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Rajat Sharma Blog: कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिश क्यों कर रहे हैं केजरीवाल?

पिछले साल तक आम आदमी पार्टी के नेता संस्थानों, योजनाओं और सड़कों से राजीव गांधी का नाम हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन अब वक्त बदल गया है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: January 04, 2019 15:02 IST
Rajat Sharma | India TV- India TV Hindi
Rajat Sharma | India TV

दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को एक बेहद ही अफसोसनाक दृश्य देखने को मिला। सिख विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा को मार्शलों द्वारा जबर्दस्ती विधानसभा से बाहर ले जाया गया और उनकी पगड़ी भी उछाली गई। सिरसा का आरोप है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मार्शलों को उनसे हाथापाई करने के लिए उकसाया था। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए नोटिस दिया था, जिसे खारिज कर दिया गया।

अपनी नोटिस में सिरसा ने आरोप लगाया कि विधानसभा ने 21 दिसंबर को 1984 में हुए सिख दंगों को समर्थन देने के लिए दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव पास किया था। सिरसा ने आरोप लगाया कि बाद में इस वाक्य को आम आदमी पार्टी ने प्रस्ताव से हटा लिया था। भाजपा के चुनाव निशान पर राजौरी गार्डन से जीते अकाली दल के नेता सिरसा ने कल मांग की थी कि दिल्ली के सभी संस्थानों, योजनाओं और सड़कों से हटाया जाए, और सदन एक ऐसा प्रस्ताव पास करे जिसमें लिखा हो कि ‘दिवंगत राजीव गांधी 1984 के नरसंहार के आरोपी थे।’

आप सोच रहे होंगे कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लोगों ने ऐसा क्यों किया। पिछले साल तक आम आदमी पार्टी के नेता संस्थानों, योजनाओं और सड़कों से राजीव गांधी का नाम हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन अब वक्त बदल गया है। केजरीवाल दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। उन्हें और उनके सहयोगियों अब यह समझ आ गया है कि वे कांग्रेस के समर्थन के बिना चुनाव नहीं जीत सकते।

केजरीवाल और उनके साथी यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि यदि उन्होंने राजीव गांधी के खिलाफ एक लफ्ज भी बोला तो कांग्रेस के साथ गठबंधन का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाएगा। ऐसे मामलों में नैतिकता और सिद्धांत कोई मायने नहीं रखते। यह पूरी तरह से सत्ता की राजनीति और कुर्सी की लालसा का मामला है।

वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और पंजाब विधानसभा में AAP के पूर्व नेता प्रतिपक्ष एच. एस. फुल्का ने गुरुवार को केजरीवाल के कांग्रेस के साथ गठजोड़ के कदम का विरोध करते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। फुल्का वही शख्स हैं जिन्होंने 1984 में हुए नरसंहार के पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए अदालतों में 34 साल तक संघर्ष किया। फुल्का सोचते थे कि केजरीवाल के दिल में वाकई में 1984 के दंगा पीड़ितों के लिए हमदर्दी है, लेकिन जब उन्हें लगा कि AAP सुप्रीमो के दिलो-दिमाग पर सत्ता की भूख हावी है, उन्होंने भी अपना रास्ता अलग कर लिया।

आपको याद होगा इससे पहले अन्ना हजारे, शान्ति भूषण, प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव और कुमार विश्वास ने एक-एक करके केजरीवाल के मनमाने ढंग से काम करने के तरीके के चलते आम आदमी पार्टी से अलग होते गए। ऐसे में अब केजरीवाल को कांग्रेस के साथ जाने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 03 जनवरी 2019 का पूरा एपिसोड

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