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Rajat Sharma’s Blog: LAC पर तनाव क्यों पैदा कर रहा है चीन?

भारत की चीन के साथ लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा है, और इसके ज्यादातर इलाके में बॉर्डर का स्पष्ट निर्धारण नहीं हुआ है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : October 20, 2021 18:54 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

आज मैं अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा जमीनी हालात के बारे में बताना चाहता हूं। हमारे डिफेंस एडिटर मनीष प्रसाद ने 2 दिन तक अरुणाचल प्रदेश में फ्रंटलाइन का दौरा किया और इस दौरान ईस्टर्न आर्मी कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे से बात की।

ईस्टर्न आर्मी के कमांडर ने मौजूदा जमीनी हालात के बारे में स्पष्ट राय दी और विस्तार से बताया कि भारतीय सेना चीन की चुनौती का सामना करने के लिए कैसे कमर कस रही है। हालांकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए मैं सेना की रक्षा तैयारियों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां साझा नहीं करूंगा, लेकिन यह कहना काफी होगा कि हमारी फौज किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। चीन पश्चिमी सेक्टर के लद्दाख में जो कर रहा है, उसी तरह पूर्वी सेक्टर में भी वह अपनी फौज की तैनाती कर रहा है।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने पूर्वी सेक्टर में LAC को पार तो नहीं किया है, लेकिन नियमित अभ्यास करने की आड़ में उसने LAC के करीब बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावड़ा कर लिया है।

हमारे डिफेंस एडिटर का कहना है कि चीन द्वारा LAC के पास एक गांव बसाने की खबरें सही हैं। इस गांव में चीनी नागरिकों को बसाया गया है। इस गांव का इस्तेमाल आसानी से सेना के बंकर बनाने और किलेबंदी के लिए किया जा सकता है। चूंकि यह हमारे लिए चिंता का विषय है, इसलिए भारत की फौज ने भी LAC के पास बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया है। LAC के दोनों तरफ के जवान हाई अलर्ट पर हैं। चीन की सेना का यह रुख कोई नया नहीं है, लेकिन पहली बार भारत की फौज ने चीनियों को उन्हीं की भाषा में मजबूती और दृढ़ता से जवाब देने की ठान ली है।

हमारे पूर्वी सेना कमांडर ने कहा कि चीन LAC पर अपनी तरफ इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में जुटा हुआ है, और भारत ने भी पहली बार बड़े पैमाने पर सड़कों, पुलों और कॉरिडोर्स का एक बड़ा नेटवर्क बनाना शुरू किया है। कई नए पुल बनाए गए हैं और बॉर्डर की सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। कई सुरंगें भी बनाई जा रही हैं ताकि खराब मौसम के दौरान भी हमारी फौजों का काफिला अपने हथियार लेकर जल्द से जल्द जीरो पॉइंट तक पहुंच सके।

ले. जनरल मनोज पांडे ने इंडिया टीवी को बताय़ा कि ‘हमारी पहली कोशिश होती है कि शांति बनी रहे, किसी तरह का टकराव न हो इसलिए बातचीत से रास्ता निकालने की कोशिश होती है। लेकिन फिर भी अगर दूसरा पक्ष दुस्साहस के इरादे से आता है, तो फिर उसे कैसे हैंडल करना है, उसके सामने क्या रुख अपनाना है, इसकी भी पूरी तैयारी है। दुश्मन को कैसे जबाव देना है, ये हमारे जवानों को अच्छी तरह मालूम है।’

भारत की चीन के साथ लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा है, और इसके ज्यादातर इलाके में बॉर्डर का स्पष्ट निर्धारण नहीं हुआ है। चीन इसी बात का फायदा उठाता है और उसके सैनिक अक्सर LAC को पार करने की कोशिश करते हैं। दुश्मन की ऐसी हरकतों के बावजूद शांति बनाए रखने के लिए जबरदस्त संयम की आवश्यकता होती है। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा, 'हमारी फौज हमेशा समझौतों का पालन करती है, लेकिन जहां आक्रामकता की जरूरत होती है, वहां एग्रेशन भी दिखाती है। चीन की सेना  ने देख लिया है कि कैसे हमारे बहादुर जवानों ने पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में हथियारों का इस्तेमाल किए बगैर चीनी सैनिकों से लड़ाई लड़ी थी।'

