इंडिया टीवी ने मंगलवार रात अपने शो 'आज की बात' में जम्मू-कश्मीर से जुड़ी दो खबरें दिखाईं, जो निश्चित रूप से हर भारतीय के मन में आशावादी दृष्टिकोण पैदा करेंगी। ये खबरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया में कश्मीर को चित्रित करने वाले निराशावादी दृष्टिकोण के बिल्कुल विपरीत हैं।
श्रीनगर में 25 हाई-टेक सरकारी स्कूलों ने काम करना शुरू कर दिया है। सरकरी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों ने अपने जीवन में पहली बार इन हाई-टेक स्कूलों के डेमो क्लासेस में हिस्सा लिया। इन स्कूलों में नियमित शैक्षणिक सत्र अप्रैल महीने से शुरू होगा। हर क्लास में छात्रों के लिए नई डेस्क और कुर्सियां रखी गई हैं, दीवारों की रंगाई-पुताई भी कराई गई है साथ ही इन हाई-टेक क्लासेस में पुराने ब्लैक बोर्ड की जगह अब स्मार्ट बोर्ड ने ले ली है।
पिछले साल 5 अगस्त को जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया तो घाटी में बंद की वजह से बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित रही। बाद में स्कूल तो खुले लेकिन अलगाववादियों के डर की वजह से माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से डरने लगे। बाद में परीक्षाएं समय पर हुईं और इनमें छात्रों की उपस्थिति शत-प्रतिशत दर्ज की गई, लेकिन प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई।
अब सरकारी स्कूलों में इस तरह के संरचानात्मक बदलाव ने छात्रों और उनके माता-पिता के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। अनुच्छेद 370 खत्म होने से पहले सरकारी स्कूलों में प्रत्येक छात्र से वार्षिक शुल्क 250 रुपये लिया जाता था, इसमें यूनिफॉर्म और किताबें भी शामिल थीं। अब जबकि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, तो छात्रों को फीस के तौर पर एक पैसा भी नहीं देना होगा।
श्रीनगर स्मार्ट सिटी के डिप्टी सीईओ ने इंडिया टीवी को बताया कि केवल पांच करोड़ के बजट में इस तरह का बदलाव लाया गया है। श्रीनगर के विकास आयुक्त ने नए लुक वाले स्कूलों को गरीब छात्रों के लिए नए साल का उपहार बताया।
स्कूली शिक्षा के आधुनिकीकरण के अलावा इस नए केंद्र शासित प्रशासन ने विभिन्न श्रेणियों में बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान भी शुरू किया है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने 1,300 महिला कांस्टेबलों और अधिकारियों के लिए भर्ती अभियान शुरू किया है, जिसमें करीब 21,000 कश्मीरी महिलाओं ने आवेदन किया।
भीषण ठंड में राजौरी, डोडा, किश्तवाड़ और अन्य स्थानों पर भर्ती कैंपों में सैकड़ों महिला अभ्यर्थियों ने भाग लिया। यह भर्ती अभियान रामबन, किश्तवाड़, उधमपुर, रियासी, जम्मू और कठुआ में काफी तेजी से चल रहा है। यहां शारीरिक मजबूती और फिटनेस के टेस्ट लिए जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारियों ने इंडिया टीवी को बताया कि जल्द ही जवानों की बहाली के लिए बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान शुरू किया जाएगा।
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि तीन दशक तक आतंक का दौर देखने के बाद अब आम कश्मीरी घाटी में सुकून और शांति चाहता है। हर कश्मीरी अपने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा और नौजवानों के लिए रोजगार चाहता है। कश्मीरियों की यही आकांक्षाएं एक महत्वपूर्ण तथ्य का खुलासा करती हैं कि पिछले 70 वर्षों में शिक्षा और नौकरियों के क्षेत्र में बहुत कुछ नहीं किया गया।
अब जबकि काम शुरू हो गया है, केंद्र अपने 36 मंत्रियों को राज्य के लोगों से मिलने के लिए उनके बीच भेज रहा है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी श्रीनगर में थे, जहां आम लोगों ने उन्हें बताया कि पिछले कई वर्षों में कोई विकास नहीं हुआ है और सरकार द्वारा किए गए अधिकांश वादे पूरे नहीं हुए हैं।
लोगों ने जो बातें कहीं, वो कड़वी लग सकती हैं और सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति हो सकती है, लेकिन मैं इसे दूसरे नजरिये से देखता हूं। केन्द्र सरकार के मंत्री के सामने आम लोगों ने जिस तरह खुलकर और शिकायती लहजे में जो बातें कहीं, वो बदलाव का संकेत हैं। कम से कम लोग खुलकर, बिना डरे और बिना किसी हिचक के अपनी बात सरकार के नुमाइंदे से कह तो रहे हैं। कश्मीर के लोगों को सरकार से काफी उम्मीदें हैं और अगर लोग सरकार को पिछले वादे याद दिला रहे हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सरकार को उम्मीदों पर खरा उतरना होगा। अब केंद्र के पास समय है कि वह उन क्षेत्रों में अपने वादों को पूरा करे जहां बहुत कुछ किया जाना बाकी है। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 21 जनवरी 2020 का पूरा एपिसोड