मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का वीडियो भाषण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उनकी सरकार पुलवामा हमले के बाद हताशा में है और इसकी मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय दबाव और घरेलू वित्तीय संकट है।
मौजूदा वित्तीय संकट से निजात पाने के लिए इमरान खान कई देशों की यात्रा कर चुके हैं। इमरान खान दुनिया में हर वो दरवाजा खटखटा रहे हैं, जहां से उन्हें मदद की उम्मीद है। बड़ी कोशिशों के बाद वे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सुल्तान मोहम्मद बिन सुल्तान से 22 बिलियन डॉलर निवेश का वादा हासिल कर पाए थे, लेकिन तबतक पुलवामा की घटना हो गई और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी बढ़ गया है।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने सऊदी क्राउन प्रिंस से गुहार लगाई कि वे दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी तरह समझाएं और एक्शन लेने से रोकें, साथ ही दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करें और सीमा पर तनाव कम करने में मदद करें। यह स्पष्ट है कि खाली खजाने के साथ पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश भारत के साथ किसी तरह के संघर्ष या युद्ध का सामना नहीं कर सकता।
भारत रुख बिल्कुल साफ है: कश्मीर मु्द्दे पर किसी भी बातचीत में तीसरे पक्ष की गुंजाइश न पहले थी और न आगे होगी क्योंकि यह पूरी तरह से द्विपक्षीय मुद्दा है। पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बेहद प्रभावी तरीके से कहा था कि अब बातचीत का समय निकल चुका है। अब एक्शन का समय है।
इसी संदर्भ में इमरान खान ने अपने मंगलवार को अपने वीडियो संदेश में गीदड़-भभकी देते हुए कहा कि 'यदि भारत सोचता है कि वह पाकिस्तान पर हमला करेगा, तो हम केवल सोचेंगे नहीं, बल्कि जवाब देंगे।’ यह पूरी तरह से उनके देश के लोगों को संतोष दिलानेवाली बातें है और जमीनी हकीकत ये है कि पाकिस्तान मौजूदा संकट से किसी तरह निकलने के उपाय तलाश रहा है।
इमरान खान ने जांच में सहयोग की बात भी की और कहा कि यदि भारत पुलवामा आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर कोई ‘‘कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी’’ साझा करता है तो साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसका जवाब मंगलवार शाम को खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिया। उन्होंने कहा, सबूत (जैश प्रमुख मसूद अजहर) पाकिस्तान में मौजूद है और इससे ज्यादा सबूत देने की कोई जरूरत नहीं है।
साफ तौर पर अपनी सेना के दबाव में इमरान खान ने अपने वीडियो संदेश में कहा, ‘‘हम जानते हैं कि जंग शुरू करना हमारे हाथ में है, यह आसान है लेकिन इसे खत्म करना हमारे हाथ में नहीं है और कोई नहीं जानता कि ये किस दिशा में जाएगा, ये सिर्फ अल्लाह ही बेहतर जानते हैं’’
मैं चाहता हूं कि इमरान खान को 1971 के बांग्लादेश युद्ध की तस्वीरें और विडियो देखना चाहिए जिसमें 92 हजार पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर रहे हैं। मैं इमरान से कहना चाहता हूं कि हमारी सेना यह अच्छी तरह से जानती है कि युद्ध को कैसे खत्म करना है।
वर्ष 1971 में पाकिस्तान ने युद्ध की शुरुआत की थी और अंत में नतीजा ये रहा कि पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया। 1999 में पाकिस्तान ने करगिल का युद्ध छेड़ा और इसका नतीजा ये रहा कि पाकिस्तान की सेना को भारी नुकसान पहुंचा और इस इलाके की सभी दुर्गम चोटियों से उसे अपनी सेना को वापस बुलाना पड़ा जिसपर उसने चोरी-छिपे कब्जा जमा लिया था। आजादी के बाद आजतक भारत ने कभी पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ा, लेकिन हर युद्ध को एक बड़ी जीत के साथ खत्म किया।
भारत के पास मौजूदा वक्त में दो तरह की चुनौतियां हैं, पहला चीन और दूसरा पाकिस्तान का न्यूक्लियर पावर। टीवी पर बड़े बयान देना आसान है लेकिन जब हम जमीनी हकीकत का सामना करते हैं तो वह बिल्कुल अलग होती है। फिर भी हमें अपनी सेना की क्षमता, वीरता और रणनीति पर पूरा भरोसा है। सेना ही फैसला करेगी कि कब, कहां और कैसे हमला करना है। ऐसा भी हो सकता है कि हमारी सेना पाक अधिकृत कश्मीर को फिर से हासिल कर सकती है।
लेकिन इस मौके पर मैं देश के लोगों से एक अपील करना चाहता हूं। कश्मीरी लोग हमारे भाई-बहन हैं। कुछ कश्मीरी नौजवान जरूर बहक गए हैं। उन्होंने हथियार उठा लिए हैं और देश के दुश्मन बन गए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में जहां-जहां कश्मीर के लोग रहते हैं या कश्मीरी स्टूडेंट्स पढ़ते हैं या फिर व्यापार करते हैं, उन्हें शक की निगाह से देखना गलत है। संकट और तनाव की इस घड़ी में अपने कश्मीरी भाइयों और बहनों की हिफाजत करना हमारा फर्ज है। (रजत शर्मा)
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