सोमवार रात प्रसारित एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों के संकेत अगर सही हैं तो महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी आसानी से बहुमत हासिल कर सकती है। इन दोनों अहम राज्यों में एक महीने तक चले चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं का मूड बिल्कुल साफ नजर आ रहा था।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की खास बात ये रही कि बीजेपी और शिवसेना जो पिछले 3-4 साल तक आपस में लड़ते दिखाई देते थे, इस बार इन दोनों दलों ने साथ मिलकर और पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और शिवसेना दोनों ने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और सभी बड़े नेताओं ने चुनावी रैलियों को संबोधित किया।
वहीं दूसरी तरफ, एनसीपी और कांग्रेस ने महीनों पहले गठबंधन किया था और अपने उम्मीदवार भी काफी पहले तय कर लिये थे, लेकिन इनके चुनावी अभियान में ताकत और जोश की कमी साफ नजर आ रहा थी। हालांकि,एनसीपी नेताओं ने कड़ी मेहनत की। खासतौर पर पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने इस चुनाव में खासी मेहनत की। बारिश में भीगते हुए भी उन्होंने चुनावी रैली को संबोधित किया। हालांकि शरद पवार की उम्र और स्वास्थ्य दोनों उनका उतना साथ नहीं देते, लेकिन फिर भी वो मैदान में डटे रहे। जबकि कांग्रेस के बड़े नेता खास तौर पर राहुल गांधी इस पूरे चुनाव प्रचार में सिर्फ दो दिन महाराष्ट्र में नजर आए और वो भी ऐसा लगा जैसे बेमन से प्रचार कर रहे हों।
इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी-शिवसेना के स्टार प्रचारक रहे। उन्होंने अपने भाषणों में स्थानीय मुद्दों को तो उठाया ही साथ ही कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने जैसे राष्ट्रीय मुद्दे पर कांग्रेस और एनसीपी के कन्फ्यूजन के प्रति लोगों को जागरूक किया। 24 अक्टूबर आनेवाले चुनावी नतीजे अगर एग्जिट पोल के पुर्वानुमानों के मुताबिक हुए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
हरियाणा विधानसभा चुनावों की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि पिछली बार जो दो बड़े विपक्षी दल चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर दे रहे थे, वे दोनों इस बार पूरी तरह से बंटे हुए नजर आए। इन दोनों दलों का अंदरूनी घमासान अपने चरम पर दिखा।
कांग्रेस के अंदर सबसे पहले तो पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और पूर्व राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर अध्यक्ष पद की लड़ाई में उलझे, बाद में दोनों उम्मीदवारों के चुनाव को लेकर भिड़े और फिर उसके बाद एक-दूसरे के खिलाफ काम करने लगे। उनकी लड़ाई देखकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का रहा सहा जोश भी ठंडा हो गया। अशोक तंवर ने तो दुश्यन्त चौटाला की जनतांत्रिक जनता पार्टी को सपोर्ट कर दिया। आईएनएलडी प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला का परिवार कई टुकड़ों में बंटा हुआ है। हर गुट ने अपनी-अपनी पार्टियां बना ली हैं। वे बीजेपी से लड़ने के बजाय आपस में लड़ते नजर आए। इस सबका पब्लिक पर क्या असर हुआ ये एग्जिट पोल के नतीजों में दिख रहा है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी केवल चुनाव प्रचार की औपचारिकता निभाने हरियाणा गए। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दस से ज्यादा चुनावी रैलियों को संबोधित किया। बीजेपी के हर स्टार प्रचारक को चाहे वो हेमा मालिनी हों, सनी देओल हों या फिर योगी आदित्यनाथ, सबको मैदान में उतारा। इसलिए, अगर एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित होते हैं, तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 21 अक्टूबर 2019 का पूरा एपिसोड