देश की खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान की साजिश के बारे में बहुत बड़ा और हैरान करनेवाला खुलासा किया है। नगरोटा में शुक्रवार को जिन चार आंतकवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया, वे दहशतगर्द 26/11 मुंबई आतंकी हमले की बरसी पर एक बड़ा आंतकवादी हमला करने की साजिश को आंजाम देने वाले थे। खुफिया एजेंसियों के शीर्ष सूत्रों ने इन आतंकियों के खतरनाक मंसूबों का खुलासा किया है। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ये चारों आतंकी 'कुछ बड़ा' करना चाहते थे। इन आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद हुए। आपको याद दिला दें कि 26 नंबवर 2008 को मुबंई में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया था। इस हमले में 174 बेगुनाह लोगों की मौत हुई थी जबकि 300 लोग घायल हुए थे। ये आतंकवादी नाव के जरिए मुंबई पहुंचे थे और शहर के 12 अहम ठिकानों को निशाना बनाकर भारी तबाही मचाई थी।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों के साथ हाई लेवल की मीटिंग की और ट्वीट किया: 'पाक स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के 4 आतंकवादियों का मारा जाना और उनके पास बड़ी मात्रा में हथियारों और विस्फोटकों की बरामदगी से यह पता चलता है कि वे एक बड़े हमले और भारी तबाही मचाने के इरादे से आए थे जिसे विफल कर दिया गया है। एक बार फिर हमारे सुरक्षा बलों ने अदम्य साहस, बहादुरी, पेशेवर रूख का प्रदर्शन किया। इस बहादुरी और सतर्कता के लिए सुरक्षाबलों को धन्यवाद जिन्होंने जम्मू कश्मीर में जमीनी स्तर की लोकतांत्रिक कवायद को निशाना बनाने की साजिश को नाकाम कर दिया।'
आंतरिक सुरक्षा को लेकर पीएम मोदी की हाई लेवल मीटिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव हर्षवर्धन शिंगला, इंटेलीजेंस ब्यूरो और रॉ के चीफ मौजूद थे। मीटिंग के बाद किसी तरह का कोई औपचारिक बयान तो जारी नहीं किया गया लेकिन ये जानकारी मिली है कि इस मीटिंग में प्रधानमंत्री को शुक्रवार के ऑपरेशन के बारे में और इससे पहले मिले इंटेलीजेंस इनपुट्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सूत्रों का कहना है कि खुफिया एजेंसियों ने आतंकवादियों और उनके पाक स्थित हैंडलर्स के बीच हो रही बातचीत को रिकॉर्ड किया था। इस बातचीत में सारी साजिश का जिक्र हुआ था। इस रिकॉर्डिंग से पता चला कि आंतकवादी कहां से घुसे हैं और किस तरफ बढ़ रहे हैं। इसके बाद ही आंतकवादियों को ट्रैक करके उन्हें मार गिराया गया।
पहली बार प्रधानमंत्री ने किसी आतंकवादी घटना को लेकर अपने ट्वीट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिया है। सुरक्षा बलों की बहादुरी की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान और अब सुरक्षा बलों की आतंक के प्रति प्रतिक्रिया में आए बदलाव को जाहिर कर दिया। जिस मुस्तैदी से हमारे सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के मंसूबों को नेस्तनाबूत किया है, उसकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है। इससे पता चलता है कि भारत कितना बदल गया है। हमारी फौज का रिस्पॉन्स कितना बदला है और अब खुफिया जानकारी कितनी सही मिल रही है, नगरोटा का एनकाउंटर इसका ज्वलंत उदाहरण है।
मुझे आज भी याद है कि वर्ष 2008 में जब 26/11 का हमला हुआ था तो पाकिस्तानी आतंकवादी नाव में बैठकर आए थे। आतंकवादी मुंबई में घुसे और सीएसटी रेलवे स्टेशन पर भारी तबाही मचाई। होटल ताज पैलेस, द ओबेरॉय ट्राईडेंट होटल नरीमन हाउस, चबाड हाउस, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, मेट्रो सिनेमा और चार अन्य जगहों पर आतंकवादियों ने गोलियों की बौछार कर दी, लोगों को मार डाला। लेकिन उस दिन सबके चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी। 18 घंटे तक तो किसी को पता ही नहीं था कि हमलावर कौन हैं? कहां से आए हैं? कोई इसे गैंगवार समझ रहा था तो कोई इसे कुछ सिरफिरों का काम बता रहा था। अगले दिन 12 बजे के बाद पता चला कि आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे।
26/11 हमले में आतंकवादियों के पाकिस्तानी होने का कैसे पता चला ये भी मैं आपको बता दूं। मुंबई के ओबेरॉय होटल से एक आतंकवादी ने इंडिया टीवी को फोन किया था और कहा था कि वो अपनी बात बताना चाहता है। उस दौरन आतंकवादियों की डायलेक्ट (बोली), भाषा सुनकर पता चला कि वो पाकिस्तानी थे। इसके बाद खुफिया एजेंसियों ने ताज और ओबरॉय से होने वाली सारी बातचीत को टैप किया। तब पता चला कि इन दहशतगर्दों को पाकिस्तान में बैठे हैंडलर निर्देश दे रहे थे।
नरेन्द्र मोदी की लीडरशिप ने अब सबकुछ बदल दिया है। हमारी खुफिया जानकारी अधिक सटीक है, सुरक्षा बल अधिक सतर्क हैं, आतंक के प्रति उनका रिस्पॉन्स तेज और अधिक प्रभावी है। इस बार आतंकवादियों के प्लान की एक-एक डिटेल खुफिया एजेंसियों के पास एडवांस में थी। उनके ट्रक को पकड़ा गया। आतंकवादियों को मार दिया गया, गोला-बारुद बरामद कर लिया गया और इस बात के सबूत भी इकट्ठे कर लिए गए कि वो पाकिस्तानी थे। अगर देश के प्रधानमंत्री का इरादा मजबूत हो, नीयत साफ हो और हिम्मत हो तो फिर हर खतरे से लड़ा जा सकता है और ये नगरोटा की घटना से साबित भी होती है। (रजत शर्मा)
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