ईरान ने बुधवार को इराक के भीतर 2 अमेरिकी ठिकानों पर 22 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिससे थोड़ा-बहुत स्ट्रक्चरल डैमेज तो हुआ, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। इसके कुछ ही घंटे बाद 176 लोगों को ले जा रहा एक यूक्रेनी विमान तेहरान एयरपोर्ट से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह साफ नहीं हो पाया है कि इस दुर्घटना का क्या कारण था क्योंकि अलग-अलग स्रोतों से विरोधाभासी बयान दिए गए थे।
अधिकांश एयरलाइंस कंपनियों ने ईरान के हवाई क्षेत्र में अपनी उड़ानों को सस्पेंड कर दिया है और कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। एक तरफ जहां ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने मिसाइल हमलों को ‘अमेरिका के चेहरे पर तमाचा’ कहा, तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार रात एक टेलीविजन स्पीच में दावा किया कि ‘ईरान पीछे हटता हुआ नजर आ रहा है।’ ट्रंप ने हालांकि संकल्प लिया कि जब तक वह राष्ट्रपति हैं, तब तक ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने की अनुमति नहीं देंगे।
बुधवार की रात हमने अपने शो ‘आज की बात’ में एक वीडियो क्लिप दिखाई थी, जिसमें ट्रंप ने 2011 में कहा था कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दोबारा चुनाव जीतने के लिए ईरान के साथ जंग छेड़ सकते हैं। आज मामला पूरी तरह पलट गया है। वीडियो देखकर कोई भी आसानी से समझ सकता है कि ट्रंप ने ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का आदेश क्यों दिया। मुझे याद है, 1998 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर अमेरिकी कांग्रेस में महाभियोग के आरोप लगे थे, और उसी समय उन्होंने सेना को इराक पर हमला करने का आदेश दिया था। महाभियोग की खबर जल्द ही इराक पर हमले की खबरों के नीचे दब गई थी।
इसी तरह 2012 में जब ओबामा अपने दूसरे चुनाव की तैयारी कर रहे थे, तब ट्रंप ने आरोप लगाया था कि वह फिर से चुनाव जीतने के लिए ईरान पर हमला कर सकते हैं। अब जबकि ट्रंप को महाभियोग के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है, किसी को यह समझने के लिए रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान के साथ तनाव को बढ़ाने की पहल क्यों की। (रजत शर्मा )
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 08 जनवरी 2020 का पूरा एपिसोड