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Rajat Sharma's Blog: ममता क्यों कह रही हैं कि उनकी पार्टी बंगाल में फिर चुनाव जीतेगी

ममता बनर्जी ने बंगाल की एक तिहाई सीटें महिलाओं और मुसलमानों को दी हैं। इस बार टिकट बंटवारे में सामाजिक समीकरणों का पूरा ख्याल रखा है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: March 06, 2021 16:43 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पश्चिम बंगाल में चुनावी महासंग्राम शुरू हो चुका है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं, इनमें से 291 सीटों के लिए ममता ने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है, बाकी दार्जिलिंग की तीन सीटें अपनी नई सहयोगी पार्टी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दोनों धड़ों के लिए छोड़ी है।

 
तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की बीजेपी की चुनौती को स्वीकार कर लिया है।  इस बार ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी। नंदीग्राम में ममता और बीजेपी के शुभेंदु अधकारी के बीच एक रोचक मुकाबला हो सकता है। ममता ने अपने गृह क्षेत्र दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।  ममता ने कहा कि वो अपनी परम्परागत सीट भवानीपुर शोभनदेव चट्टोपाध्याय को दे रही हैं। शोभनदेव ममता के बेहद भरोसेमंद माने जाते हैं। 
 
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के बाद ममता ने हुंकार भरी और बीजेपी को चैलेंज किया-उन्होंने कहा-  'खेला होबे, देखा होबे, जेता होबे (हम खेलेंगे..लड़ेंगे और जीतेंगे)। ममता ने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए कहा कि वह विधानसभा की हर एक सीट के लिए अलग-अलग चरण में  (हर सीट के लिए एक चरण) में चुनाव कराए 'फिर भी हम जीतेंगे।'
 
भाजपा से मिल रही कड़ी टक्कर के बीच तृणमूल सुप्रीमो ममता ने कहा-' देश में जितनी भी फोर्स है, कश्मीर से कन्याकुमारी तक, अमित शाह को बोलो सबको इधर भेज देने को, ये जनता की बात है। जनता पर शक मत करो। जनता के विश्वास को मत छोड़ो। बंगाल की जनता हमें भारी बहुमत से जिताएगी।' उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान से चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। इस रैली में अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के बीजेपी में शामिल होने की उम्मीद है।
 
ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल पर तो बंगाल के लोग ही राज करेंगे। बाहरी लोगों को बंगाल में घुसने भी नहीं देंगे। ममता ने इल्जाम लगाया कि बीजेपी शासित राज्यों के मंत्री और उपमुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे लोग बंगाल में आकर ठहरे हैं और लालच देकर लोगों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। ममता ने कहा कि वो ऐसे नेताओं से कहेंगी कि 'जल्द से जल्द बंगाल छोड़ दें क्योंकि इस तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।'
 
ममता की लिस्ट में इसबार 50 महिला उम्मीदवार हैं जिनमें से कई नए चेहरे हैं और ज्यादातर टॉलीवुड फिल्म उद्योग से हैं। इनमें सायंतिका बनर्जी, कौशानी मुखर्जी, सायोनी घोष, जून माल्या, कीर्तन गायक अदिति मुंशी, निर्देशक राज चक्रवर्ती, अभिनेता कांचन मुलिक, सोहम चक्रवर्ती, पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी और पूर्व फुटबॉलर बिदेश बोस शामिल हैं।
 
ममता बनर्जी ने बंगाल की एक तिहाई सीटें महिलाओं और मुसलमानों को दी हैं। इस बार कुल 42 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है जो कि पिछली बार की तुलना में कम है। इस बार ममता बनर्जी ने टिकट बंटवारे में सामाजिक समीकरणों का पूरा ख्याल रखा है। मुस्लिम और महिला उम्मीदवारों के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस ने अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के 79 उम्मीदवारों को टिकट दिया है और 17 टिकट अनुसूचित जनजाति (एसटी) को दिया है। उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि उनकी पार्टी चुनाव में जीत हासिल करेगी और अपनी सत्ता बरकरार रखेगी। 
 
ये सही है कि पश्चिम बंगाल में इस बार ममता बनर्जी को बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है। तृणमूल कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता, करीब एक दर्जन विधायक और दो मंत्री बीजेपी में शामिल हो गए। इससे तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल तो गिरा। जब शुभेन्दु अधिकारी, राजीव बनर्जी जैसे नेताओं ने पार्टी छोड़ी तो लगा कि अब ममता की हार निश्चित है। लेकिन जिस दिन शुभेन्दु अधिकारी बीजेपी में शामिल हुए तो ममता ने चौबीस घंटे के भीतर ऐलान कर दिया कि अब वो खुद शुभेंदु के गढ़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी। शुभेन्दु ने भी चैलेन्ज को स्वीकार कर लिया। इसके बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ममता में हिम्मत है तो सिर्फ नंदीग्राम से लड़कर दिखाएं। उन्हें नंदीग्राम में पचास हजार से ज्यादा वोट से हराएंगे। शुक्रवार को ममता ने दिलीप घोष की चुनौती स्वीकार कर ली है। 
 
