शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘न तो कोई घुसपैठिया भारत की सीमा में मौजूद है, और न ही हमारी कोई चौकी किसी दूसरे के कब्जे में है।’ सोमवार की रात को गलवान घाटी में हुई झड़प पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लद्दाख में हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए, लेकिन वे उन लोगों को सबक सिखाकर गए जिन्होंने हमारी मातृभूमि की तरफ आंख उठाकर देखने की कोशिश की थी। आज हमारे पास वह क्षमता है कि कोई भी हमारी तरफ गलत इरादों के साथ देखने की हिम्मत नहीं कर सकता।’
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को छोड़कर लगभग सभी विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना भरपूर समर्थन देने की बात कही। कांग्रेस अध्यक्ष ने लद्दाख में चीनी घुसपैठ से संबंधित कई सवाल उठाए और प्रधानमंत्री से जवाब मांगा। हालांकि, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख वाईएस जगनमोहन रेड्डी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि यह इस तरह के मुद्दों को उठाने का वक्त नहीं है और सभी राजनीतिक दलों को चीनी आक्रामकता का जवाब देने के लिए एकजुटता दिखानी चाहिए।
सोनिया गांधी ने ये सवाल उठाए थे: ‘लद्दाख में चीनी सेना ने हमारे इलाके में किस तारीख को घुसपैठ की थी? सरकार को इस बारे में कब जानकारी मिली? क्या यह पांच मई को हुआ था जैसा कि कुछ खबरों में कहा गया है या फिर इससे पहले? क्या सरकार को हमारी सीमाओं की उपग्रह से ली गई तस्वीरें नियमित तौर पर नहीं मिलती है? क्या हमारी बाह्य खुफिया एजेंसियों ने एलएसी पर किसी भी तरह की असामान्य गतिविधि के बारे में नहीं बताया? क्या मिलिटरी इंटेलिजेंस ने सरकार को एलएसी पर घुसपैठ और बड़े पैमाने पर चीनी सैनिकों के जमावड़े की खबर नहीं दी? क्या सरकार के मुताबिक कोई खुफिया नाकामी थी?’
कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा उठाए गए सवालों ने अन्य विपक्षी नेताओं को असहज कर दिया। उनमें से ज्यादातर ने कहा कि यह इस तरह के मुद्दे का राजनीतिकरण करने का वक्त या जगह नहीं है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि यह पूछना उचित नहीं है कि हमारे जवान निहत्थे थे या नहीं। उन्होंने कहा, ‘हमें ऐसे मामलों से बचना चाहिए क्योंकि यह सही समय नहीं है।’ पवार विपक्ष के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री हैं और वह जानते हैं कि वह क्या कह रहे हैं। उनको पता है कि सशस्त्र सेनाएं कैसे काम करती हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारे पास केंद्र में एक मजबूत नेतृत्व है। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी दुश्मन देश हमें आंख दिखाता है तो हमारी सरकार ‘आंखें निकालकर हाथ में देने’ की क्षमता रखती है और चीन को यह बात समझनी चाहिए।
ममता बनर्जी एक धुर मोदी विरोधी के रूप में जानी जाती हैं लेकिन उन्होंने भी कहा कि सभी दलों को अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर रखना चाहिए और चीनी घुसपैठ का मुकाबला करने के लिए जो भी कदम उठाए गए हैं, उन पर केंद्र का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमें अपने इलाके से चीन को भगाना चाहिए और अपनी अर्थव्यवस्था में चीनी वर्चस्व को समाप्त करना चाहिए, चाहे वह रेलवे में हो या एविएशन में या टेलिकॉम में।’ कांग्रेस की सहयोगी पार्टी डीएमके ने भी लद्दाख मुद्दे पर केंद्र का खुलकर समर्थन किया। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने भी चीन की चुनौती का मुकाबला करने के लिए केंद्र द्वारा लिए गए किसी भी फैसले का समर्थन करने की बात कही।
प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी द्वारा उठाए गए हर सवाल का दृढ़ता से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने चीन से साफ कहा है कि हम शांति चाहते हैं, लेकिन चीन को यह भी पता होना चाहिए कि भारत अपने इलाके की रक्षा करना जानता है। मोदी ने कहा कि ऐसे हालात इसलिए पैदा हुए क्योंकि पहले कोई भी एलएसी पर होने वाली चीनी घुसपैठ पर सवाल नहीं उठाता था, लेकिन अब हमने अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है और पट्रोलिंग बढ़ा दी है। इन महत्वपूर्ण कदमों के चलते अब हम चीनी सैनिकों द्वारा किए जा रहे किसी भी तरह के अतिक्रमण का आसानी से पता लगा लेते हैं, और यही वजह है कि चीन परेशान दिख रहा है।
