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Rajat Sharma’s Blog: भीड़ कैसे बन रही है कोरोना वायरस फैलने की वजह

भीड़ जमा कर आप आपदा को निमंत्रण दे रहे हैं। ये याद रखें कि कोरोना वायरस मंदिर और मस्जिद में फर्क नहीं करता। भीड़ हिंदू लगाएं या मुसलमान, कोरोना का वायरस कोई भेदभाव नहीं करता।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: May 11, 2021 16:00 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

कोरोना महामारी को लेकर सोमवार को थोड़ी राहत रही। देशभर में नए मामलों की संख्या 4 लाख के आंक़ड़े से नीचे रही जो पिछले चार दिनों से लगातार बढ़ रही थी। पिछले 24 घंटों में करीब 3.66 लाख नए मामले सामने आए हैं जबकि सक्रिय मामलों की संख्या में केवल 9 हजार की उछाल दर्ज की गई है। पिछले 55  दिनों से नए मामलों में लगातार आ रहे उछाल के बाद यह कमी देखने को मिली है।  देश के 18 राज्यों में लॉकडाउन औऱ नाइट कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगी हुई हैं इस वजह से रफ्तार में कुछ कमी आती दिख रही है।

सोमवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने आपको दिखाया कि कैसे यूपी के बदायूं में एक मौलाना के जनाजे में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए। यहां जब जिला काज़ी हजरत शेख अब्दुल हमीद मोहम्मद सालिम उल कादरी, जिन्हें सलीम मियां के नाम से भी जाना जाता था,  का आखिरी जनाजा निकला तो  सारे नियम धरे के धरे रह गए। यहां हजारों लोग जनाजे में इकट्ठा हो गए। कब्रिस्तान तक आखिरी सफर के दौरान बदायूं की गलियों में कहीं पांव रखने तक की जगह नहीं थी। यह ऐसे समय में हो रहा था जब योगी सरकार ने पूरे राज्य में 17 मई तक कर्फ्यू को बढ़ा दिया है।कोरोना की चेन ब्रेक करने के लिए पाबंदियां लगाई जा रही हैं। लोगों को भीड़ न करने की सलाह दी जा रही है। सख्ती बढाई जा रही है। शादी और अंतिम संस्कार में लोगों की एंट्री सीमित कर दी गई। अंतिम संस्कार में सिर्फ 20 लोगों को इजाजत है लेकिन भीड़ देखकर ऐसा लगा जैसे 20 हजार लोग इकट्ठा हो गए और कब्रिस्तान पहुंच गए।

इस तरह की अऩुशासनहीनता कोरोना को खुला आमंत्रण देना है। वायरस की जिस चेन को ब्रेक करने के लिए इतनी मेहनत हो रही है, इस जनाज़े ने उनपर पानी फेर दिया।  पुलिस द्वारा बार-बार भीड़ इकट्ठा न होने की अपील के बावजूद, हजारों लोग अपने घरों से बाहर आए और अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

ऐसी स्थिति किसी खास राज्य या शहर तक ही सीमित नहीं है। इस तरह कोरोना को फैलाने वाली भीड़ तो लगातार जुट रही है। ओडिशा के बेरहामपुर में सोमवार को एक मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर सैकड़ों महिला श्रद्धालुओं की भीड़ सड़क पर आ गई। आपको याद होगा इसी तरह की तस्वीरें कुछ दिन पहले गुजरात के साणंद जिले से आई थीं। यहां महिलाएं सिर पर मटका लेकर इसलिए घर से बाहर निकली थीं क्योंकि उनके गांव में 15 दिन से कोरोना का कोई केस नहीं आया था। वो भगवान का शुक्रिया अदा करने गई थीं। लेकिन ओडिशा के बेरहामपुर में नए मंदिर का उद्घाटन होना था लिहाजा लॉकडाउऩ की परवाह किए बगैर महिलाएं इकट्ठा हुईंऔर मंदिर की तरफ चल पड़ीं। लेकिन जैसे ही इस बात की जानकारी जिला प्रशासन को लगी तुरंत सीनियर अफसर मौके पर पहुंचे। एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने मंदिर के पुजारियों से बात की, लोगों को बताया कि धारा 144 लगा हुआ है, चार से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी है। लोगों को वापस भेजा और  फिर मंदिर के गेट को लॉक करवा दिया।