चीन की सेना ने पूर्वी सेक्टर में ड्रोन और लंबी दूरी के UAV (मानव रहित हवाई वाहन) तैनात किए हैं। इनका मुकाबला करने के लिए भारतीय थल सेना ने पहली बार वायु सेना के साथ समन्वय रखते हुए एक इंटीग्रेटिड कमांड सेंटर की स्थापना की है। भारतीय वायुसेना ने राफेल और सुखोई जैसे फाइटर जेट तैनात किए हैं। पहली बार अटैक हेलीकॉप्टर और एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर सरहद पर उड़ान भर रहे हैं, सीमा की निगरानी कर रहे हैं। इसके अलावा इजरायल निर्मित हाई-टेक यूएवी का इस्तेमाल दुश्मन सेना की गतिविधियों पर करीब से नजर रखने के लिए पहली बार किया जा रहा है। ये UAV 35,000 फीट की ऊंचाई से चीन के इलाके में 35 किलोमीटर अंदर तक की सारी हलचल रिकॉर्ड कर सकते हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने कहा कि सेना का खुफिया नेटवर्क प्रभावी ढंग से काम कर रहा है और चीन की फौज को पता है कि उसकी एक-एक हरकत पर भारतीय सेना नजर रखे हुए है। सैटेलाइट सर्विलांस के साथ-साथ हमारे जवान भी खुद दुश्मन की गतिविधियों पर लगातार नजर रखते हैं।

पूर्वी सेक्टर में  चीनी सेना की पेट्रोल पार्टी की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए गश्त वाले इलाकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके निगरानी क्षमताओं को बढ़ा दिया गया है। दुश्मन के ठिकानों पर नजर रखने वाले ग्राउंड और एयर बेस्ड सेंसर्स को भी इंटीग्रेट किया जा रहा है।

रुपा में एक डिवीजन-स्तरीय निगरानी केंद्र स्थापित किया गया है, जो रीयल-टाइम इमेज और चीनी सैनिकों की गतिविधियों के बारे में लगातार जानकारी इकट्ठा करता है। UAC, हेलीकॉप्टर-बेस्ड सेंसर, ग्राउंड रडार और सैटेलाइट फीड से मिले सारी जानकारियों  को इकट्ठा करके उनका विश्लेषण किया जाता है और उसके आधार पर जवाबी रणनीति तैयार की जाती है। जमीनी और हवाई सेंसरों को आपस में जोड़ा जा रहा है, और दुश्मन सैनिकों पर नजर रखने के लिए आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

एक पोर्टेबल सर्विलांस सिस्टम भी विकसित किया जा रहा है जो LAC पार करने वाले दुश्मन सैनिकों और उनके वाहनों की संख्या के बारे में तमाम जानकारी ऑटोमैटिक तरीके से दे देगा। इस सिस्टम से मिली जानकारी को तुरंत सीनियर ग्राउंड कमांडरों को भेज दिया जाता है ताकि जवाबी कार्रवाई हो सके।

पूर्वी सेक्टर में LAC लगभग 1,346 किमी लंबी है जो सिक्किम से अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है। चीन ने जब तिब्बत में बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को तैनात किया तो हमारी सेना ने भी सरहद की हिफाज़त के लिए सैनिकों को लामबंद करके उसका करारा जवाब दिया। 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को विशेष तौर पर पूर्वी सेक्टर में दुश्मन की चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैनात किया गया है। साथ ही इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG) पर भी काम चल रहा है जिसमें इंफैंट्री, आर्टिलरी और वायुसेना के अफसर भी शामिल होंगे। चीन के किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना ने हॉवित्जर तोपों, शिनूक हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया है। ब्रह्मपुत्र, सेला, नुचिपु और सिंखु ला टनल के निर्माण को लेकर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। इन सुरंगों के अगले साल तक तैयार होने की उम्मीद है।

