दुनिया को जिस दिन यह अच्छी खबर मिली कि अमेरिकी बायो टेक कंपनी मॉडर्ना कोरोना वैक्सीन का फाइनल ट्रायल शुरू करने जा रही है, उसी दिन ऐसी भी खबरें आईं कि मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद में ठगों के गिरोह कोरोना मरीज़ों को प्लाज्मा डोनेशन के नाम पर न सिर्फ लूट रहे हैं, बल्कि उन्हें उल्लू बना रहे हैं।
भारत में कोरोना वायरस के नए मामलों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, बुधवार को रिकॉर्ड 32,498 नए मामले दर्ज किए गए। दुनिया में सबसे ज़्यादा संक्रमित देशों की लिस्ट में भारत इस वक्त तीसरे स्थान पर है और कुछ दिनों में भारत का आंकड़ा 10 लाख को छूने वाला है। भारत में कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 24,860 हो गई है। ऐसे में कोरोना से ठीक होने वाले लोगों के प्लाज्मा के लिए अस्पतालों में मांग बढ़ गई है, क्योंकि प्लाज़्मा थेरपी के ज़रिए ही गंभीर हालत वाले मरीज़ों का इलाज हो रहा है। ऐसी हालत में कुछ बेईमान लोग झूठ का सहारा लेकर पैसा कमाने में लग गए हैं।
मैं आपको कोरोना के संकट में भी इंसानियत के दुश्मनों से आगाह करना चाहता हूं, सावधान करना चाहता हूं। ऐसे ज्यादातर लोग कोरोना मरीज के रिश्तेदार को यह कहकर धोखा देते हैं कि, ठीक हो चुके व्यक्ति ने प्लाज्मा डोनेट किया है, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता। दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में ऐसे कई गैंग एक्टिव हैं जो दावा करते हैं उनके पास ऐसे प्लाज्मा डोनर हैं जो कोरोना वायरस से ठीक हुए हैं। ये गैंग सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए लोगों को लूटते हैं।
इस तरह की गड़बड़ और जालसाजी की रिपोर्ट्स सबसे ज्यादा मुंबई से आ रही हैं, लोगों ने साइबर क्राइम डिपार्टमेंट में फर्जीवाड़े की कई शिकायतें दर्ज की हैं। आप जानते हैं मुंबई में कोरोना का भयंकर इन्फैक्शन है, यहां अभी तक करीब 96 हज़ार लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और इनमें से 5400 लोगों की मौत भी हो चुकी है। गंभीर कोरोना मरीजों के लिए वहां पर प्लाज्मा डोनर्स की भारी कमी है।
कुछ बेईमान लोग वॉट्स ऐप पर ग्रुप बनाकर मैसेज फ्लोट करते हैं कि अगर किसी को कोविड 19 से रिकवर पेशेंट्स के प्लाज्मा की जरूरत है तो सीधा कॉन्टैक्ट करें। ऐसे कई ग्रुप सोशल मीडिया पर एक्टिव है, लोग इनके झांसे में फंस जाते हैं। चूंकि प्लाज्मा डोनेट करने के लिए रिकवरी रिपोर्ट के साथ फिटनेस सर्टिफिकेट की भी जरूरत होती है, इसे लेकर साइबर क्रिमिनल्स नकली सर्टिफिकेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।
महाराष्ट्र साइबर क्राइम के आई जी ने बताया कि इंटरनेट पर 10 लाख रुपए तक में प्लाज्मा की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। इसके बाद महाराष्ट्र साइबर सेल ने 4 टीम बनाई और अपनी जांच शुरू की। जांच में पता चला कि डार्क वेब के जरिये ये पूरा खेल किया जा रहा है। कुछ मामलों में 40 मिलीलीटर प्लाज्मा के लिए 30-40 हजार रुपए तक मांगा जाता है।
कई बार तो बैंक एकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के बाद भी मरीज तक प्लाज्मा देने वाला डोनर नही पहुंच पाता। कुछ ठग ऐसे हैं जो अस्पतालों और लैब्स के चक्कर लगाते हैं और ये पता लगाते हैं कि किस अस्पताल में, कौन सा मरीज़ को-मॉर्बिड पेशेंट है। यानी जिसे किडनी, लीवर, डायबिटीज या बीपी जैसी बीमारी पहले से है और उसे अब कोरोना का इन्फैक्शन भी है। वे ऐसे फर्जी डोनर का प्रबंध करते हैं जिसका कभी कोरोना इलाज हुआ ही नहीं। गैर-कोरोना डोनर का प्लाज्मा कोरोना रोगी को चढ़ाना खतरनाक हो सकता है और ठगी का ये तरीका मरीज की जान भी ले सकता है, क्योंकि मरीज को हमेशा गलत प्लाज्मा चढने का खतरा बना रहता है।