 
हरिद्वार से भी इसी तरह की तस्वीरें आई। यहां गंगा घाट पर अस्थि विसर्जन और कर्मकांड के लिए रोजाना सैकड़ों लोग आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर वे लोग हैं जिनके रिश्तेदारों की हाल में कोरोना के चलते मौत हुई है। उत्तराखंड में लॉकडाउन लगा हुआ है और सख्त पाबंदिया हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं हैं। कोई हरियाणा से पहुंचा है, कोई दिल्ली से  तो कोई मध्य प्रदेश से। आपको याद होगा कि हाल में हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन हुआ था और बड़ी तादाद में श्रद्धालु इकट्ठे हुए थे। इसका नतीजा ये हुआ कि कोरोना तेजी से फैला। आंकड़ों पर नजर डालें तो ये डरानेवाले हैं। एक अप्रैल से सात मई तक उत्तराखंड में एक लाख तीस हजार से ज्यादा नए केस सामने आए। यानी जितने केस अभी तक पूरे राजय में रिकॉर्ड किए उसके 50 परसेंट से ज्यादा केस तो इस एक महीने में ही सामने आए। इतना ही नहीं उत्तराखंड में कोरोना से अब तक 3400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले सोमवार को राज्य में 5,541 नए मामले सामने आए जबकि एक्टिव मामलों की संख्या 74,480 है।

उधर बिहार में वैक्सीनेशन सेंटर्स पर काफी भीड़ उमड़ रही है। पटना, जहानाबाद, मधुबनी, बेगूसराय और अन्य जिलों में 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों का वैक्सीनेश शुरू हो चुका है। लोग वैक्सीन लगवाने का इंतजार कर रहे हैं।  रजिस्ट्रेशन के बाद लोगों को जो टाइम स्लॉट दिया गया, उस वक्त उन्हें वैक्सीन नहीं लगी, इसका नतीजा ये हुआ कि वैक्सीनेशन सेंटर्स पर लोगों की भारी भीड़ नजर आई। यहां सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। इस तरह से कोरोना फैलने का खतरा और भी बढ़ेगा। वैक्सीनेशन सेंटर्स पर भीड़ बढ़ने के बाद हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस भेजनी पड़ी। वैक्सीनेशन सेंटर्स पर भीड़ इकट्ठी न हो, इसके लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू करने की जरूरत है। 

भीड़ चाहे जनाज़े के लिए इकट्ठा हो या कर्मकांड के लिए या फिर वैक्सीनेशन के लिए, ये अपराध है। क्योंकि भीड़ जमा कर आप एक आपदा को निमंत्रण दे रहे हैं। और याद रखें कि कोरोना वायरस मंदिर और मस्जिद में फर्क नहीं करता। भीड़ हिंदू लगाएं या मुसलमान, कोरोना का वायरस कोई भेदभाव नहीं करता। वायरस के शिकार ऑक्सीजन से तड़पते लोग हर धर्म के हैं, हर वर्ग के हैं। श्मशान में चिताओं के लिए जगह कम है तो कब्रिस्तान में भी लाशों को इंतजार करना पड़ रहा है। अगर ऐसे समय में हजारों लोग इकट्ठा होंगे, कोरोना फैलाएंगे तो फिर वे सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते। 

ऐसे लोगों को मैं चेतावनी देना चाहता हूं कि खतरा अब पहले से ज्यादा बड़ा है। कोरोना वायरस लगातार अपने रूप खतरनाक तरीके से बदल रहा है। इसके नए-नए वेरिएंट्स सामने आ रहे हैं। ये पहले से भी ज्यादा जानलेवा हैं। मैंने कई डॉक्टर्स से बात की। वे मानते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर का पीक अभी आना बाकी है, इसीलिए बहुत सावधान रहने कीजरूरत है। दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर भी आ सकती है, उसका सामना करने के लिए तैयारी करनी है। मैं अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल ने कोरोना की जो नई गाइडलाइंस जारी की उसके बारे में एक बात बताना चाहता हूं। अमेरिका की हेल्थ अथॉरिटी का कहना है कि अब ये वायरस हवा में फैल गया है, एयर बॉर्न हो चुका है। अब तक तो 6 फीट की दूरी की बात होती थी, लेकिन नए रिसर्च से पता चला है कि अब दो गज की दूरी भी इस वायरस के संक्रमण की चेन रोकने में कारगर साबित नहीं होगी। ये वायरस मिस्ट पार्टिकल के तौर पर ट्रांसमिट होने के साथ-साथ फैलता है। यानी अगर कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज है और वो सांस के साथ जब रेस्पिरेट्री फ्लूड बाहर छोड़ता है तो ये वायरस मिस्ट पार्टिकल के रूप में हवा में काफी देर तक रहता है। खासकर उन जगहों पर ज्यादा खतरा है जहां खराब वेंटिलेशन हैं। ऐसे में ये एरोसॉल काफी वक्त तक तैरता रहता है और एक-ेएक मीटर से ज्यादा दूरी को कवर करते हुए हवा में फैलकर दूसरे लोगों को इंफेक्शन दे सकता है।

सोमवार को बिहार के बक्सर और यूपी हमीरपुर से दिल दहलानेवाली तस्वीरें आईं। यहां गंगा नदी में लाशें बहती दिखाई दीं। बक्सर जिले के चौसा के महादेव घाट पर सोमवार को गांववालों ने करीब 30 तैरती हुई आधी जली हुई लाशें देखी। कुछ ग्रामीणों ने लाशों की संख्या150 बताई लेकिन जिला प्रशासन ने लाशों की संख्या 30 होने की बात कही। बक्सर के डीएम ने कहा कि ये लाशें स्थानीय लोगों की नहीं हैं।  ये उत्तर प्रदेश से बहकर आ रही हैं क्योंकि जिस तरह शव फूले हुए हैं उसे देखकर लग रहा है कि इन्हें 5 से 6 दिन पहले गंगा में प्रवाहित किया गया होगा। स्थानीय प्रशासन ने इन शवों का अंतिम संस्कार कराया। 

गंगा में बहती ये लाशें कितनी महामारी फैलाएंगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। कौन कह सकता है कि वायरस को ये कहां-कहां ले जाएंगी? ये सही है कि आजकल अंतिम संस्कार करना मुश्किल है। शव को श्मशान तक ले जाना भी मुश्किल है। वहां जलाने के लिए जगह मिल पाना तो और भी मुश्किल है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शवों को कोरोना का कैरियर बना दिया जाए। जब कोरोना जैसी महामारी फैली हो तब लाशों को गंगा में फेंकना कितना बड़ा अपराध है, इसका तो अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
 
कोरोना की दूसरी लहर ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बड़ी तबाही मचाई है। यहां पिछले तीन हफ्ते में 18 कार्यरत प्रोफेसरों की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है। ये हाल तब है जब AMU के पास अपना मेडिकल कॉलेज है। यानी इन प्रोफेसरों को इलाज वक्त पर मिल गया लेकिन फिर भी बचाया नहीं जा सका। अगर नॉन टीचिंग स्टाफ को भी मिला दिया जाए तो इस दौरान करीब 45 लोगों की जान जा चुकी है। मौत की इस बेकाबू रफ्तार ने AMU प्रशासन की नींद उड़ा दी है। अब अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज की तरफ से ICMR के डायरेक्टर को एक चिट्ठी लिखकर जांच कराने की मांग की गई है। चिट्ठी में लिखा गया है कि उन्हें शक है कि अलीगढ़ के सिविल लाइन्स इलाके में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट एक्टिव है, इसकी जांच कराई जाए। आपको बता दें कि सिविल लाइंस इलाके में ही AMU का ज्यादातर स्टाफ रहता है। हालांकि, नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा है कि जिन प्रोफेसरों की मौत हुई उनमें 15 ऐसे थे जो कोरोना के मरीज या संदिग्ध थे, और तीन प्रोफेसरों की मौत अन्य वजहों से हुई।