इसमें कोई शक नहीं कि तृणमूल कांग्रेस के चुनाव प्रचार का पूरा दारोमदार सिर्फ ममता बनर्जी पर है और वो पूरे फॉर्म में हैं। वे शनिवार को सिलीगुड़ी जाएंगी और रविवार को वहां सिलेंडर रैली करेंगी। ये रैली मंहगाई के सवाल पर है। इसके बाद ममता बनर्जी महिला दिवस पर आयोजित महिला रैली में हिस्सा लेंगी। 10 मार्च को ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए हल्दिया में नामांकन दाखिल करेंगी। ममता 11 मार्च को महाशिवरात्रि का उपवास रखेंगी और इसके बाद 13 मार्च से उनका धुआंधार चुनाव प्रचार शुरू होगा। वे 120 से ज्यादा चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगी। 
 
इस बार ममता के लिए दोहरी चुनौती है। मुस्लिम वोटों को अपने साथ बनाए रखना है और हिंदू वोटों को बीजेपी के पास जाने से रोकना है। मुश्किल ये है कि लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस का गठबंधन मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है। चूंकि बंगाल में लेफ्ट फ्रंट ने इस बार फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से गठबंधन किया है इसलिए ममता के लिए खतरा तो है। इसकी एक झलक शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मिली। जैसे ही एक रिपोर्टर ने पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का नाम लिया, तो ममता उखड़ गईं। उन्होंने कहा ऐसे लोगों का नाम मत लो। इसके बाद ममता प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये गिनाने लगीं कि उन्होंने बंगाल में मंदिरों के लिए क्या-क्या किया। कोलकाता के कालीघाट मंदिर के पास और बेलूड़ मठ के पास स्काईवे बनवाया। यानी ममता अब मुस्लिम वोटों के साथ-साथ हिन्दू वोटों का भी पूरा-पूरा ध्यान रख रही हैं।
 
फुरफुरा शरीफ में भी बंगाली मुस्लिम वोटर ममता का समर्थन या विरोध के सवाल पर बंटे हुए हैं। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोट कितनी बड़ी ताकत है इसका अंदाजा आपको इस बात से लग जाएगा कि 2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में  मुस्लिमों की आबादी 2.46 करोड़ है जो अब बढ़कर करीब ढाई करोड़ तक जा सकती है। यानी पूरी आबादी का करीब 27 प्रतिशत। इन्हीं वोटों की वजह से ममता बनर्जी दो बार विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल कर चुकी हैं। मुस्लिम वोटर्स करीब 100 सीटों पर हार जीत तय करने की स्थिति में होते हैं। और इस बात को ऐसे समझिए कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। तृणमूल कांग्रेस को 12 सीटों पर नुकसान हुआ था। इसके बावजूद तृणमूल कांग्रेस का वोट शेयर 43 प्रतिशत रहा और सीटों के नुकसान के बावजूद वोट प्रतिशत  2014 के लोकसभा चुनाव से पांच प्रतिशत ज्यादा था।  2016 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो आपको यह समीकरण साफ तौर पर समझ आ जाएगा। सोचिए बंगाल में मुस्लिम वोटर्स जिन सीटों पर हार जीत तय करते हैं उनमें से 90 सीटों पर ममता बनर्जी की पार्टी ने जीत हासिल की और इनमें भी ऐसी सीटें जहां मुस्लिम वोटर्स 40 प्रतिशत से ज्यादा हैं, ऐसी 65 में से 60 सीटों पर ममता बनर्जी की टीएमसी ने कब्जा किया।
 
इससे सप्ष्ट है कि बंगाल में मुसलमानों की पहली पसंद ममता बनर्जी हैं। लेकिन ये सब तब था जब बंगाल में ममता बनर्जी का मुस्लिम वोट अटूट था। मुसलमानों को ममता के अलावा दूसरा कोई और विकल्प नज़र नहीं आता था। अब बंगाल में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के साथ मिलकर लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस ने मुस्लिम वोट को तोड़ने के लिए एक प्रयास किया है, लेकिन अब तक तो ये लगता है कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट उसी को मिलेगा जो जिस सीट पर बीजेपी को हराने की स्थिति में होगा। इस मामले में फिलहाल ममता का पलड़ा भारी है क्योंकि ममता बनर्जी ही बीजेपी को टक्कर दे रही हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 05 मार्च, 2021 का पूरा एपिसोड

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