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Rajat Sharma Blog: राफेल सौदे पर कोई तार्किक जवाब राहुल क्यों नहीं सुनना चाहते

राहुल को लग रहा है कि इन्हीं डॉयलॉग्स का असर तीनों राज्यों में हुआ और अब वे अगले लोकसभा चुनाव तक यही डॉयलॉग बोलेंगे।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: January 05, 2019 17:34 IST
Rajat Sharma Blog, Rahul Gandhi - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma Blog: Why Rahul Gandhi is unwilling to listen to logical replies on Rafale deal

लोकसभा में राफेल पर बहस के दौरान शुक्रवार को अपने ढाई घंटे के मैराथन जवाब के अंत में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन भावुक हो गईं और खुद को 'झूठी' और प्रधानमंत्री मोदी को 'चोर' कहे जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष को राहुल गांधी जमकर फटकार लगाई। सीतारामन ने कहा, 'मेरे पास गर्व करने के लिए कोई खानदान नहीं है। मैं एक साधारण पृष्ठभूमि से आती हूं। हमारे साथ सम्मान जुड़ा हुआ है। हमारे प्रधानमंत्री आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से आते हैं। आपको कोई हक नहीं कि आप मुझे झूठी और हमारे प्रधानमंत्री को चोर कहें।' 

रक्षामंत्री के भावुक होने के कई कारण थे। लोकसभा में दिए गए उनके लंबे जवाब को मैंने सूचिबद्ध किया। वो पूरे तथ्य और आंकड़ों के साथ तैयार होकर सदन में आई थीं। लगातार व्यवधान के बावजूद, उन्होंने विपक्ष की तरफ से उठाए गए अधिकांश सवालों का बिंदुवार जवाब दिया। 

वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी ने भी इस सौदे को लेकर सीधे-सीधे और तार्किक सवाल पूछे। ऐसा लगा रहा था कि लोकसभा में एक सार्थक बहस हुई है, लेकिन अंत में कांग्रेस अध्यक्ष ने दो बार आंख मारकर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे से जुड़ी इस पूरी बहस की गंभीरता को कम कर दिया। ऐसा लगा कि जैसे वो इस मुद्दे पर मजा ज्यादा लेना चाहते हैं और रक्षा मंत्री के जवाब में उनकी दिलचस्पी बेहद कम है।

इसके अलावा, मैंने हाल के दिनों में कई बार कहा है कि कांग्रेस राफेल को चुनावी मु्द्दा बनाना चाहती है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसपर सरकार कितनी बार स्पष्टीकरण देती है। कांग्रेस, मोदी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को हवा देने की पूरी कोशिश कर रही है। 

राहुल गांधी हर बार यही आरोप लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया है। हालांकि अरूण जेटली ने कल लोकसभा में बता दिया कि ये सौदा कुल 58 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें पचास फीसदी यानि 29 हजार करोड़ का ऑफसेट क्लाज है जिसमें सौ से ज्यादा कंपनियां हैं। इन सौ कंपनियों में से अनिल अंबानी की कंपनी को 870 करोड़ का काम मिला है, तो तीस हजार करोड़ का आंकड़ा कहां से आया?

लेकिन इससे राहुल गांधी को कोई मतलब नहीं है क्योंकि उन्होंने डॉयलॉग चुन लिए हैं। इसी डॉयलॉग का इस्तेमान उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के चुनावों में किया। राहुल को लग रहा है कि इन्हीं डॉयलॉग्स का असर तीनों राज्यों में हुआ और अब वे अगले लोकसभा चुनाव तक यही डॉयलॉग बोलेंगे।

विपक्ष का नेता होने के नाते राहुल गांधी को अधिकार को है कि वे यह तय करें कि कौन से मुद्दे उठाए जाएं, उन्हें अधिकार है कि वे सरकार के जवाब पर भरोसा नहीं करें, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तो भरोसा करना चाहिए। राफेल सौदे में पूरी खरीद प्रक्रिया, मूल्य निर्धारण और ऑफसेट डील पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई गड़बड़ी या कोई गलती नहीं पाई। इसलिए हम सबको कम से कम सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तो भरोसा करना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें, आज की बात रजत शर्मा के साथ, 4 जनवरी 2019 का पूरा एपिसोड

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