देशभर में कोरोना महामारी बेहद भयावह रूप ले चुकी है। इसका अंदाजा इस आंकड़े से लगाया जा सकता है कि अकेले बुधवार को कोरोना के कुल 3,60,960 नए मामले सामने आए और इस संक्रमण ने 3,293 लोगों की जान ले ली। ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाओं और अस्पतालों में बेड की कमी के कारण लोग मर रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई हिस्सों में हालात गंभीर हैं।
कोरोना मरीजों के रिश्तेदार ब्लैक मार्केट से जरूरी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं, टेस्टिंग लैब में लोगों की लंबी कतारें हैं, रिपोर्ट आने में भी काफी वक्त लग रहा है। न मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर मिल रहा है और न ही वेंटिलेटर। इसी बीच एक ऐसा वीडियो आया जिसे देखकर किसी का भी कलेजा फट जाए। वीडियो में स्ट्रेचर पर एक शख्स बेसुध पड़ा है और उसकी पत्नी स्ट्रेचर को खींच रही है। जबकि तीन-चार साल का एक छोटा सा बच्चा स्ट्रेचर को धक्का दे रहा है। मां और बेटे मिलकर उस शख्स को अस्पताल के अंदर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि उनकी मदद के लिए कोई वॉर्ड ब्वॉय तक वहां नहीं था।
केंद्र और राज्यों की सरकारें दावा कर कर रही हैं कि सब ठीक है। बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की कोई कमी नहीं है। लेकिन इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने जो ग्राउंड रिपोर्ट भेजी वो कुछ दूसरी तस्वीर पेश करती है। हॉस्पिटल के बाहर तड़प रहे मरीजों के लिए न बेड है, न ऑक्सीजन और न दवाएं। हॉस्पिटल मरीजों के परिवार वालों से कह रहे हैं कि खुद ऑक्सीजन का इंतजाम करो, दवाएं लेकर आओ। मरीज के परिवारवाले 40 डिग्री सेल्सियस तपती दोहपरी में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। और इस मुश्किल वक्त में भी कुछ बेईमान लोग मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। कोई जबरदस्ती बेड कब्जा करके बैठा है तो किसी ने दवाएं स्टोर की ली हैं। किसी ने मार्केट से ऑक्सीमीटर गायब कर दिया है तो कोई पैसा कमाने के चक्कर में रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर घूम रहा है। ये लोग इन जीवनरक्षक वस्तुओं को महंगे दामों पर बेचकर मरीजों के परिवारवालों को लूट रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के ताजा मामले और मौतों की संख्या को लेकर जो आधिकारिक आंकड़े बताए जा रहे हैं उसकी पूरी तस्वीर सामने नहीं आ रही है। कोविड टेस्ट करनेवाली एक बड़ी टेस्टिंग एजेंसी के सीईओ ने शिकायत की है कि उसके पास जिले के स्थानीय अधिकारियों के फोन आए और कोरोना की 'पॉजिटिव' रिपोर्ट नहीं करने के लिए कहा गया। दिल्ली और मुंबई में अचानक नए मरीजों की संख्या कैसे कम हो गई। आंकड़े देखें तो लगेगा यहां कोरोना काबू में आ रहा हैं लेकिन मैं थोड़ा गहराई में गया तो पता चला दिल्ली और मुबई में पिछले दो दिन से टेस्ट ही कम हो रहे हैं, इसलिए कम पॉज़िटिव मरीज रिकार्ड पर आ रहे हैं। सच्चाई ये है कि दिल्ली में जिसका टेस्ट हो रहा है, उनमें से हर तीसरा आदमी कोरोना पॉजिटिव मिल रहा है। दिल्ली में इस वक्त कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 35 प्रतिशत पर बना हुआ है। सोमवार को दिल्ली में कुल 57,600 टेस्ट हुए उनमें से 20 हजार दो सौ से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि 13 अप्रैल को 1,02,460 टेस्ट हुए थे और इनमें से सिर्फ 13468 की रिपोर्ट पॉजिटिव थी यानि 13 अप्रैल को दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट 12 प्रतिशत था, जो दो हफ्ते में बढ़कर 35 प्रतिशत हो गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने महामारी से निपटने और रोगियों को बेड मुहैया कराने में विफल रहने पर दिल्ली सरकार की खिंचाई की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार क्या कर रही है? हॉस्पिटल्स में मरीजों के लिए बेड नहीं है, ऑक्सीजन नहीं हैं। ऑक्सीजन के लिए अस्पतालों को कोर्ट जाना पड़े इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ऑक्सीजन वितरण की निगरानी करने और महत्वपूर्ण दवाओं की जमाखोरी रोक पाने में करने में पूरी तरह विफल रही है। कोर्ट ने कहा कि आप अपनी चीजों को व्यवस्थित करें। बेसिरपैर के आदेश का कोई मतलब नहीं है। अगर दिल्ली सरकार से सिस्टम नहीं संभल रहा है, हालात काबू से बाहर है तो फिर अदालत केन्द्र सरकार को टेकओवर करने का आदेश देगी। हम लोगों को इस तरह मरने नहीं दे सकते।
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार बेसिरपैर के आदेश दे रही है जिनका कोई मतलब नहीं है और कोई फायदा नहीं हैं। हाईकोर्ट ने कहा, "आपको जमीनी हकीकत का पता नहीं है...मरीजों को यह कहना वो डॉक्टरों की देखरेख में घर पर रेमडेसिविर नहीं ले सकते, बिल्कुल गलत प्रतित होता है, यह ठीक वैसा हीं है जैसा किसी आदमी की जान ले ली गई हो।"
अदालत ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की और हैरानी भी जताई कि जब मरीजों के परिवार वाले एक बैड के लिए इधर से उधर भाग रहे हैं, उन्हें बैड नहीं मिल रहा ऐसे में दिल्ली सरकार ने जजों और कोर्ट के अफसरों के लिए फाइव स्टार होटल में सौ बैड बुक कर दिए। वाकई में हैरानी की बात है। इससे ऐसा मैसेज गया कि जब देश भर में हाहाकार है उस वक्त हमारे जजेज को अपनी फिक्र है। इस पर अदालत ने दिल्ली सरकार की जमकर क्लास ली। हाईकोर्ट ने कहा कि हमने तो दिल्ली सरकार को होटल रिजर्व करने के लिए नहीं कभी नहीं कहा था। अदालत ने सिर्फ इतना कहा था कि अगर हाईकोर्ट के स्टाफ को अस्पताल की जरूरत पडे तो उसे सुविधा दी जाए। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि हमने दो अधिकारियों को खो दिया है और आप उल्टे सीधे ऑर्डर जारी कर रहे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट की नाराजगी जायज है। जनता परेशान है। सरकार एक्शन में दिख रही हैष मरीजों को बेड मिल नहीं रहे तो एक ही उम्मीद बचती है कोर्ट से, जजेज से। आज दिल्ली हाईकोर्ट ने लोगों के मन की बात सरकार से कही है। दिल्ली में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि एक कोविड हॉस्पिटल खुलता है और दो से तीन घंटें में सारे बेड फुल हो जाते हैं। कुछ ही घंटों के बाद हॉस्पिटल के गेट पर फिर रोते बिलखते लोग और तड़पते मरीजों की लाइनें लग जाती है। कल दिल्ली में सरदार पटेल कोविड सेंटर शुरू हुआ था। 500 बेड वाला ये सेंटर शुरु हुआ। इसमें अभी 150 बेड्स ऑपरेशनल हुए हैं लेकिन कुछ ही घंटों में सारे 150 बैड्स फुल हो गए। इसी तरह DRDO की तरफ से जो 500 बेड वाला सेंटर खोला गया उसमें भी सारे बेड्स ऑक्यूपाई हो चुके हैं। इन सेंटर्स के बाहर मरीजों की लाइन लगी है।
अरविन्द केजरीवाल दावा कर रहे हैं कि अगले तेरह दिनों में दिल्ली में अलग अलग जगहों पर 1200 ICU बेड्स का और इंतजाम किया जाएगा। दिल्ली के रामलीला ग्राउंड, जीटीबी अस्पताल के पास और सरदार पटेल कोविड सेंटर में बेड्स बढ़ाए जाएंगे। आज से ही इन जगहों पर कोविड सेंटर बनाने का काम तेजी से शुरू भी हो गया। 10 मई तक इन्हें ऑपरेशनलाइज करने की डेडलाइन दी गई है। हमारे संवाददात भास्कर मिश्रा ने बताया कि जीटीबी हॉस्पिटल के बगल में एक ग्राउंड है, इसे कोविड केयर सेंटर में तब्दील किया जा रहा है। दिल्ली के पड़ोसी हरियाणा और गाजियाबाद में हालात खराब हो रही है जहां अचानक हॉस्पिटल वालों ने मरीजों के रिश्तेदारों से कह दिया कि ऑक्सीजन का इंतजाम करो, कुछ ही घंटों की ऑक्सीजन बची है। इससे मरीजों के परिवार वाले परेसान हो गए और सरकार से मदद की गुहार लगाने लगे।
