा, उसके बाद उस पर पेट्रोल छिड़का और फिर आग लगा दी। ये जुर्म सारी इंसानियत को शर्मसार करती है।
इस लड़की के साथ तकरीबन एक साल पहले, 12 दिसंबर 2018 को सामूहिक बलात्कार किया गया था । गुरुवार को वह अपने वकील से मिलने जब रायबरेली जा रही थी, तभी बलात्कारियों ने घात लगा कर उस पर हमला किया। हमला करने वालों में से एक, मुख्य आरोपी शिवम त्रिवेदी को कुछ दिन पहले ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत पर रिहा किया था।
इस त्रासदी को लेकर देश भर में गुरुवार को आक्रोश बढ़ा, लड़की को पहले लखनऊ और उसके बाद एयर एंबुलेंस में दिल्ली लाया गया। लड़की 90 प्रतिशत तक जल चुकी है। घटना के फौरन बाद वह अपने शरीर पर फैली आग की लपटों के साथ भागने लगी, मदद के लिए गुहार लगाई और तब जाकर एक प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को फोन किया।
उन्नाव की यह घटना ऐसे समय घटी जब हैदराबाद का कुख्यात मामला अभी सुर्खियों में है । हैदराबाद में एक महिला पशु चिकित्सक के साथ चार व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे जलाकर मार डाला था। हैदराबाद की इस घटना को लेकर भी देश भर में आक्रोश है। सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार सुबह चारों आरोपी हैदराबाद पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में मारे गए हैं।
उन्नाव की लड़की अब दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अपनी जिंदगी के लिए जूझ रही है। उसने मुख्य आरोपी शिवम त्रिवेदी के खिलाफ पिछले साल 12 दिसम्बर को बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी। स्थानीय पुलिस ने उसकी शिकायत तो लिखी लेकिन एफआईआर दर्जकरने में तीन महीने लगा दिए. चार मार्च को जब रायबरेली की एक अदालत ने आदेश दिया, चब जाकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज़ की। मुख्य आरोपी शिवम ने 19 सितंबर को अदालत में आत्मसमर्पण किया और 25 नवंबर को उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई। 10 दिन बाद 5 दिसंबर को यह भीषण कृत्य हुआ।
मैं यह सारी जानकारी इसलिए दे रहा हूं ताकि आपको पता चल सके कि हमारी न्यायिक प्रक्रिया में क्या अफसोसनाक खामियां है। इस भयावह कृत्य को आसानी से टाला जा सकता था। बलात्कार की शिकार लड़की को पुलिस सुरक्षा दी जानी चाहिए थी क्योंकि बलात्कारी जमानत पर बाहर थे। स्पष्ट तौर पर वे लड़की से बदला लेने के लिए ही क़ैद से बाहर आए थे। लेकिन सिस्टम ने अपनी आंखें बंद रखी।
अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस घटना की निंदा तो की, लेकिन साथ ही साथ अपने राजनीतिक विरोधियों पर भी दोष मढ़ दिया। कुछ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दोष मढ़ा, कुछ अन्य ने मौका देखते हुए हमारे प्रधानमंत्री पर दोष डाला और उत्तर प्रदेश में एक भाजपा के मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि 'राम राज्य' भी शत प्रतिशत अपराध मुक्त नहीं था।
इस मुद्दे पर जब तक पूरी राजनीतिक जमात, नौकरशाही, पुलिस और न्यायपालिका समान सोच नहीं रखेंगी, तब तक देश में हमारी बेटियां असुरक्षित रहेंगी। बलात्कारियों को मौत की सजा देने वाला कानून भले ही बने, फास्ट ट्रैक कोर्ट भले ही स्थापित हों, लेकिन हालात तब तक नहीं बदल सकते जब तक हमारी मानसिकता में बदलाव नही आएगी ।
हमें अपनी न्यायिक प्रणाली को दुरुस्त करना होगा, कानून को लागू करने वाली मशीनरी को सुधारना होगा और, सर्वोपरि, अपने राजनेताओं की मानसिकता को बदलना होगा। केवल इन उपायों से ही हमारी बेटियों को सुरक्षा मिलने का रास्ता खुल सकता है। गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को प्रत्येक पुलिस स्टेशन में "महिला हेल्प डेस्क" खोलने के लिए निर्भया फंड से 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की घोषणा की, ताकि महिलाओं को सुरक्षा मिल सके।