कोरोना की दूसरी लहर ने अगर हमें हर रोज़ मौत का खौफ दिखाया तो इसके साथ ही इसने ये भी दिखाया इंसान लालच में किस हद तक गिर सकता है। चंद पैसों के लालच में वह लाश और कफन का सौदा कर सकता है। ऐसी ही एक खबर उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से आई। यहां कुछ लोग अंतिम संस्कार के लिए लाई गई लाशों के शरीर से कफन. कपड़े, शॉल और चादरें तक उतार लेते थे। इन कपड़ों को धोकर, नया स्टिकर लगाकर मार्केट में बेच देते थे। इस पूरे धंधे का सरगना प्रवीण जैन नाम का व्यापारी था। श्मशान और कब्रिस्तान से कफन और कपड़े चुराने के बदले ये रोजाना 300 रुपये की मजदूरी देता था। पुलिस ने इनके पास से 520 चादर, 127 कुर्ते, 140 कमीज, 34 धोती, 12 शॉल और 52 साड़ियां बरामद की है। ये सोचकर ही गुस्सा आता है कि कोई इंसान किसी लाश से कफन भी नोच सकता है।

कफन चोरों के बाद खून से कमाई करनेवाले भी सक्रिय हैं। कुछ लोगों ने प्लाज्मा को कमाई का जरिया बना लिया है। महाराष्ट्र के नागपुर में प्लाज्मा की एक यूनिट 15 से 20 हज़ार के बीच बिक रही है। हालांकि सरकार ने एक यूनिट का रेट साढ़े पांच से छह हज़ार के बीच तय कर रखा है.लेकिन इस वक्त शायद ही कोई चीज हो जो सही दाम पर मिल रही है। कोरोना के इलाज में काम आने वाली हर चीज की ब्लैकमार्केटिंग की जा रही है। 

कोरोना काल में लोगों को किस-किस तरह लूटा जा रहा है, ये सुनकर यकीन ही नहीं होता है। धोखेबाज और लुटेरे अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहे हैं। मध्य प्रदेश के जबलपुर लाइफ सेविंग रेमडेसिविर इंजेक्शन का काला धंधा एक हॉस्पिटल का संचालक चला रहा था। जबलपुर सिटी हॉस्पिटल में मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जा रहे थे। ये सब हॉस्पिटल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा के इशारे पर हो रहा था। इस रैकेट के तार गुजरात से जुड़े थे। जबलपुर के इस रैकेट का खुलासा तब हुआ जब गुजरात पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन रैकेट की जांच के लिए जबलपुर आई। जांच में पता चला कि नकली इंजेक्शन का सौदा इंदौर में हुआ था जहां कोरोना रोगी की पत्नी को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन देकर उससे 40 हजार रुपये लिए गए थे। पुलिस का कहना है कि सिटी हॉस्पिटल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा ने नकली इंजेक्शन का काला खेल अपने एक कर्मचारी देवेश चौरसिया और भगवती फार्मा सेल्स के मालिक सपन जैन के साथ मिलकर खेला था।  पुलिस ने इन तीनों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। तीनों आरोपियों की तलाश जारी है।

'आज की बात' में हमने उस महिला के बारे में बताया जो रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के चक्कर में धोखेबाजी का शिकार हो गई। उससे ऑनलाइन पैसे जमा करवा लिए गए और जिस शख्स ने रेमडेसिविर देने का वादा किया था वो गायब हो गया। इसी तरह के एक और ेमामले में दिल्ली की एक अन्य महिला को भी धोखेबाजों ने 15 हजार रुपये का चूना लगाया। इस महिला को दो ऑक्सीजन सिलेंडर देने का वादा किया गया था। इसी तरह नेशनल लेवल की निशानेबाज आयशा फलक के साथ भी धोखा हुआ। उनसे ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए 5 हजार रुपये लिए गए लेकिन आयशा को सिलेंडर नहीं मिला।

जमाखोरी, मुनाफाखोरी और धोखाधड़ी से पैसा कमाना बहुत गलत काम है। पुलिस को ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ाई से कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें ऐसी सजा दी जानी चाहिए कि कोई दूसरा व्यक्ति फिर ऐसी हरकत करने की हिमाकत न कर सके। नकली इंजेक्शन बेचने को अमानवीय और आपराधिक कृत्यों में गिना जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकारें ऐसे मुनाफाखोरों और धोखेबाजों के बारे में लोगों को अलर्ट करेंगी जो हर जगह, खासकर सोशल मीडिया पर घात लगाए रहते हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 10 मई, 2021 का पूरा एपिसोड

 

 

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