शुक्रवार को देश ने CRPF के उन 40 शहीदों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने कश्मीर के पुलवामा में एक आत्मघाती आतंकी हमले में अपनी जान दे दी थी। उन 40 जवानों की याद में लेथपुरा के सीआरपीएफ कैंप में एक स्मारक बनाया गया, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘आज, जैसा कि हम पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ शहीदों को याद कर रहे हैं, तो हम पूछते हैं: 1. हमले से सबसे ज्यादा फायदा किसे हुआ? 2. हमले की जांच में क्या सामने आया? 3. बीजेपी सरकार में सुरक्षा संबंधी चूक और हमले के लिए किसकी जवाबदेही तय हुई?’
मैं राहुल गांधी के बयान पर हैरान हूं। 14 फरवरी हमारे शहीद नायकों को याद करने का दिन था। यह उनके परिवारों को सांत्वना देने और यह कहने का दिन था कि देश उनके साथ मजबूती से खड़ा है। यह कम से कम शहीदों के नाम पर सियासत करने का दिन तो नहीं ही था। मुझे याद है कि भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट में की गई एयरस्ट्राइक और पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी शिविरों पर की गई 'सर्जिकल स्ट्राइक' के बाद भी राहुल गांधी ने इसी तरह के बयान दिए थे। उन्होंने सशस्त्र बलों के दावों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया था।
राहुल गांधी की नरेंद्र मोदी के साथ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता हो सकती है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि हमारे सशस्त्र बलों की वीरता पर सवाल उठाना सही है। पुलवामा में आतंकी हमला भारत पर हमला था। हमने अपने 40 बहादुर जवानों को खो दिया। हमारी वायु सेना ने पाकिस्तान के अंदर बालाकोट में आतंकी शिविरों को नष्ट करके बदला लिया। पूरी दुनिया ने भारत का समर्थन किया क्योंकि उसने दहशतगर्दी के अड्डों को ध्वस्त किया। लेकिन, अगर राहुल गांधी और हमारे कुछ विपक्षी नेता पुलवामा हमले के मद्देनजर सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त करते हैं, तो यह हमारे शहीदों का अपमान करने के बराबर है। कोई भी इसका समर्थन नहीं कर सकता। (रजत शर्मा)
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