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Rajat Sharma's Blog: कैसे सोशल मीडिया पर फैली अफवाहें मुसलमानों के मन में डर पैदा कर रही हैं

अधिकांश प्रदर्शनकारियों को यह भी नहीं पता है कि वे किस बात विरोध कर रहे हैं। संशोधित नागरिकता कानून में कुछ भी ऐसा नहीं है जो भारत में रहनेवाले मुसलमानों को प्रभावित करता है। एनआरसी के बारे में फैलाई जा रही अफवाहें निराधार हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: December 18, 2019 17:42 IST
Rajat Sharma's Blog: How rumours on social media are striking fear in the minds of Muslims- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: How rumours on social media are striking fear in the minds of Muslims

पूर्वोत्तर दिल्ली के सीलमपुर इलाके में मंगलवार को मुस्लिम प्रदर्शनकारियों और दिल्ली पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई, लेकिन समय रहते स्थानीय मुस्लिम नेताओं के हस्तक्षेप और मस्जिद से की गई घोषणाओं के माध्यम से तीन घंटे के अंदर हालात पर काबू पाने में मदद मिली। एक शांतिपूर्ण जुलूस के जरिये संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने की तैयारी की गई थी लेकिन अचानक भीड़ में मौजूद उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। 

 
देर शाम में ब्रिजपुरी इलाके में भी तनाव फैल गया लेकिन स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने शांति बहाल करने में मदद की। हमें स्थानीय नेताओं की इस पहल का स्वागत करना चाहिए, लेकिन कुल मिलाकर इस पूरे प्रकरण में जो तस्वीर उभरकर सामने आई है उससे लगता है कि भारतीय मुसलमान भ्रम में हैं। 

सोशल मीडिया पर चल रही बेबुनियाद अफवाहों और संदेशों के कारण आम मुसलमान भ्रमित हैं। ये अफवाहें सांप्रदायिक तनाव को हवा दे रही हैं जिससे मुसलमान विरोध-प्रदर्शन के लिये सड़कों पर उतर रहे हैं और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 
 
अधिकांश प्रदर्शनकारियों को यह भी नहीं पता है कि वे किस बात विरोध कर रहे हैं। संशोधित नागरिकता कानून में कुछ भी ऐसा नहीं है जो भारत में रहनेवाले मुसलमानों को प्रभावित करता है। एनआरसी के बारे में फैलाई जा रही अफवाहें निराधार हैं। एनआरसी को असम के अलावा कहीं भी लागू नहीं किया गया है, फिर ये विरोध क्यों?
 
मुश्किल ये है कि छात्रों और प्रदर्शनकारियों के बीच शरारती तत्व और उपद्रवी घुस जाते हैं। ये लोग भीड़ का फायदा उठाकर अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं। रविवार को हुए जामिया यूनीवर्सिटी में हिंसा के मामले में जिन दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें से एक भी जामिया का स्टूडेंट नहीं है। इन गिरफ्तार लोगों में तीन तो इलाके के घोषित बदमाश हैं, जिनके खिलाफ पहले से ही केस दर्ज हैं। 
 
जाहिर है, सभ्य समाज के दुश्मन और अपराधी किस्म के लोग माहौल खराब कर रहे हैं। मुसलमानों के मन में डर पैदा करने के लिए अफवाहें फैलाई जा रही हैं। कई राजनीतिक नेता भी इन तत्वों के पीछे हैं, जो अफवाह फैला रहे हैं।
 
मंगलवार को इंडिया टीवी संवाददाता ने पत्थरबाजों से बात की तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनसे नागरिकता साबित करने के लिए सबूत मांगे जा सकते हैं। इन लोगों का कहना है कि पिछले 70 साल से ज्यादा समय से उनके बाप-दादा इस देश में रह रहे हैं। कुछ पत्थरबाजों ने खुलकर कहा कि उन्हें इस बात का डर है कि उनलोगों को सरकार डिटेंशन सेंटर में डाल देगी। जबकि वैसे हिंदू जिनके पास सबूत नहीं होंगे वे सीएए की वजह से प्रभावित नहीं होंगे। इससे जाहिर है कि अफवाहों को बहुत तरीके से लोगों के बीच प्रचारित किया गया है। 
 
एनआरसी की अधिसूचना का ड्राफ्ट अभी तैयार नहीं हुआ है, कैबिनेट को इसे मंजूरी देना बाकी है वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी मुस्लिम को एनआरसी के बारे में चिंता नहीं करनी होगी। किसी मुसलमान से सबूत नहीं मांगे गए और किसी मुसलमान की नागरिकता पर कोई खतरा नहीं है। इसके बाद भी सोशल मीडिया पर बेबुनियाद अफवाहों के कारण, जामिया मिल्लिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, लखनऊ, कोच्चि और अब दिल्ली में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
 
सरकार को सोशल मीडिया पर झूठी अफवाह फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। इससे पहले कि किसी तरह की कोई खतरनाक स्थिति पैदा हो या वैमनस्यता का जहर और फैले, हमें शुरुआत में ही इसका सही इलाज करने की जरूरत है। (रजत शर्मा)

देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 17 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड

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