भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड ने सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का फैसला किया। नड्डा की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘पार्टी का एक परिश्रमी कार्यकर्ता बताया, जो अपनी कड़ी मेहनत और संगठनात्मक कौशल के दम पर आगे बढ़े हैं।’
जब नड्डा को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया, तभी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उनका नाम लगभग तय हो गया था। इसमें कोई शक नहीं कि अमित शाह बीजेपी के इतिहास में सबसे सफल अध्यक्ष रहे हैं। यह शाह के नेतृत्व का ही कमाल था कि बीजेपी ने उन राज्यों में भी अपनी सरकारें बनाईं, जिनके बारे में वह सपने में भी नहीं सोच सकती थी। आमतौर पर जब कोई पार्टी सत्ता में आती है तो उसका पूरा फोकस सरकार पर रहता है और संगठन पिछड़ जाता है।
अमित शाह ने एक सक्रिय भूमिका निभाई और उन्होंने बूथ स्तर तक पार्टी की मशीनरी को मजबूत किया। रिकॉर्ड संख्या में लोग पार्टी के सदस्य बने और हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान यह पार्टी मशीनरी ही थी जिसने मोदी सरकार की उपलब्धियों को मतदाताओं तक पहुंचाने में जीतोड़ मेहनत की। केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अमित शाह पार्टी के लिए पार्टी को ज्यादा समय दे पाना मुश्किल होगा। इसलिए बीजेपी नेतृत्व ने अपने नए कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है। इस वर्ष के अंत में संगठनात्मक चुनाव होने के बाद नड्डा को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाएगा।
5 साल पहले जब अमित शाह पार्टी अध्यक्ष बने थे तब भी नड्डा का नाम सामने आया था। जब मोदी हिमाचल प्रदेश के पार्टी प्रभारी थे, तभी से वह नड्डा और उनकी कार्यशैली के बारे में जानते थे और दोनों के बीच व्यक्तिगत तालमेल विकसित हो चुका था। बीजेपी के किसी भी नए अध्यक्ष के सामने अब एक बड़े लक्ष्य को पाने की चुनौती होगी। अमित शाह ने अध्यक्ष के रूप में जिन ऊंचाइयों को प्राप्त किया है, नए अध्यक्ष के सामने भी उसी तरह की सफलता हासिल करने की चुनौती होगी, और यह निश्चित तौर पर आसान नहीं होगा। (रजत शर्मा)
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