भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात के केवडिया में एक सभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करना ‘लौह पुरुष’ के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि थी। सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के पास स्थापित मंच से लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, 'अनुच्छेद 370 ने कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए एक दीवार खड़ी कर दी थी, और मैं आज यहां सरदार पटेल को विनम्रतापूर्वक बता रहा हूं कि वह दीवार ध्वस्त हो गई है। मैं अनुच्छेद 370 को रद्द करने के 5 अगस्त के फैसले को सरदार पटेल को समर्पित करता हूं।'
भारत के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल को 565 रियासतों का भारतीय संघ में विलय कराने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने भविष्य में विवाद के लिए कोई जगह न छोड़ते हुए सफलतापूर्वक अपने काम को अंजाम दिया था। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू और कश्मीर की भारतीय संघ में विलय कराने की जिम्मेदारी ली थी। नेहरू ने अनुच्छेद 370 के तहत एक अलग झंडे और एक अलग संविधान के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने का फैसला किया था। पटेल ने उस समय उनके इस कदम का विरोध किया था। वह एक एकजुट और सुरक्षित भारत चाहते थे, लेकिन पिछले 72 सालों से कश्मीर विवाद एक समस्या के रूप में मौजूद रहा है।
70 साल से भी ज्यादा का वक्त बीत जाने के बावजूद केंद्र की किसी भी सरकार ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को रद्द करने की हिम्मत नहीं दिखाई थी। इनके चलते जम्मू-कश्मीर सरकार को एक अलग संविधान के तहत विशेष अधिकार दिए गए थे। जम्मू और कश्मीर एक अलग ध्वज, एक अलग संविधान और अलग प्रतीक के साथ मौजूद रहा। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे जिन्होंने संविधान से इन अनुच्छेदों को रद्द करने का साहस दिखाया और शेष भारत के साथ जम्मू-कश्मीर को एकीकृत कर दिया। यह निश्चित रूप से सरदार पटेल की याद में सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है और इसका पूरा श्रेय मोदी को जाना चाहिए।
यह एक संयोग ही था कि सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर जम्मू और कश्मीर को औपचारिक रूप से गुरुवार को भारतीय संघ के दो नए केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में विभाजित कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार का यह कदम राजनीतिक स्थिरता लाएगा और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भ्रष्टाचार को समाप्त करेगा। (रजत शर्मा)
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