करीब 72 घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद बिहार की राजधानी पटना में बड़े पैमाने पर जलभराव हो गया। इस जलभराव से शहर की करीब 20 लाख में से 16 लाख आबादी प्रभावित हो गई। गंगा के बढ़ते जलस्तर ने शहर के बड़े हिस्से को जलमग्न कर दिया है, जिसकी वजह से इस शहर के लाखों निवासियों को बगैर बिजली और फोन कनेक्शन के बिना रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पटना में पिछले 50 वर्षों में हुई यह सर्वाधिक बारिश है। जो लोग इस जलभराव में असहाय नजर आए उनमें बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी शामिल हैं। उन्हे और उनके परिवार के सदस्यों को राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने नाव के जरिये रेस्क्यू किया। शहर में हजारों गाड़ियां इस जलभराव में पूरी तरह से डूब गईं। इस आपदा में फंसे असहाय लोगों को तीन दिनों तक बिना पेयजल के रहना पड़ा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को पटना के जलमग्न इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। भारी बारिश ने बिहार के 15 अन्य जिलों में भी नुकसान पहुंचाया है। गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से नालंदा और जहानाबाद में भी तटबंधों को नुकसान पहुंचा है।
पटना में जलभराव की मुख्य वजह शहर की जल निकासी व्यवस्था के प्रति स्थानीय अधिकारियों की अक्षम्य उदासीनता है। शहर में नालियां बिना किसी वैज्ञानिक योजना के वर्षों से बनती गई । पिछले कई दशकों में, गंगा की बाढ़ की जद में आनेवाले निचले इलाकों पर ही प्रशासन का ध्यान केन्द्रित था। गंगा के जलस्तर में अतिशय वृद्धि होने की स्थिति में शहर के अन्दर जलभराव को रोकने के लिए कोई योजना नहीं थी।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने यह कहकर एक असंवेदनशील टिप्पणी की कि 'हथिया नक्षत्र' के दौरान भारी बारिश हमेशा गंभीर होती है। इक्कीसवीं सदी में कोई मंत्री ये कहे कि हथिया नक्षत्र के कारण ऐसे हालात बने, तो यह थोड़ा मजाक लगता है। हमारा पंचाग तो बरसों पहले बन जाता है। अगर मंत्री जी इतने ही ज्ञानी हैं या नक्षत्रों के सिद्धांत में उनका इतना विश्वास है,तो पंचाग देखकर पहले ही बता देते कि भारी बारिश होने वाली है। वे लोगों को अलर्ट कर सकते थे और इसकी तैयारी कर ली जाती।
पटना की तस्वीरों ने ये साफ कर दिया कि प्रशासन ने शहर के ड्रेनेज सिस्टम पर कभी ध्यान नहीं दिया। शहर की नालियां और नाले चोक हैं इसलिए शहर में पानी भर गया है। मॉनसून शुरू होने से पहले किसी ने इन्हें साफ कराने की जहमत नहीं उठाई। यह बिहार सरकार के लिए आंखें खोलनेवाली घटना है ताकि वह पटना और अन्य शहरों के ड्रेनेज सिस्टम को दुरूस्त करने पर ध्यान दे।
भारी बारिश की वजह से वाराणसी शहर के भी कई इलाकों में जलभराव हो गया और जिस वक्त वाराणसी की गलियों में पानी घुसा उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न्यूयॉर्क में थे। नरेंद्र मोदी को वाराणसी में बाढ़ की खबर वहीं मिली। मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की और इसके बाद केन्द्र सरकार में मंत्री महेन्द्र नाथ पांडे वाराणसी गए। रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी वाराणसी का दौरा किया।
असल में वाराणसी शहर के ड्रेनेज सिस्टम को दुरूस्त करने के लिए पिछले पांच वर्षों में करोड़ों रूपये खर्च हो चुके हैं। यह पता लगाने के लिए जांच होनी चाहिए कि अगर ड्रेनेज सिस्टम को दुरूस्त करने के लिए काम हुआ है तो फिर बारिश के वक्त शहर में पानी क्यों भरा और ड्रेनेज सिस्टम ने काम क्यों नहीं किया। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 30 सितंबर 2019 का पूरा एपिसोड