Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma's Blog:समय पर लागू हुए लॉकडाउन से भारत में कैसे बचीं 54,000 से 78,000 जानें

Rajat Sharma's Blog:समय पर लागू हुए लॉकडाउन से भारत में कैसे बचीं 54,000 से 78,000 जानें

 25 मार्च को यदि लॉकडाउन लागू नहीं किया गया होता तो आज भारत में COVID-19 पॉजिटिव मरीजों की संख्या 24,50,000 होती और मरने वालों का आंकड़ा 72,000 को छू गया होता।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : May 23, 2020 16:09 IST
Rajat Sharma's Blog:समय पर लागू हुए लॉकडाउन से भारत में कैसे बचीं 54,000 से 78,000 जानें
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog:समय पर लागू हुए लॉकडाउन से भारत में कैसे बचीं 54,000 से 78,000 जानें

दिल्ली में शुक्रवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के रिकॉर्ड 660 मामले सामने आए, और इसी के साथ यहां संक्रमित लोगों की कुल संख्या 12,319 तक पहुंच गई। पिछले 4 दिनों में ऐसा चौथी बार हुआ जब संक्रमण के मामलों ने एक नई ऊंचाई को छुआ हो। इस संक्रमण से मरने वालों की संख्या भी यहां 208 हो गई है। इसके अलावा 9 और इलाकों को कंटेनमेंट जोन के रूप में चिह्नित किया गया है। शुक्रवार को भारत में COVID-19 मामलों की कुल संख्या 1,23,081 तक पहुंच गई। सिर्फ पिछले 4 दिनों में कुल सक्रिय मामलों के लगभग एक-तिहाई (22,794) मामले दर्ज किए गए। अभी तक 50,000 से ज्यादा लोग इस घातक बीमारी से उबर भी चुके हैं।

देखा जाए तो 5 ऐसे राज्य हैं जहां भारत के कोरोना वायरस से संक्रमण के कुल मामलों के 80 फीसदी मामले पाए गए हैं। ये राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और राजस्थान हैं। महाराष्ट्र 44,582 मामलों के साथ इस मामले में सबसे आगे है। वहीं, दूसरे स्थान पर मौजूद तमिलनाडु में 14,753 मामले दर्ज किए गए हैं, जो कि महाराष्ट्र की तुलना में लगभग एक तिहाई है।

पिछले कुछ दिनों से कई लोग मुझसे 25 मार्च को लागू किए गए लॉकडाउन के फायदों के बारे में पूछ रहे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर लॉकडाउन सफल रहा तो संक्रमण के मामलों में वृद्धि क्यों देखने को मिल रही है? क्या शुरुआती दिनों में टेस्टिंग कम होने की वजह से संक्रमित लोगों की संख्या कम थी? भारत कब तक इस महामारी को पूरी तरह नियंत्रित कर पाएगा? ग्राफ का कर्व फ्लैट कब होगा? क्या लॉकडाउन में ढील के चलते कर्व ऊपर की तरफ जा रहा है? भारत में कोरोना वायरस अपने पीक पर कब पहुंचेगा?

शुक्रवार को केंद्र ने यह बताने के लिए कई मॉडल पेश किए कि भारत ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को समय पर लागू करने की वजह से कोरोना वायरस से संक्रमण के करीब 14 लाख से 29 लाख मामलों और 37,000 से 78,000 मौतों को टाल दिया। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन ने वायरस के फैलने की गति को काफी कम कर दिया। मैंने सरकार के कई बड़े मंत्रियों, जाने-माने मेडिकल एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिकों से भारत में लॉकडाउन से हुए फायदे और विकसित देशों में COVID-19 के आंकड़ों के तुलनात्मक मूल्यांकन के लिए बात की। एक बात जो बिल्कुल साफ हो गई वह ये थी कि 25 मार्च को यदि लॉकडाउन लागू नहीं किया गया होता तो आज भारत में COVID-19 पॉजिटिव मरीजों की संख्या 24,50,000 होती और मरने वालों का आंकड़ा 72,000 को छू गया होता।

इस तरह लगभग 23 लाख लोगों को संक्रमित होने से और 68 हजार लोगों को जान गंवाने से बचा लिया गया। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया का दावा है कि लॉकडाउन की वजह से 78 हजार लोगों की जान बच गई, जबकि बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के मॉडल ने दावा किया कि इस दौरान 1.25 लाख से 2.10 लाख लोगों को मौत के मुंह में जाने से रोक लिया गया। सांख्यिकी मंत्रालय और भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने अपनी स्टडी में दावा किया है कि इस दौरान लगभग 20 लाख भारतीय संक्रमित हो सकते थे और 54,000 लोगों की जान जा सकती थी।

अब जब कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले प्रतिदिन 5,500-6,000 की दर से बढ़ रहे हैं, तो ऐसा लगता है कि लोगों में घबराहट फैल रही है और इस तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। बता दें कि 3 अप्रैल को भारत में प्रति दिन 22.6 प्रतिशत नए मामले आए थे, लेकिन 4 अप्रैल के बाद यह दर काफी धीमी हो गई और अब यह 5.5 प्रतिशत के आसपास रह गई है। अगर हम डबलिंग रेट की बात करें तो शुरू में संक्रमण के मामले 3.4 दिनों में दोगुने हो जा रहे थे, लेकिन अब डबलिंग रेट 13.3 दिन तक पहुंच गया है।