हरियाणा पर इल्जाम ये भी है कि आंकड़े कम करके दिखाए जा रहे हैं। जब रिपोर्टर्स ने चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल खट्टर से इसके बार में पूछा तो उन्होंने बहुत ही बाहियात और बेतुका जबाव दिया। खट्टर ने कहा कि इस वक्त आंकड़ों का कोई मतलब नहीं है। प्राकृतिक आपदा है। इसमें सरकार क्या कर सकती है। जो मर गया उस पर चिल्लाने से, शोर मचाने से वो जिंदा तो नहीं हो जाएगा। अगर एक राज्य का चीफ मिनिस्टर इस तरह की बात कहना तो दूर सोचता भी है तो फिर उस राज्य के सिस्टम का भगवान ही मालिक है।
लखनऊ में भी ऑक्सीजन की डिमांड बहुत अधिक है। लखनऊ में ऑक्सीजन प्लांट के बाहर सैंकड़ों मीटर लंबी लाइनें देखेंगे तब आपको सिचुएशन का अंदाजा होगा। आज हमारी संवाददाता रुचि कुमार ने लाइन में लगे लोगों से बात की, उनकी स्थिति को समझा। 40 डिग्री के टेंपरेचर में भी लोग 12-12 घंटे से लाइनों में लगे हैं। कोई रात से वेट कर रहा है तो कुछ लोग सुबह 4 बजे से बैठे हुए हैं। ये हालात लखनऊ शहर से 25 किलोमीटर दूर के ऑक्सीजन प्लांट की है। पिछले कुछ दिनों में इस प्लांट ने अपनी कैपेसिटी को डबल कर लिया और 13 सौ से बढ़ाकर 26 सौ सिलेंडर्स को डेली रिफिल कर रहे हैं लेकिन ऑक्सीजन की लाइन खत्म ही नहीं हो रही।
ऐसी ही एक तस्वीर महाराष्ट्र के बीड से आई। यहां एक एंबुलेंस के अंदर 22 शवों को श्मशान पहुंचाया गया। जी हां ठीक सुना आपने। एक एंबुलेंस में 22 लाशें। एंबुलेंस वैसे भी बहुत बड़ी नहीं होती। इसमें एक या दो मरीजों को ही ले जाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र के बीड में एक एंबुलेंस के अंदर 22 शव ठूंस दिए गए। जब लोगों ने एक एंबुलेंस में 22 शवों को देखा तो प्रशासन पर सवाल उठे। अस्पताल की तरफ से सफाई दी गई कि उसके पास 2 ही एंबुलेंस हैं। सरकार से पांच एंबुलेंस की और मांग की गई थी। एक महीने से ज्यादा हो गया अभी तक एक भी एम्बुलेंस नहीं मिली है।
इन हालातों को देखते हुए मैं केवल इतना हीं कह सकता हूं कि संकट के समय ही जागना सरकार का कर्तव्य नहीं है और जब संकट बहुत अधिक बढ़ जाता है तब सरकार उसका समाधान निकालने के लिए हाथ-पैर मारना शुरू कर देती है। लोगों ने अपनी सरकार से अपेक्षा की थी कि कोरोना महामारी के दूसरे और सबसे खतरनाक वेब से निपटने के लिए पहले से कोई योजना और व्यवस्था तैयार रखी होगी। सरकारें इस मोर्चे पर विफल पाई गईं। वे इस महामारी की विशाल लहर का अनुमान लगाने में विफल रहे। कुछ हफ्ते पहले, दिल्ली के डिप्टी सीएम हरियाणा और पड़ोसी राज्यों को ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा डालने का आरोप लगा रहे थे। अब जब भारत के अंदर और बाहर से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और मेडिकल ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ रही है, तो इसने आशा की कुछ किरणों को जन्म दिया है। अगर सरकारें ऑक्सीजन और दवा संकट को लेकर पहले से सतर्क होतीं, तो वे बड़ी संख्या में होने वाली मौतों को रोक सकती थीं।
मैं एक बार फिर से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों से अपील करूंगा कि टीकाकरण के लिए CoWin पोर्टल पर खुद को रजिस्टर करना शुरू करें। टीकाकरण जरूरी है, और घरों के अंदर भी मास्क पहनना, आपको कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। आपका मास्क वायरस को आपके शरीर में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक कवच का काम करेगा।