बुधवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि वह उम्मीद करती है कि 18 अक्टूबर तक अयोध्या मामले की सुनवाई खत्म हो जाएगी। इसके बाद पीठ को फैसला लिखने में 4 सप्ताह का समय लगेगा।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं, और फैसला इसी दिन या इससे पहले ही सुनाया जा सकता है। अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक के लिए जारी यह मुकदमा 70 साल पुराना है, लेकिन जमीन पर विवाद अंग्रेजों के शासन से लेकर आज तक, पिछले 150 से अधिक वर्षों से चला आ रहा है।
4 दीवानी मुकदमों में 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दायर की गईं। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन को 3 पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के प्रतिनिधियों के बीच बराबर हिस्सों में बांट देना चाहिए।
यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला नवंबर में आ जाता है तो यह ऐतिहासिक होगा, क्योंकि यह एक ऐसा मामला है जिसमें मध्यस्थता के कई प्रयास विफल रहे हैं। चीफ जस्टिस रिटायर होने से पहले फैसला सुनाना चाहते हैं, लेकिन कुछ लोगों को अभी भी संदेह है कि नई याचिकाएं दाखिल करके सुनवाई को लटकाने की कोशिश हो सकती है, ताकि यह विवाद अभी चलता रहे।
यदि सुप्रीम कोर्ट 18 अक्टूबर तक सुनवाई खत्म करने में नाकाम रहता है, और यदि जजों को चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट से पहले अपना फैसला लिखने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता है तो नए सिरे से सुनवाई के लिए पीठ का पुनर्गठन करना होगा। ऐसा होने पर यह मामला और लंबा खिंच जाएगा। अब जबकि सुनवाई अंतिम चरण में है, भारत की जनता इस विवादित मसले का अंत चाहती है, और यह जितनी जल्दी हो, उतना ही अच्छा होगा। (रजत शर्मा)
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