जब बुधवार को कश्मीर के सोपोर में अपने नाना बशीर अहमद खान के गोलियों से छलनी शरीर पर बैठकर रो रहे 3 साल के एक बच्चे की तस्वीरें पूरी दुनिया के सामने आईं, तो पाकिस्तान की फर्जी प्रॉपेगैंडा मशीन परेशान हो गई। यह एक ऐसी तस्वीर थी जो आतंकियों की घिनौनी असलियत जाहिर कर रही थी। वहीं, दूसरी तरफ बच्चे को आतंकियों की गोलीबारी से बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डालने वाले हमारे सुरक्षाबल के जवान के वीडियो ने दिखाया कि कैसे हमारे बहादुर सुरक्षाकर्मी आतंकियों से लोहा लेते हुए निर्दोष लोगों की जान बचाने की कोशिश में जुटे हैं।
वह 3 साल का बच्चा अब श्रीनगर में अपने माता-पिता के साथ सुरक्षित है, लेकिन पाकिस्तान की फर्जी प्रॉपेगैंडा मशीन ने इस दौरान तमाम झूठ गढ़ लिए। इसने आरोप लगाया कि सीआरपीएफ के जवानों ने बशीर अहमद खान को, जो कि गोलीबारी में फंस गए थे, उनकी कार से बाहर निकाला और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। पाकिस्तानी प्रॉपेगैंडा मशीन ने इस बात का कोई जिक्र नहीं किया कि फायरिंग के दौरान एक सुरक्षाकर्मी कैसे भागते हुए गया, बच्चे को गोद में उठाया और उसे लेकर सुरक्षित जगह पर पहुंच गया। इस बात का कहीं रत्ती भर भी जिक्र नहीं है।
CRPF के जवानों द्वारा बशीर अहमद खान को जान से मारने का पाकिस्तानी प्रॉपेगैंडा और कुछ ही देर बाद बच्चे को बचाने के लिए भागते हुए पुलिसकर्मी का वीडियो किसी आला दर्जे के स्क्रिप्ट राइटर को भी चक्कर में डाल सकता है। ऐसा लगता है कि इस प्रॉपेगैंडा के पीछे का मास्टरमाइंड चीन है। कैसे?
29 जून को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, जो कि कई दशकों से बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ने वाला संगठन है, के 4 लड़ाकों ने कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमला किया। इस हमले के दौरान हुई गोलीबारी में चारों बलूच लड़ाकों समेत कुल 8 लोग मारे गए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस हमले का आरोप भारत पर लगाया। उन्होंने नेशनल असेंबली में कहा, ‘हमारे सुरक्षाबलों ने लड़ाई लड़ी और एक बड़ी त्रासदी को नाकाम कर दिया जिसकी योजना हमारे पड़ोसी देश भारत ने बनाई थी।’ उन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में भारत के खिलाफ एक भी सबूत नहीं दिया, क्योंकि उनके पास कुछ था ही नहीं।
पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय इसके बाद चीन की मदद से इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले गया। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। अमेरिका और जर्मनी ने इसके ड्राफ्ट स्टेटमेंट को 24 घंटों के लिए लटका दिया। जर्मनी के प्रतिनिधि ने कहा कि वह इस मामले पर बर्लिन में बैठी अपनी सरकार से परामर्श करना चाहते हैं, और उन्हें वक्त मिल गया, वहीं अमेरिका ने बयान को स्टडी करने के लिए थोड़ा ज्यादा समय लिया। इसके बाद जो बयान सामने आया वह वैसा ही ढुलमुल था जैसा इस तरह के हर बड़े आतंकी हमले के बाद जारी किया जाता है।
पाकिस्तान के साथी चीन द्वारा मंगलवार को पहला ड्राफ्ट सर्कुलेट किए जाने के 24 घंटे बाद जो बयान सामने आया वह इस तरह था, ‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने 29 जून 2020 को पाकिस्तान के कराची में हुए जघन्य और कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है।’ साफ है कि चीन पाकिस्तान का इस्तेमाल एक गुलाम देश की तरह अपने गेम प्लान के लिए भारत के खिलाफ कर रहा है। आर्मी के द्वारा समर्थित पाकिस्तान की फर्जी प्रॉपेगैंडा मशीन चीन की मदद से अब पूरी तरह तैयार है।
दुख की बात यह है कि भारत में भी ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान के इस फर्जी प्रॉपेगैंडा पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं कि CRPF के जवानों ने बच्चे के नाना को उनकी कार से बाहर निकालकर गोली मार दी। ऐसे लोगों को कश्मीर पुलिस के आईजी और एसएचओ के बयानों पर भरोसा नहीं है। इनमें से अधिकांश लोगों की पहचान मोदी विरोधियों के नाम से है, लेकिन मोदी का विरोध करते हुए उन्हें राष्ट्रीय हितों को नहीं भूलना चाहिए। ऐसे लोगों के लिए मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात', रजत शर्मा के साथ, 02 जुलाई 2020 का पूरा एपिसोड