जम्मू में सेना के शिविर पर सुबह-सुबह तीन आतंकवादियों ने हमला किया जिसमें 5 जवान शहीद हो गए जबकि एक नागरिक की मौत हो गई। वहीं इस हमले में महिलाओं और बच्चों समेत 10 लोग घायल हो गए। सोमवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने जम्मू का दौरा किया और कहा कि यह हमला जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने किया और पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर वे इसे अंजाम दे रहे थे। सीतारामन ने स्पष्ट कहा, मारे गए आतंकवादियों के पास से जो सबूत इकट्ठे किए गए हैं उनसे यह साफ है कि पाकिस्तान ने इस हमले की योजना तैयार की। रक्षा मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि 'पाकिस्तान को इस कायराना हरकत की कीमत चुकानी होगी'।
निर्मला सीतारामन के बयान से तीन बातें साफ हैं। एक, सरकार के पास इस बात के पक्की जानकारी और पुख्ता सबूत हैं कि सेना के शिविर पर हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था। इसीलिए उन्होंने कहा कि पूरे सबूतों के साथ पाकिस्तान का चेहरा दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब किया जाएगा। पाकिस्तान को सबक सिखाया जाएगा। जाहिर है कि रक्षा मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह तो नहीं बता सकती हैं कि जबाव कब दिया जाएगा और कैसे दिया जाएगा? लेकिन इतना तय है कि पाकिस्तान को खामियाजा तो भुगतना होगा।
दूसरी बात, यह साफ हो चुका है कि पाकिस्तान ने अब रणनीति बदली है। अब आतंकवादी हमले उन इलाकों में करवाए जा रहे हैं जो बॉर्डर के करीब हैं और जहां बड़ी संख्या में सिविलियन्स या सैनिकों के परिवार रहते हैं। इस तरह के हमलों में जवानों को कार्रवाई करने में काफी दिक्कत आती है, क्योंकि मासूम लोगों की जान जाने का खतरा रहता है। सेना की पूरी कोशिश रहती है कि ऐसे हालात में कार्रवाई के दौरान निर्दोष लोगों को जान न गंवानी पड़े। इसका फायदा आतंकवादी उठाते हैं।
तीसरी और सबसे ज्यादा चिंता की बात है आतंकवादियों को कुछ स्थानीय लोगों की मदद मिलना। ये आतंकवादी बिना स्थानीय लोगों की मदद के ऐसा हमला नहीं कर सकते। ऐसे लोगों की पहचान सबसे ज्यादा जरूरी है। आतंकवादी तो मारे गए लेकिन अब उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जो आतंकवादियों के मददगार हैं। (रजत शर्मा)