आज मैं आपके साथ कुछ उदाहरण साझा करना चाहता हूं कि कैसे विदेश से लौटने वाले भारतीय क्वारंटाइन से बचने की कोशिश कर रहे हैं और जान-बूझकर खुद को और दूसरों को जानलेवा कोरोना वायरस के खतरे में डाल रहे हैं। पहला वीडियो दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का है जहां विदेश से लौटे भारतीयों का एक ग्रुप क्वारंटाइन में जाने के लिए कहने पर एयरपोर्ट और हेल्थ केयर स्टाफ पर चिल्लाता हुआ दिखाई रहा है।
इन यात्रियों ने न केवल विरोध किया, बल्कि वे सुरक्षाकर्मियों पर चिल्लाते हुए ‘हमें शूट कर दो, हमें मार डालो’ जैसी बातें बोल रहे थे। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने साफ किया कि यह घटना कुछ दिन पहले हुई थी जब भारत के बाहर से आने वाले सभी यात्रियों के लिए अनिवार्य क्वारंटाइन का आदेश दिया गया था। पुरी ने कहा, अब स्थिति सामान्य हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बुधवार की आधी रात को दिल्ली एयरपोर्ट पर खुद क्वारंटाइन की सुविधाओं की जांच करने के लिए गए थे।
अब हमें अपनी मानसिकता बदलने का वक्त आ गया है। दुनिया भर में एयरपोर्ट्स पर यात्रियों का हेल्थ चेक किया जा रहा है। लंदन, न्यूयॉर्क, बीजिंग, शिकागो और टेक्सास समेत दुनिया भर के एयरपोर्ट्स पर यात्री चुपचाप कतार में खड़े होकर हेल्थ चेक और क्वारंटाइन के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए देखे जा रहे हैं। ऐसे में दिल्ली एयरपोर्ट पर हंगामा करने का कोई मतलब नहीं था।
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समय पर की गई कार्रवाई के कारण कम्युनिटी में कोरोना वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के मामले में भारत ने अच्छा काम किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हमारी सरकार की कोशिशों की तारीफ की है। भारत में कोरोना वायरस सिर्फ कुछ ऐसे लोगों की लापरवाही कारण फैला जो विदेश से आए थे, लेकिन क्वारंटाइन में नहीं गए और दूसरों के साथ घुलमिल गए।
एक दूसरी घटना हुई, महाराष्ट्र के पालघर में, जहां गरीब रथ एक्सप्रेस के यात्रियों ने बुधवार को अपने साथ यात्रा कर रहे चार ऐसे लोगों को देखा जिनके हाथों पर सेल्फ-क्वारंटाइन का स्टांप लगा था। रेलवे अधिकारियों ने तुरंत उन्हें हटा दिया और क्वारंटाइन के लिए जिला अस्पताल ले गए। ये चारों शख्स जर्मनी से आए थे और सूरत जा रहे थे।
लापरवाही का ऐसा ही एक और उदाहरण देखने को मिला कोलकाता में। पश्चिम बंगाल सरकार की एक संयुक्त सचिव स्तर की एक महिला अधिकारी का बेटा लंदन से लौटा था और उसे कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। इस किशोर की मां राज्य सचिवालय में आई और उन्होंने गृह सचिव से मुलाकात की। इसके चलते इस महिला और उसके बेटे के संपर्क में आए सभी लोगों की पहचान करनी पड़ी, जिनमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं।
राज्य के गृह सचिव और उनकी पत्नी, जो कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति भी हैं, को स्टाफ के 20 सदस्यों समेत 14 दिनों के होम क्वारंटाइन में भेज दिया गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस गंभीर चूक पर नाखुशी जताई। इसके बाद पूरे सचिवालय को सैनिटाइज किया गया। बनर्जी ने कहा कि इस मामले में वीआईपी या एलआईपी (कम महत्वपूर्ण व्यक्ति) के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।
स्पष्ट है कि अब बहुत ही ज्यादा सावधानी समय का तकाज़ा है। हमें कोरोना वायरस को फैलने से रोकना ही होगा। हर कोई, चाहे वह विदेश से आया हो, या जो कोई भी वायरस के लक्षण वाले व्यक्तियों के संपर्क में आया हो, उसे 14 दिनों के सेल्फ-क्वारंटाइन से गुजरना होगा और टेस्ट कराना होगा।
सरकार वायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी प्रयास कर रही है। निजी फर्मों को कोरोना वायरस का टेस्ट करने की इजाजत दे दी गई है और निजी अस्पतालों को आइसोलेशन वॉर्ड तैयार रखने के लिए कहा गया है। लगभग सभी प्रसिद्ध धार्मिक स्थल, ताजमहल और कुतुब मीनार जैसे पर्यटन स्थल, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, छात्रावास, सिनेमा हॉल बंद कर दिए गए हैं। आइये, कोरोना वायरस के खिलाफ हमारे सामूहिक युद्ध में आप सभी सहयोग करें। भारत दुनिया के सामने एक ऐसी मिसाल कायम करे जिससे अन्य देश भी सीख सकें। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 18 मार्च 2020 का पूरा एपिसोड