वायरस से संक्रमण के ज्यादातर मामले अब 5 राज्यों तक सीमित हैं। 6 बड़े शहरों- मुंबई, ठाणे, अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई और इंदौर से सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। 50 प्रतिशत से अधिक सक्रिय मामले इन 6 शहरों में हैं। लॉकडाउन के फायदे सबके सामने हैं। कुछ लोग कह सकते हैं कि टेस्टिंग कम होने के चलते आंकड़े कम दिखाई दे रहे हैं। उनकी यह शंका गलत धारणाओं पर आधारित हैं। पिछले 24 घंटों में लगभग एक लाख टेस्टिंग्स हुई हैं। शुक्रवार दोपहर 1 बजे तक भारत में COVID-19 टेस्टिंग की कुल संख्या 27,55,714 थी। इनमें से कोरोना वायरस से संक्रमण के 18,287 टेस्ट प्राइवेट लैब में और बाकी सरकारी लैब में किए गए हैं।

आइए, अब बाकी के देशों से इसकी तुलना करते हैं। अमेरिका में कुल मिलाकर 1,34,79,000 टेस्ट किए गए, जिनमें 16 लाख से ज्यादा पॉजिटिव पाए गए। स्पेन में 30 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए और 2,80,000 पॉजिटिव मिले। ब्रिटेन में 32.3 लाख टेस्ट किए गए और 2.5 लाख से भी ज्यादा लोग पॉजिटिव पाए गए। अब यह सवाल उठता है कि मरीजों की संख्या बढ़ क्यों रही है? मैं भारत के सबसे ज्यादा प्रभावित हॉटस्पॉट मुंबई का उदाहरण देता हूं। यहां कोरोना वायरस से संक्रमण के 27,068 मामले सामने आए हैं और अब तक 909 मरीजों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को यहां 1,751 नए मामले सामने आए थे, और यहां एक दिन में औसतन 40-45 लोगों की मौत हो जाती है जो कभी-कभी 60 के आंकड़े को भी छू देती है।

इंडिया टीवी के पत्रकारों ने मामलों में तेजी के पीछे के कारणों का पता लगाने की कोशिश की। इसका मुख्य कारण घनी आबादी वाले इलाके हैं जहां सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। यह जानलेवा वायरस धारावी, गोवंडी, सायन, बीडीडी चॉल एवं कुर्ला और वहां से एंटॉप हिल, कांदिवली, जुहू, अंधेरी, कोलीवाड़ा और जीजामाता नगर में फैल चुका है। अकेले धारावी में 1,500 से ज्यादा मामलों का पता चला है। यह वायरस तेजी से ठाणे, पुणे, अकोला और नागपुर में फैलता जा रहा है। बृहन्मुंबई नगर निगम का दावा है कि मुंबई के अस्पतालों में बेड की कोई कमी नहीं है, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर मरीज तभी आते हैं जब उनकी हालत गंभीर होती है। जब ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आते हैं जिनमें अस्पताल के बेड पर मरीजों के पास शव पड़े दिखाई देते हैं, तो आम आदमी का विश्वास हेल्थकेयर सिस्टम से उठ जाता है।

शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने दिखाया कि कैसे कोरोना वायरस से संक्रमित एक मरीज को अपने रिश्तेदारों के साथ अस्पताल जाना पड़ा क्योंकि कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं थी। कल्याण-डोंबिवली में एक शख्स ने एक प्राइवेट लैब में टेस्ट कराया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनके रिश्तेदारों ने इसकी जानकारी अस्पतालों और बीएमसी अधिकारियों को दी, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। मरीज को इंतजार करते-करते 16 घंटे बीत गए लेकिन कोई एम्बुलेंस नहीं आई। इस तरह के दृश्य हमारे हेल्थकेयर सिस्टम की दक्षता पर सवाल उठाते हैं।

मुंबई के मेयर ने इसका दोष प्राइवेट एम्बुलेंस ऑपरेटर्स के माथे मढ़ दिया। उन्होंने कहा कि ये प्राइवेट ऑपरेटर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को अस्पताल ले जाने से मना कर रहे हैं, जबकि उन्हें पीपीई किट भी दी गई है। मेयर ने कहा कि प्राइवेट ऑपरेटरों में भय व्याप्त है और वे नहीं चाहते हैं कि उनके ड्राइवर और हेल्पर वायरस के संपर्क में आएं। राज्य सरकार को सैकड़ों बेस्ट बसों को एम्बुलेंस में बदलना पड़ा है। मुझे लगता है कि स्वास्थ्य सेवा में शामिल विभिन्न समूहों के बीच भरोसे की कमी है। प्राइवेट एंबुलेंस ऑपरेटरों, प्राइवेट अस्पतालों के मालिकों और डॉक्टरों को बीएमसी या राज्य अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासनों पर भरोसा नहीं है।

मुंबई के अस्पतालों में बिस्तरों की कोई कमी नहीं है। बड़े प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के लिए 80 प्रतिशत बेड रिजर्व रखने के लिए कहा गया है। लगभग 25,000 प्राइवेट डॉक्टरों ने लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों में जाना बंद कर दिया था, उन्हें फिर से ड्यूटी जॉइन करने के लिए कहा गया है। अन्य राज्यों से आई नर्सों ने बड़ी संख्या में अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद राज्य सरकार ने लगभग 17,000 हेल्थ वर्कर्स की नियुक्ति का फैसला लिया है। ऐसा लगता है कि हेल्थ केयर सिस्टम में काम करने वालों में ही कम्युनिकेशन और कमिटमेंट की कमी है। (रजत शर्मा)

देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 22 मई 2020 का पूरा एपिसोड

 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement