अब इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि चीन के सैनिक लद्दाख में गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से पीछे हट गए हैं। वे अपने टेंट उखाड़ चुके हैं और अपनी आर्टिलरी को भी वापस ले जा चुके हैं। गोगरा हॉट स्प्रिंग से भी पीछे हटने की प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में पूरी हो जाएगी, वहां चीनी सैनिक अपने ढांचों को हटा रहे हैं।
मज़े की बात यह है कि चीनी मीडिया अब अपनी सेना को दुनिया के सामने पीड़ित के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। चीनी सरकार नियंत्रित मीडिया ने आरोप लगाया कि भारत ने लद्दाख में युद्ध का माहौल बनाया और ‘विस्तारवादी’ इरादा भी भारत का था। चीनी मीडिया यह बताने की पूरी कोशिश कर रहा है कि उपग्रह से ली गई तस्वीरों में गलवान घाटी में दिखाए गए ढांचे भारतीय सेना के हैं। चीन के सरकारी टेलीविजन सीसीटीवी ने आरोप लगाया कि LAC के पास भारतीय सैनिकों का बड़ा जमावड़ा था और भारतीय प्रधानमंत्री खुद सैनिकों की होंसला अफजाई करने के लिए बॉर्डर पर गए।
चीन के सरकारी मीडिया ने आगे आरोप लगाया कि यह भारत है जिसने 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया और चीन के साथ व्यापार पर बंदिशें लगाई। चीनियों ने यह भी आरोप लगाया है कि भारत ने अमेरिका से हाथ मिलाया और रूस से विमान तथा हथियार खरीदने का ऐलान किया । भारत को युद्ध उन्मादी तथा चीन को निर्दोष बताने के लिए चीनी मीडिया भारत में फ्रांस से खरीदे गए राफेल विमान, रूस से खरीदे गए टैंक और ब्रह्मोस मिसाइल की तस्वीरें दिखा रहा है।
चीन के टीवी पर जो कुछ कहा जा रहा है , उसे ठीक से समझने की जरूरत है। सब जानते हैं कि चीन में टीवी पर वही दिखाया जाता है जो सरकार चाहती है, वहां सरकार का मीडिया पर पूरा कन्ट्रोल है। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का मीडिया पर पूर्ण नियंत्रण है और टीवी पर दिखाए जाने वाले सारे शो शीर्ष अधिकारियों की मंजूरी के बाद दिखाए जाते है।
चीन के टीवी शो पर एंकर ने अपने एक्सपर्ट गेस्ट से छह सवाल पूछे, गलवान में जो घटना हुई उसका जिम्मेदार कौन है? भारत के साथ सरहद पर जून में ही टकराव क्यों होता है? हिन्दुस्तान दूसरे देशों से हथियार क्यों खरीद रहा है ? इन सवालों में अजीत डोवल की मीटिंग का भी जिक्र हुआ, ये भी सवाल उठाया गया कि भारत ने चाइनीज ऐप्स बंद कर दिए, इसका कितना नुकसान होगा?
फिर एक सवाल ये था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ्रंट लाइन पर पहुंचे, इसका क्या असर होगा? इन सारे सवालों के जवाब एक्सपर्ट्स ने दिए। चीन के सरकारी मीडिया द्वारा बुलाए गए विशेषज्ञों ने भी अपना काम किया , अपने देश की नीतियों का बचाव करते हुए प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दिया।
चीन के टीवी पर चर्चा से जो तस्वीर उभरती है, उसका मतलब साफ है, पहली बात ये कि चीन इस बात से खासा नाराज है कि गलवान के इलाके में भारत ने इन्फ्रास्ट्रक्चर क्यों बनाया, दूसरा चीन को इस बात की तकलीफ है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते इतने गहरे कैसे हो गए, खासतौर पर ऐसे वक्त में जब चीन और अमेरिका के रिश्ते खराब हैं। साथ ही रूस से हथियार खरीदकर भारत ने जो माहौल बनाया, इसका भी असर चीन पर हुआ, तीसरा चीन को उसके ऐप्स पर लगी पाबंदी से भी चोट लगी और चौथी बात ये कि भारत ने चाइना से ट्रेड को लेकर जो रोक लगाई उसका भी चीन पर गहरा असर हुआ और इसके बाद चीन को सबसे ज्यादा परेशानी इस बात से हुई कि नरेन्द्र मोदी ने फ्रंटलाइन पर जाकर जवानों का हौंसला बुलंद किया।
इन सब बातों का चीन का अपना इंटरप्रिटेशन हैं, ये दिखाने का कि कैसे भारत उसे परेशान कर रहा है। लेकिन इन सब का ये असली मतलब नहीं है, सच्चाई तो ये है कि इन्ही सारी बातों से परेशान होकर या कहें कि घबरा कर चीन ने अपनी फौज को पीछे बुलाने का फैसला किया। ये नरेन्द्र मोदी की डिप्लोमैसी की, वॉर प्रिप्रेशन की जीत है और फ्रंटफुट पर खेलने की नीति का नतीजा है। इसीलिए चीन डर कर भागा है। लेकिन अब अपनी एंब्रैसमेंट को छुपाने के लिए खुद को विक्टिम बता रहा है।
हालांकि चीन की ये सब चालबाजी काम नहीं आएगी क्योंकि भारत के पास अब चीन की हर चाल और उसकी हर चतुराई का जवाब है। चीन ये ना सोचे कि फिलहाल उसकी फौज पीछे हट गई है और जब हिन्दुस्तान की सेना थोड़ा रिलैक्स हो जाएगी तो पलटवार करेगा, अगर इस बार चीन ने ऐसा किया कि तो उसे मुंह की खानी पड़ेगी।
60 सालों में पहली बार चीन को टकराव वाली जगहों से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा है। ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने मज़बूती दिखाई । वे सैनिकों को प्रेरित करने के लिए सीमा पर गये।
ऐसे नाजुक समय में 130 करोड़ जनता वाले देश के चुने हुए नेता मोदी को बॉर्डर पर जाकर सैनिकों को संबोधित करने का पूरा अधिकार है और तानाशाही को मानने वाले चीन को इसका विरोध करने का कोई हक़ नहीं है। चीन के सरकारी मीडिया का ये कहना भी सही है कि पीएम मोदी ने अपनी सेना को हमले का पलटवार करने की खुली छूट दे रखी है। ये सही है कि सशस्त्र बलों को निर्देशित किया गया था कि वे स्थिति और माहौल के आधार पर मौके पर सही निर्णय लें, दिल्ली से आदेश मिलने का इंतजार न करें। भारत में निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार ने सशस्त्र बलों के पीछे अपनी पूरी ताकत लगा दी, और संकट के समय ऐसा करना कोई गलत काम नहीं है।
चीनी मीडिया इस बात का भी हवाला दे रहा है कि उनके देश पर बेवजह आरोप लगाए जा रहे हैं, चीन का आरोप है कि LAC के पास भारत सड़क, पुल, हवाई पट्टी और हेलीपैड का निर्माण कर रहा था। चीनी मीडिया पूरी सच्चाई नहीं बता रहा। हमारी सेना का LAC पर नो मैन्स लैंड इलाके पर कब्जा करने का कोई इरादा नहीं है, जबकि चीनियों ने गैर कानूनी तरीके से अतिक्रमण करके ऐसा किया। अब जब चीनी सेना ने भारत की सेना की ताक़त और इरादों को देखा, तो उसने पीछे हटना सही समझा और अब उल्टे ये आरोप लगा रहा है कि भारत आक्रामक है।
सीमा पर पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद भारतीय सुरक्षाबल इस समय सतर्क हैं और चीन के सैनिकों की मूवमेंट पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। दिन के समय सेना के जवान और अधिकारी चीनी क्षेत्र पर नजर रखते हैं, जबकि रात में, हमारे मिग-29 लड़ाकू विमान, अपाचे हेलीकॉप्टर और चिनूक हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर निगरानी कर रहे हैं।
कहते हैं, दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है। असल में चीन के मामले में भारत दूध का जला है। एक बार नहीं कई बार जला है। 1962 में भी चीन की फौज पहले गलवान वैली से वापस लौटी थी, हमने चीन पर भरोसा किया था, और चीन ने पीठ में छुरा घोंप दिया, पलटवार किया। लेकिन अब वक्त बदल गया है, भारत बदल गया है। इसलिए अब चीन की हर चाल का जबाब देने की तैयारी है।
चीन की नई चाल क्या है ये भी आपको बताता हूं। चीन ने पैंगोंग सो इलाके में एक्विजिशन रडार तैनात किए हैं, चीन ने लोकल लोगों को रेकी करने के लिए रिक्रूट किया है ताकि हमारे जवानों की मूवमेंट पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा चाइना ने अपने 73 एवियेशन ब्रिगेड के साथ एक्सरसाइज की है
हालांकि हमारी सेना भी चीन की हर हरकत पर नजर रखे हुए है। चीन जितना गड़बड़ करेगा, उसे उतना ही नुकसान होगा। चीन को समझ लेना चाहिए कि नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को अब ड्रैगन को काबू करने का रास्ता दिखा दिया है। अब तो अमेरिका ने भी साफ कह दिया कि वो चाइनीज ऐप्स को बैन करने पर विचार कर रहा हैं। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पोंपियो ने कहा है ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन TikTok समेत कई चाइनीज ऐप्स पर बैन लगा सकता है। पोम्पिओ ने कहा, " अगर आप चाहते हैं कि आपकी निजी जानकारी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ चली जाए तो ही आप ऐप्स को डाउनलोड करें...... हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं"।
भारत में 59 चाइनीज ऐप्स पर बैन लगा तो चीन को 3 लाख 71 हजार करोड़ का नुकसान हुआ। अगर अमेरिका ने भी ऐसे कदम उठाए तो चीन का क्या हाल होगा।
अमेरिका, भारत से सबक सीख रहा है और चीन को सबक सिखा रहा है। पूरी दुनिया में नरेन्द्र मोदी की कूटनीति और रणनीति की तारीफ हो रही है। अब समय आ गया है कि चीन अपनी आक्रामक और विस्तारवादी हरकतों से बाज आये। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 07 जुलाई 2020 का पूरा एपिसोड