देश में मंगलवार को कोरोना वायरस के 3,82,315 नए मामले सामने आए जबकि संक्रमण की वजह से 3780 लोगों की जान गई, जो एक दिन में सर्वाधिक मामले हैं। अबतक यह वायरस देश में 2,26,188 लोगों की मौत का कारण बन चुका है। कुल एक्टिव मामलों का आंकड़ा बढझ़कर 34,87,229 तक पहुंच गया है। वहीं पिछले 24 घंटों के दौरान देशभर में कोरोना से 3,38,439 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं।
दिल्ली में मंगलवार को कोविड के 19,953 नए मामले सामने आए और 338 मौतें हुईं। महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान 51,880 नए मामले और 891 मौतें हुईं। कर्नाटक में 44,631 नए मामले और 292 मौतें हुईं, उत्तर प्रदेश में 25,858 नए मामले और 352 मौतें हुईं, राजस्थान में 16,974 नए मामले और 154 मौतें हुईं हैं। अन्य राज्यों में, बिहार ने 14,794 नए मामले दर्ज किए, छत्तीसगढ़ 15,785, मध्य प्रदेश 12,236, पश्चिम बंगाल 17,639, गुजरात 13,050, पंजाब 7,601, और हरियाणा में 15,786 नए मामले सामने आए। उत्तर प्रदेश सरकार ने महामारी के प्रसार को रोकने के लिए आज 'कोरोना कर्फ्यू' को 10 मई तक बढ़ा दिया।
इस बीच, वैक्सीनेशन में गिरावट दर्ज की गई है क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों ने अभी तक इसके सप्लाई को लेकर वैक्सीन निर्माताओं के साथ टाई-अप नहीं किया है। इस वक्त सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि देश में हर व्यक्ति वैक्सीन लगवाना चाहता है लेकिन इतनी बड़ी तादात में वैक्सीन है नहीं। अपोलो मैक्स और फोर्टिस जैसे टॉप प्राइवेट अस्पतालों में अब वैक्सीन सीमित मात्रा में बचे हैं। मंगलवार को पूरे देश में 38,54,442 कोविड वैक्सीन की खुराक दी गई। अब तक, 16.05 करोड़ भारतीयों को टीका लगाया गया है।
इस बीच, दिल्ली-एनसीआर और कई अन्य राज्यों में ऑक्सीजन के लिए मारामारी जारी है। सख्त कदम उठाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि दिल्ली को आवंटित ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए आदेश का पालन नहीं करने के लिए इसके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए? आज दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा कि किसी भी कीमत पर दिल्ली को सात सौ मिट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जाए। कोर्ट ने कल केन्द्र सरकार के अफसरों को कोर्ट में हाजिर होकर जबाव देने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा सरकार ऑस्ट्रिच की तरह अपना सिर रेत में डाल सकते हैं लेकिन कोर्ट ऐसा नहीं कर सकता। केंद्र ने आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के नोटिस को रद्द करने की मांग की।
दिल्ली की ही तरह यूपी में भी ऑक्सीजन के लिए मारामारी है। मंगलवार को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से कोविड मरीजों की मौत आपराधिक कृत्य जैसा है। कोविड मरीजों की मौत उनके लिए किसी नरसंहार से कम नहीं है जिन्हें लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाया कि "ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी जमाखोरी और जरूरतमंद लोगों का उत्पीड़न हो रहा है"।
इंडिया टीवी रिपोर्टर रूचि कुमार ने बाताया कि ऑक्सीजन रिफिंग प्लांट्स के बाहर लाइन लगना अब तो आम बात है। रूचि खुद उनका पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आ चुका है लेकिन इसके बाद भी लोगों की तकलीफ सरकार तक पहुंचाने के लिए रोज बाहर निकलती हैं। रूचि का कहना है कि ऑक्सीजन रिफिलिंग सेंटर्स के बाहर कई ऐसे लोग मिलते हैं जो रात से ही लाइन में लग जाते हैं। इनका कहना है कि सारे कागज़ दिखाने के बावजूद ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। इनका इल्जाम है कि अस्पतालों के नाम पर ऑक्सीजन डाइवर्ट कर दी जाती है और जब तक इनका नंबर आता है तब तक किसी के लिए कुछ बचता नहीं।
यूपी सरकार पिछले कुछ दिनों से हॉस्पिटल में बेड्स बढ़ाने के इंतजाम कर रही है। आज उस वक्त आशा की एक किरण नजर आई जब DRDO ने लखनऊ में अपना 500 बेड का अटल बिहार वाजपेयी कोविड केयर सेंटर शुरू किया। इसमें 150 वेंटिलेटर आईसीयू बेड हैं और 350 ऑक्सीजन बेड हैं। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा के मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ इस केंद्र का संचालन करेंगे। भारतीय नौसेना का आईएनएस ऐरावत सिंगापुर से 3,650 ऑक्सीजन सिलेंडर, 8 आईएसओ टैंक और चिकित्सा उपकरण लेकर भारत आ रहा है।
दूसरी ओर, ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड की कमी के कारण कोविड-19 रोगियों की मौत जारी है। इंडिया टीवी ने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से आई एक तस्वीर दिखाई जहां एक साथ करीब 40 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। बंगाल के चार जिलों दार्जिलिंग, कलिमपोंग, नॉर्थ दिनाजपुर और जलपाईगुड़ी से इन डेडबॉडीज को अंतिम संस्कार के लिए यहां लाया गया था।
इसमें तो कोई शक नहीं है कि फिलहाल हमारे देश में वैक्सीन की कमी है। अभी वैक्सीन का प्रोडक्शन उतना नहीं है जितने की जरूरत है। हमारे यहां वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अपना प्रोडक्शन बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए नए प्लांट लगाए जा रहे हैं लेकिन वैक्सीन का प्रोडक्शन थोड़ा high end होता है इसलिए इसके प्लांट को फंक्शनल करने में वक्त लगता है। इस समय कोशिश की जा रही है कि दुनिया में जहां भी वैक्सीन मौजूद है चाहे वो स्पूतनिक हो फाइजर हो या मॉडर्ना उसे जितनी मात्रा में खरीदा जा सकता है, खरीद लिया जाए क्योंकि वैक्सीनेशन के अलावा कोई दूसरा उपाय भी नहीं है। हमें उम्मीद है कि एक बार सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भारी मात्रा में वैक्सीन की आपूर्ति हो जाने के बाद स्थिति बेहतर होगी।
इसी तरह, कोविड मरीजों में लंग्स इंफेक्शन में वृद्धि के कारण ऑक्सीजन की मांग बढ़ रही है। आज कल कोरोना का जो नया म्यूटेंट है उसमें लंग्स का इंफेक्शन बहुत तेजी से होता है इसीलिए ऑक्सीजन की भारी मात्रा में जरुरत पड़ती है। दिल्ली में तो ऑक्सीजन का संकट सबसे ज्यादा है जहां, कुछ मामलों में, फ्लैटों में रहने वाले पूरा परिवारों कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं। इनमें से अधिकांश लोगों को तुरंत ऑक्सीजन की जरुरत पड़ रही है। शायद ही कोई ऐसा हॉस्पिटल होगा जहां एक भी ICU बेड खाली हो। ICU बेड फुल होने का मतलब होता है और भी ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत। ICU वेंटिलेटर सिलेंडर से सीधे ऑक्सीजन के रोगियों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन कंज्यूम करते हैं। उम्मीद करते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में अगले दो से तीन दिनों में ऑक्सीजन सप्लाई की स्थिति दुरुस्त कर ली जाएगी।