दिल्ली में भी खुद दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल इस धोखे का शिकार हो गए। रामनिवास गोयल के किसी रिश्तेदार को ब्लड प्लाज्मा की जरूरत थी, इसके लिए सोशल मीडिया पर प्लाज्मा डोनेट करने के लिए एक पोस्ट डाला, पोस्ट पर रिएक्शन आया, एक शख्स की तरफ से कहा गया कि वो राम मनोहर अस्पताल का डॉक्टर है, कोरोना से ठीक हो चुका है, फिटनेस सर्टिफिकेट भी है और प्लाज्मा डोनेट करना चाहता है। लेकिन प्लाज्मा डोनेट करने के लिए ट्रांसपोर्ट चार्ज मांगा, एक बार नहीं दो बार पैसे लिए। लेकिन इसके बावजूद जब ये शख्स प्लाज़मा डोनेट करने नहीं पहुंचा, फोन पर भी कॉन्टैक्ट नहीं किया, तब जाकर राम निवास गोयल ने दिल्ली के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। हालांकि पुलिस ने कॉल डिटेल्स के आधार पर राहुल उर्फ अब्दुल करीम राणा को गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली पुलिस लोगों से अपील कर रही है कि सोशल मीडिया पर कई गिरोह इस वक़्त प्लाज्मा डोनेट के नाम पर लोगों को शिकार बना रहे है जिसके लिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
इसी तरह हैदराबाद में भी खुद को संदीप रेड्डी बताने वाले एक साइबर हैकर ने ट्रैवल चार्ज के नाम पर एक महिला कोरोना मरीज के पोते से 5000 रुपए वसूल लिए। इसी तरह संदीप ने प्रेरणा नाम की भी एक महिला से प्लाज्मा के नाम पर 3000 रुपए ले लिए और गायब हो गया।
महामारी के समय लोगों के साथ धोखाधड़ी करना एक गंभीर अपराध है और इसपर तुरंत रोक लगनी चाहिए। इलाज के नाम पर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाना, उनसे पैसे ऐंठना, ये गुनाह है। ऐसा करने वाले इंसान नहीं कहे जा सकते, उनकी संवेदनाएं मर चुकी हैं। ये सिर्फ कोरोना के खौफ से परेशान लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं।
असल में जब से लोगों को ये पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के ठीक होने की संभावना होती है तो लोग प्लाज्मा के लिए भागने लगे, हर कोई अपने रिश्तेदार को बचाना चाहता है। और बेईमान लोग इस स्थिति का फायदा उठाने में लगे हैं। प्लाज्मा डोनेशन के लिए आईसीएमआर ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किये है, लेकिन उनका भी पालन नहीं हो रहा।
दिल्ली हाईकोर्ट में पिछले दिनों एक PIL फाइल की गई थी कि दिल्ली सरकार कोरोना से रिकवर कर चुके पेंशेंट के लिए प्लाज्मा डोनेट करना अनिवार्य कर दे। लेकिन हाईकोर्ट ने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि किसी के साथ प्लाज्मा के लिए जबरदस्ती नहीं की जा सकती। दिल्ली सरकार ने प्लाज्मा बैंक बनाए हैं, लोग चाहें तो वहां डोनेट कर सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद ठीक हो चुके रोगियों के प्लाज्मा की मांग बढ़ती जा रही है।
मैं सभी से अपील करता हूं कि जब भी कोई प्लाज्मा डोनेशन के लिए पैसे की मांग करे तो सावधान रहें। हर व्यक्ति का जीवन बहुमूल्य है लेकिन कोई भी किसी के जाल में न फंसे।
कोरोना महामारी का डर तब तक बना रहेगा जबतक कोई कारगर वैक्सीन नहीं आ जाती। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘Good News on Vaccines’ लिखकर ट्वीट किया है, लेकिन हमें धैर्य बनाए रखना है क्योंकि किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले वैज्ञानिक अपना समय लेंगे। वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। मैनें कई विशेषज्ञों से बात की। उन सभी की एक राय है कि कोई भी वैक्सीन इस साल के अंत से पहले नहीं आएगी। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 15 जुलाई 2020 का पूरा एपिसोड