नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकारे अपने-अपने स्तर पर कई एहतियातन कदम उठा रही हैं। ऐसे में पूरे देश के लोगों द्वारा पीएम मोदी की अपील पर रविवार (22 मार्च) को "जनता कर्फ्यू" का पालन किया गया। इसके साथ ही कई राज्यों में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है। लेकिन, क्या आपके मन में यह सवाल है कि "जनता कर्फ्यू" और लॉकडाउन की जरूरत क्यों पड़ी? अगर हां! तो आपके इस सवाल का जवाब इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा ने दिया है, जिसे आपको जानना चाहिए।
रजत शर्मा ने बताया, "अब तक कोरोना वायरस की दवा नहीं खोजी गई है, न इसका वैक्सीन बना है। लेकिन, इस वायरस की संरचना (बनावट) यह हमें मालूम हो गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस कैसे फैलता है, किस माहौल में फैलता है, कितने वक्त तक एक्टिव रहता है, इसकी जानकारी उनके पास है।"
रजत शर्मा ने बताया, "वैज्ञानिक बताते हैं कि कोरोना वायरस (COVID-19) कोपर की सरफेस पर 4 घंटे, लकड़ी या कार्डबोर्ड पर 14 घंटे तक जीवित रह सकता है। कपड़ों पर यह 7 घंटे तक रह सकता है और हवा में ड्रोपलेट्स के अंदर यह 3 घंटे तक सर्वाइव कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस संक्रमित है, उसकी खांसी या छींक के ड्रोपलेट्स किसी सरफेस या कपड़े पर गिरे, किसी हैल्थी व्यक्ति को उस सरफेस या कपड़े का संपर्क हुआ तो वह संक्रमण का शिकार हो सकता है।"
उन्होंने कहा, "इसी तरह से यह चैन आगे बढ़ती है, एक से दूसरा, दूसरे से तीसरा, 10 से 100, 100 से 1000, 1000 से 10000, 10000 से 100000 । लेकिन, अगर 24 घंटे का कर्फ्यू होता है या लोग कम से कम 14 घंटे तक घर पर रहते हैं तो क्या होगा? इतने वक्त में पब्लिक जगहों पर वायरस का संक्रमण खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा। जनता कर्फ्यू के दौरान या शहरों को लॉक डाउन करने के दौरान हम कोरोना वायरस को फैलने से रोक सकते हैं।"