मैं आपको बताता हूं कि मोदी ने यह क्यों कहा कि अतीत में एलएसी पर चीन द्वारा की जाने वाली घुसपैठ पर सवाल नहीं उठाए जाते थे। 2013 में यूपीए शासन के दौरान तत्कालीन रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने कहा था कि यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि हमने आजादी के बाद से सीमा पर बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं किया। उन्होंने कहा था कि उस समय की नीति बॉर्डर को अविकसित छोड़ देने की थी, क्योंकि सीमा पर सड़कें बनाने की तुलना में ऐसा करना ज्यादा सुरक्षित था। इसी नीति के चलते एलएसी के पास एयरफील्ड्स और सड़कों का निर्माण नहीं किया गया। रक्षा मंत्री के रूप में एंटनी ने 2013 में यूपीए शासन के दौरान लोकसभा में कहा था कि चीन बुनियादी ढांचे और क्षमता के मामले में भारत से बहुत आगे है। इसका नतीजा यह हुआ कि चीनी सैनिकों ने लद्दाख में घुसपैठ की, और उनको वापस करने के लिए हमें 21 दिनों तक चीन के सामने असल मायने में गिड़गिड़ाना पड़ा था।
अब ऐसा नहीं है। मोदी ने शुक्रवार को कहा कि हमने एलएसी के पास अपने बॉर्डर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया है और अब इसका फायदा मिल रहा है। भारतीय सैनिकों के लिए गश्त करना आसान हो गया है। पट्रोलिंग के चलते ही हमारे सैनिकों को गलवान घाटी और अन्य इलाकों में चीनी घुसपैठ के बारे में पता चला। अब चीन के घुसपैठियों को रोका जा रहा है और उनके कमांडरों से LAC की शुचिता के उल्लंघन के बारे में सवाल किए जा रहे हैं। यदि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने LAC के बारे में सवाल नहीं उठाए होते तो मैंने 2013 में दिए गए एंटनी के बयानों का जिक्र नहीं किया होता। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उस समय उनकी सरकार थी और उनके रक्षा मंत्री संसद में ऐसे बयान दे रहे थे।
और आज हमारे पास क्या है? हमारे पास एक विश्वसनीय और फैसले लेने वाले प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री ने कहा है कि यदि कोई भी देश हमारी क्षेत्रीय अखंडता में दखल देने की कोशिश करेगा तो भारत उसे उसकी ही भाषा में जवाब देगा। देश को अपने बहादुर जवानों और उनके अफसरों पर गर्व है। हमारी सेनाओं में दुश्मन का सामना करने की क्षमता है। यह बात बिल्कुल साफ है। शुक्रवार को फाइटर प्लेन्स और अटैक हेलीकॉप्टर्स ने चीनी सैन्य टुकड़ी पर नजर रखने के लिए LAC के पास कई बार उड़ान भरी।
चीन को अब साफ समझ में आ गया है कि यह पुराना भारत नहीं है। इस नए भारत के पास नरेंद्र मोदी के रूप में एक मजबूत और निर्णायक नेता है, जिसने विश्व के राजनेताओं के बीच सम्मान अर्जित किया है, और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत की छवि को बढ़ाया है। चीन अब समझता है कि पूरी राजनीतिक बिरादरी अपने प्रधानमंत्री के पीछे मजबूती से खड़ी है। वहीं दूसरी तरफ, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे देश चीन के सहयोगी हैं। दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र अमेरिका, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। चीन ने जब जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने की कोशिश की थी तो वह जरूरी समर्थन पाने में नाकाम रहा था।
भारत का समग्र दृष्टिकोण अब बदल गया है। भारत ने चीन के साथ डील करने के तरीके को बदल दिया है। मोदी के भारत ने दिखाया है कि चीनियों द्वारा धोखे से किए हमले के जवाब में हमारे जवान क्या कर सकते हैं। मोदी के भारत ने दिखाया है कि यदि आतंकी हमारे CRPF के वाहन को उड़ाते हैं तो यह कैसे पाकिस्तान के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है और बालाकोट में बम बरसा सकता है।
मोदी ने चीन के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाने की पूरी कोशिश की, जैसा कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ भी किया था। लेकिन पूरी दुनिया अब जानती है कि चीनी कितने धूर्त हैं। दुनिया जानती है कि चीन ने दुनिया भर में घातक कोरोना वायरस कैसे फैलाया। दुनिया जानती है कि चीन ने कैसे COVID आंकड़ों और WHO के साथ जोड़-तोड़ किया। जापान और अमेरिका जैसे देश आज अपनी कंपनियों को चीन से बाहर आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। भारत में भी अब वही आवाजें सुनाई दे रही हैं, और ‘चीनी सामानों के बहिष्कार’ का आंदोलन तेज हो रहा है। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 19 जून 2020 का पूरा एपिसोड