ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी गुरुवार को उस समय अवाक रह गए जब उनकी बेंगलुरु रैली में एक महिला कार्यकर्ता माइक से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लगी। इसके बाद ओवैसी को हस्तक्षेप करना पड़ा और महिला को पुलिस को सौंप दिया गया। बाद में अदालत ने महिला को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ओवैसी को रैली में और बाद में मीडिया को यह सफाई देनी पड़ी कि वह और उनकी पार्टी हमेशा हिंदुस्तान जिंदाबाद के लिए खड़ी है न कि पाकिस्तान जिंदाबाद के लिए।
5 दिन पहले कर्नाटक के गुलबर्गा में AIMIM के नेता वारिस पठान ने ओवैसी की मौजूदगी में धमकाने वाले अंदाज में कहा था कि भारत के 15 करोड़ मुसलमान 100 करोड़ हिंदुओं पर भारी पड़ सकते है। AIMIM प्रमुख को अपने हाथों में अपना सिर पकड़े हुए देखा गया क्योंकि उन्हें इस वाहियात बयान के नतीजे पता थे। ओवैसी हैदराबाद के एक अनुभवी नेता हैं और उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि यदि उन्होंने आग से खेलना जारी रख, अपने भाषणों से मुसलमानों को उकसाते रहे तो क्या होगा।
ओवैसी सोच रहे होंगे कि वह मुस्लिम समुदाय को उकसाकर सियासी फायदा उठा सकते हैं लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि मुस्लिम समुदाय में नफरत का जहर फैला कर वह अपने समर्थकों के बीच देशभक्ति के जज्बे को कम कर रहे हैं। मैं जानता हूं कि ओवैसी देश को प्यार करते हैं। मैंने वह वीडियो भी देखे हैं जब पाकिस्तान में बैठकर ओवैसी ने हिंदुस्तान को डिफेंड किया था। उन्होंने पाकिस्तानी न्यूज एंकर को चेतावनी देते हुए नरेंद्र मोदी के बारे में एक भी अपशब्द ना बोलने को कहा था।
ओवैसी ने पाकिस्तानी टीवी एंकर से यह भी कहा था कि सियासत में मोदी से उनके विचार अलग हो सकते हैं, लेकिन वह हर भारतीय के प्रधानमंत्री हैं। AIMIM प्रमुख ने कहा था कि किसी बाहरी शख्स को हमारे अंदरूनी मामलों में दखल देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'मैं भारत से प्यार करता हूं', और मैं जानता हूं कि ओवैसी इरादे के पक्के हैं।
मैं यह भी जानता हूं कि ओवैसी कभी वैसी बातें नहीं करते जैसी कि मणिशंकर अय्यर अपने ही देश के खिलाफ पाकिस्तान में बैठकर करते हैं। लेकिन ओवैसी को मुसलमानों के बीच अपने भाषणों के असर को समझना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अपनी सियासत के चक्कर में, अपनी पार्टी को बड़ा करने के चक्कर में वह लोगों के बीच में दीवार खड़ी करने में लगे हैं। संवेदनशील मुद्दों पर एक समुदाय को भड़काना हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 20 फरवरी 2020 का पूरा एपिसोड