भारत और चीन के बीच सोमवार को शीर्ष सैन्य स्तर पर दूसरे दौर की बातचीत हुई। यह बातचीत कुल 11 घंटे तक चली और देर रात खत्म हुई। भारत ने बातचीत के दौरान चीन से साफ कह दिया कि वह लद्दाख के पैंगॉन्ग झील इलाके में भारत की जमीन से अपनी सेना हटा ले और गलवान घाटी, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स, देसपांग एवं चुशुल इलाकों में अपने सैनिकों के जमावड़े को खत्म करे।
भारत ने बातचीत के दौरान मध्य अप्रैल की यथास्थिति की बहाली की अपनी मांग एक बार फिर दोहराई। इसका मतलब यह है कि चीन की सेना को पैंगॉन्ग झील के उत्तरी तट के फिंगर 4 से हटना होगा और फिंगर 8 पर जाना होगा। 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी पीएलए के मेजर जनरल लियू लिन के बीच हुई बातचीत के नतीजों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ। बैठक में भारतीय कोर कमांडर ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों पर हुए बर्बर हमले को लेकर रोष जताया।
दिल्ली में आर्मी चीफ जनरल एम. एम. नरवणे ने सोमवार को वरिष्ठ कमांडरों के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर परिचालन की जमीनी स्थिति और सेना की तैयारियों की समीक्षा की। यह बैठक मंगलवार को भी जारी रहेगी। भारतीय सैनिकों का मनोबल इस समय काफी ऊंचा है और वे चीनियों के द्वारा अपने ऊपर धोखे से किए गए हमले के बाद उन्हें सबक सिखाने के लिए बेताब हो रहे हैं। चीनियों द्वारा गिए गए हमले में एक कर्नल समेत 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। आर्मी चीफ नरवणे कमांडरों से मिलने और जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए जल्द लद्दाख पहुंचेंगे।
इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को आयोजित वर्ल्ड वॉर 2 विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने के लिए तीन दिन की यात्रा पर मॉस्को के लिए रवाना हुए। राजनाथ सिंह मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष से मुलाकात करेंगे और उम्मीद है कि वह उनके ऊपर सुखोई एवं मिग विमानों, टी-90 मेन बैटल टैंक और किलो क्लास की पनडुब्बियों के लिए वेपन सिस्टम और स्पेयर पार्ट्स की जल्द आपूर्ति का दबाव बनाएंगे। भारत रूस से समुद्री मार्ग से शिपिंग के बजाय इन स्पेयर पार्ट्स को एयरलिफ्ट करने के लिए भी कह सकता है। भारत 2018 में साइन किए गए 5.43 बिलियन डॉलर के समझौते के तहत रूस से सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम के 5 स्क्वॉड्रन की डिलीवरी में भी तेजी लाने के लिए कह सकता है।
मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रूस-भारत-चीन की विदेश मंत्री स्तर की बैठक में हिस्सा लेंगे। इस बैठक में जयशंकर के अलावा रूस और चीन के भी विदेश मंत्री हिस्सा लेंगे। भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह शांति चाहता है, लेकिन चीन को नियमों का उल्लंघन करने और धोखे से हमला करने के अपने रवैये में सुधार लाना होगा।
भारतीय सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और एलएसी पर चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है। इस समय चीन ने गलवान घाटी में सैकड़ों लड़ाकू वाहनों और बख्तरबंद वाहनों के साथ लगभग 23,000 सैनिकों की तैनाती की हुई है। इन सैनिकों ने टेंट लगा लिए हैं और पूरी तरह से तैयार होकर आए हैं। भारत ने भी मिरर डिप्लॉयमेंट के जरिए चीनी चुनौती का मुकाबला करने के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है।
चीन ने जापान और ताइवान के खिलाफ भी आक्रामक रुख अख्तियार किया हुआ है। इसके बमवर्षक जेट विमानों ने पिछले 2 सप्ताह में 8 बार ताइवान के वायु क्षेत्र में प्रवेश किया है। चीन ने उन द्वीपों के नाम बदलने के लिए जापान को प्रतिशोध की चेतावनी भी दी है, जिनपर दोनों देश अपना-अपना दावा करते हैं।
साफ है कि चीन अब खुद को चारों तरफ से घिरा हुआ पा रहा है और उसका नेतृत्व कई मोर्चों पर लड़ने की तैयारी कर रहा है। दूसरी ओर, पश्चिम की बड़ी शक्तियों ने खुले तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी को अपना समर्थन दिया है। भारत अब चीन की चुनौती का सामना करने के लिए आश्वस्त है, और यदि दुश्मन किसी तरह का दुस्साहस करता है तो भारतीय सेनाएं निश्चित तौर पर तेजी से और निर्णायक जवाबी कार्रवाई करेंगी। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 22 जून, 2020 का पूरा एपिसोड