ऐसे समय में जब चीन का सरकारी मीडिया कट्टर ‘युद्धं देहि’ रुख अपनाए हुए है और भारत को सबक सिखाने की धमकी दे रहा है, हमारे सशस्त्र बल चुपचाप जंग से जुड़ी अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। चीनी मीडिया अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए गलवान घाटी में हुई झड़प का वीडियो भी दिखा रहा है। चीनी मीडिया का मुख्य उद्देश्य दुनिया को यह दिखाना है कि पश्चिमी और पूर्वी दोनों सेक्टरों में LAC पर चीनी सेना का दबदबा है, जबकि सच्चाई कुछ और है।  हमारे सैनिक कमांडरों ने चीनी दबदबे के दावों को सरासर बकवास बताकर खारिज कर दिया है।

अब सवाल उठता है कि चीन दोनों  सेक्टर्स में भारत की फौज की ताकत के बारे में सच्चाई जानते हुए भी इस तरह का झूठा प्रॉपेगैंडा क्यों कर रहा है? चीन ने जब भी भारत के किसी इलाके पर कब्जा करने का दावा किया तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी । चीनी कंपनियों को भारतीय टेलिकॉम और हाईटेक सेक्टर से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। भारत सरकार चीनी ऐप्स पर पिछले साल से बैन लगा चुकी है।

चीन अब मोबाइल फोन के निर्माण में नंबर 1 नहीं है। पहली बार, Apple के iPhone का निर्माण चीन के बाहर भारत में किया जा रहा है। Apple का 5G इनबिल्ट मोबाइल फोन अब तमिलनाडु में बनेगा। Apple के बाहर होने के बाद चीन में मोबाइल फोन के निर्माण में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। कोरियाई कंपनी सैमसंग ने चीन में अपनी आखिरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी बंद कर दी है। चीन में सैमसंग हर साल 30 करोड़ मोबाइल फोन बनाया करता था, लेकिन अब उसने अपने सभी कारखानों को वियतनाम और भारत में ट्रांसफर कर दिया है। नोएडा की सबसे बड़ी सैमसंग यूनिट सालाना 12 करोड़ मोबाइल फोन बना रही है। चीन से पिछले 3 साल में 58 बड़ी कंपनियां शिफ्ट हुई हैं। इनमें से ज्यादातर कंपनियां भारत में शिफ्ट हो गई हैं।

चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांडे दिवालिया होने की कगार पर है। इस कंपनी पर 23 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी है। एवरग्रांडे के डूबने के बाद चीन की GDP लगभग एक-चौथाई गिर गई है। इसी तरह के और भी कई उदाहरण हैं। पहली बार पश्चिम की बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन को शक की नजर से देख रही हैं। यह चीनी अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर है।

जहां तक भारत का सवाल है, उसने सैनिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर चीन का मुकाबला किया है। अगर आगे कोई टकराव होता है तो उसके लिए भी पूरी तैयारी है। हमारी फौज की ताकत, बहादुरी और क्षमता का अहसास चीन को अच्छी तरह से है। कुछ लोगों का सोचना है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने देश की जनता का ध्यान घरेलू आर्थिक समस्याओं से हटाने के लिए भारत-चीन सीमा पर तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

उधर, पाकिस्तान के आर्थिक हालात तो और भी खराब हैं। मंगलवार को FATF (फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स) ने पाकिस्तान को फिर से देशों की ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया। इसका मतलब है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से कर्ज नहीं मिलेगा। IMF, विश्व बैंक पहले ही पाकिस्तान को कर्ज देने से इनकार कर चुके हैं। पाकिस्तान का एकमात्र दोस्त अब चीन ही बचा है, लेकिन पाकिस्तान पहले ही चीन के बढ़ते कर्ज के बोझ तले कराह रहा है।

ये दोनों पड़ोसी मुल्क अपने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भारत से लगी अपनी सीमाओं पर तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इन दोनों देशों को पता होना चाहिए कि भारतीय सेना के पास एक ही समय दो मोर्चों पर चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए संसाधन और क्षमता है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 19 अक्टूबर, 2021 का पूरा एपिसोड

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