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Rajat Sharma’s Blog: वायरस के फैलने की वजह बन रही है लाखों प्रवासियों की वापसी

भारत में कोरोना वायरस के मामलों की कुल संख्या सोमवार रात को एक लाख की सीमा को पार कर गई। इसके साथ ही पब्लिक हेल्थ प्लानिंग से जुड़े लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : May 19, 2020 14:56 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

भारत में कोरोना वायरस के मामलों की कुल संख्या सोमवार रात को एक लाख की सीमा को पार कर गई। इसके साथ ही पब्लिक हेल्थ प्लानिंग से जुड़े लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। सोमवार को एक ही दिन में 4,713 नए मामलों की बढ़ोत्तरी हुई, हालांकि रिकवरी रेट में भी सुधार देखने को मिला है और अब तक कुल 48,908 लोग जानलेवा COVID-19 बीमारी से ठीक हो चुके हैं। यह खतरनाक महामारी अब भारत में महत्वपूर्ण अवस्था में प्रवेश कर चुकी है और हम सभी को अपना-अपना ख्याल रखना होगा। सोमवार को खबरें आईं कि गाजियाबाद, मेरठ, दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए भारी भीड़ जमा हो गई थी। जरा सोचिए कि भीड़ के बीच किस तरह वायरस का प्रसार हुआ होगा।

मैं आप सभी से फिर से अपील करता हूं: कृपया चौथे चरण के लॉकडाउन को हल्के में न लें। सरकार ने भले ही ढील दे दी हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर किसी को सड़कों पर उतर जाना चाहिए। आपदा को आमंत्रित करने का यह अचूक तरीका है। कई हजार प्रवासी रजिस्ट्रेशन के लिए सोमवार को गाजियाबाद के रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए थे। वे बिहार लौटना चाहते थे। सोमवार को बिहार के लिए 3 स्पेशल ट्रेनें गाजियाबाद से और 3 अन्य ट्रेनें यूपी के अन्य जिलों से चलीं। कुल मिलाकर लगभग 7000 प्रवासियों को एक ही दिन में स्पेशल ट्रेनों में बैठाकर भेजा गया। व्यवस्था बनाए रखने के लिए सोमवार शाम गाजियाबाद में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी।

मेरठ स्टेशन पर भी अव्यवस्था देखने को मिली जब 1600 मजदूरों को ले जाने के लिए खड़ी ट्रेन के 22 डिब्बों में बड़ी संख्या में प्रवासी जबरन घुस गए। प्रवासियों ने स्पेशल ट्रेनों के अंदर सीटों पर कब्जा करने के लिए जोर-जबर्दस्ती की और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों को ताक पर रख दिया। मैं सभी प्रवासियों से अपील करता हूं: कृपया घबराएं नहीं। केंद्र और राज्य सरकारों ने अब बसों और विशेष ट्रेनों के जरिए अंतर-राज्यीय यात्रा की अनुमति दी है। अब तक कुल 17 लाख से ज्यादा प्रवासियों को उनके गृह राज्यों में भेजा जा चुका है। इसके अलावा कई औऱ स्पेशल ट्रेनें और बसें चलाई जानी हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मैनेजमेंट के अपने शानदार तरीके बावजूद कुछ चीजों को लेकर चिंतित हैं। महाराष्ट्र और राजस्थान से मजदूरों को मनमाना किराया वसूलकर ट्रकों में लादा जा रहा है और फिर बाकी की दूरी पैदल तय करने के लिए यूपी के बॉर्डर पर छोड़ दिया जा रहा है।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने पलवल-मथुरा बॉर्डर पर एक ट्रक देखा जिसमें 20 बच्चों सहित 65 प्रवासियों को ले जाया जा रहा था। इन सभी को महाराष्ट्र से एक ट्रक के अंदर लाया गया था। अफवाह फैलाने वाले लोग प्रवासियों को गुमराह करने के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं ताकि वे अपने ठिकाने छोड़कर चले जाएं। सोमवार को कई प्रवासियों के मोबाइल फोन पर मैसेज आया था कि अहमदाबाद के विश्रामपुर से स्पेशल बसें चलेंगी। इसके बाद IIM रोड पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई और अपने गृह राज्यों तक छोड़ने के लिए बसों की मांग करने लगी। भीड़ ने पुलिस पर लोहे की छड़ों और लाठी से हमला कर दिया और पत्थरबाजी भी हुई। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले का सहारा लेना पड़ा।

ऐसी ही अफवाह दिल्ली के वेस्ट विनोद नगर में फैली और घर लौटने की आस में सैकड़ों प्रवासी मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए एक स्कूल में इकट्ठा हो गए। सोमवार को इंडिया टीवी ने प्रवासियों की समस्या के बारे में ज्यादातर मुख्यमंत्रियों से बात की। उनमें से लगभग सभी ने इस बात को माना कि प्रवासियों को घर पर रहने के लिए मनाने का वक्त जा चुका है और अब उन्हें उनके गृह राज्यों तक सुरक्षित तरीक से पहुंचाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य इस बात पर सहमत हुए कि राज्य सरकारें आपस में सहयोग कर प्रवासी मजदूरों की उनके घरों तक सुरक्षित वापसी को सुनिश्चित करें।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक नया सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अभी तक 4 लाख से ज्यादा प्रवासियों ने घर लौटने के लिए अपने नाम ऑनलाइन रजिस्टर किए हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रक्रिया में काफी समय लग रहा है। जिन राज्यों में मजदूरों को जाना है वहां की सरकारों द्वारा अपने निवासियों की वापसी के लिए सहमति दिए जाने के बाद ही रेलवे टिकट बनाती है। केजरीवाल ने सुझाव दिया कि बिहार, यूपी, झारखंड या अन्य राज्यों के प्रवासियों को विभिन्न स्टेडियमों में राज्यवार समायोजित किया जा सकता है। वहां उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, और लगभग 100 विशेष रेलगाड़ियों में बैठाकर इन प्रवासियों को एक ही दिन में उनके गंतव्य तक भेजने की व्यवस्था की जा सकती है।

मैंने इस बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की। उन्होंने कहा कि पहले तो राज्य अपने मजदूरों को स्वीकार करें और फिर उनके क्वारन्टीन की व्यवस्था करें। इसके साथ ही मजदूरों को स्टेशनों से उनके गावों तक ले जाने के लिए बसों की व्यवस्था करें। यह सारी व्यवस्था ठीक करने की जरूरत है। मुझे लगता है कि केजरीवाल का सुझाव अच्छा है, लेकिन इसे अन्य मुख्यमंत्रियों के सहयोग से लागू करने की जरूरत है। रेलवे ने मजदूरों के लिए अब तक 1530 स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं और इनमें से आधे से ज्यादा ट्रेनें यूपी गईं हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि राज्य जितनी चाहें वह उतनी ट्रेनें देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा कि वह सिर्फ एक घंटे की नोटिस पर स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था कर सकते हैं।

महामारी के बढ़ते ग्राफ के साथ ही हमें एक गंभीर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। 14 लाख प्रवासियों को उनके गृह राज्यों तक भेजना अच्छी बात है, लेकिन इनमें से कई प्रवासी वायरस के कैरियर बन गए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि ग्रीन जोन के रूप में चिह्नित जिलों में भी अब प्रवासियों की आमद के कारण नए मामले सामने आ रहे हैं। मैं आपको बिहार से सिर्फ एक उदाहरण देता हूं। बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों की संख्या 1400 को छू गई है, जिसमें से 652 ऐसे हैं, जो दूसरे राज्यों से आए हैं। उनमें से भी 594 वे हैं जो 3 मई को विशेष ट्रेनों में लौटे थे। संक्रमित प्रवासियों (221) की अधिकतम संख्या दिल्ली-एनसीआर से है। इसके अलावा महाराष्ट्र से 143 और गुजरात से 130 संक्रमित प्रवासी आए हैं। हमें इसके नतीजे के बारे में भी सोचना होगा।  (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 18 मई, 2020 का पूरा एपिसोड

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