बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से हिन्दुओं को निशाना बनाकर उनपर हमले किए जा रहे हैं। हिंदुओं के घर जलाए जा रहे हैं, उन्हें मारा जा रहा है और साजिश के तहत उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इन घटनाओं से यहां रहने वाले करीब 1.5 करोड़ हिंदू डरे हुए हैं। रविवार की रात रंगपुर में हिंदू मछुआरों की बस्ती पर करीब 200 लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया और 29 घरों में आग लगा दी। वहीं, राजधानी ढाका से 157 किमी दूर फेनी में शनिवार को भीड़ ने हिंदू मंदिरों और दुकानों में तोड़फोड़ की।
पांच दिन पहले कोमिला में एक पूजा पंडाल में पवित्र कुरान के कथित अपमान को लेकर अफवाह फैलने के बाद दुर्गा पूजा पंडालों और हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। इस घटना के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की संख्या कई गुना बढ़ गई है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके मंत्रियों ने उस वक्त हिन्दुओं की रक्षा करने और उन पर हमला करने वालों को सजा देने का भरोसा दिलाया था। लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। न हिन्दुओं पर हमले बंद हुए और न हिंसा खत्म हुई। इतना ही नहीं इस्कॉन के मंदिर में भी तोड़फोड़ हुई और दो कृष्णभक्तों की हत्या कर दी गई।
भीड़ को हमले और हिंसा के लिए उकसाने वाले इस्लामिक जिहादी नेताओं को न तो गिरफ्तार किया गया और न ही उन्हें जेल भेजा गया। सरकार की तरफ से कड़े एक्शन लेने में हुई कमी की वजह से परोक्ष तौर पर दंगाइयों का मनोबल बढ़ गया और उन्होंने हिंदुओं को निशाना बनाकर लूटपाट, रेप और आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया।
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के वीडियो और तस्वीरें डराने वाली हैं। इन्हें देखकर आपको लगेगा कि बांग्लादेश में हिन्दू अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं। न दिन में बेखौफ होकर घर से बाहर निकल सकते हैं और न रात में निश्चिंत होकर सो सकते हैं। ये लोग अब मदद के लिए भारत की तरफ देख रहे हैं। बांग्लादेशी हिन्दू भाई-बहनों के समर्थन में बंगाल से लेकर असम तक प्रदर्शन हो रहे हैं।
सोमवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने बांग्लादेशी हिन्दुओं के दर्द को दिखाया। पीड़ितों ने यह बताया कि कैसे वे रंगपुर जिले के पीरगंज इलाके में जब अपने घरों के अंदर सो रहे थे तो अचानक 200 से ज्यादा लोगों की हिंसक भीड़ ने हिंदुओं के घरों को घेर लिया। भीड़ में शामिल लोग नारे लगा रहे थे। इसके बाद पुरुषों को घर से बाहर निकाला और उन्हें बुरी तरह से पीटा। महिलाएं और बच्चे भी जान बचाने के लिए धान के खेतों की ओर भागे। इसके बाद देखते ही देखते भीड़ ने हिंदुओं के ज्यादातर घरों में आग लगा दी। 65 में से 29 घर पूरी तरह से जला दिए गए।
जो घर जलने से बच गए उन्हें पूरी तरह से लूट लिया गया। नकदी, गहने और कीमती सामान के साथ ही दंगाई कपड़े और बर्तन तक ले गए। अब इन लोगों के पास कुछ नहीं बचा है। दंगाइयों के जाने के बाद इन लोगों ने पुलिस से एक-एक दंगाई का नाम बताया जिन्हें वे जानते थे, वे सभी मुस्लिम थे लेकिन पुलिस और प्रशासन की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस इलाके के ज्यादातर हिंदू अब बेघर हो चुके हैं। मुसीबत ये है कि अब न सिर पर छत है, न पहनने को कपड़े हैं और न खाने को खाना है। सैकड़ों हिन्दू परिवार इस चिंता में है कि दोबारा घर कैसे बनाएंगे और बच्चों को क्या खिलाएंगे।
सबसे पहले 13 अक्टूबर को कोमिला में दुर्गा पूजा पंडाल और मंदिर पर हमला हुआ। इसके तुरंत बाद चटगांव, चांदपुर और अन्य शहरों में मंदिरों, पूजा पंडालों पर हमले और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई। अभी भी हमलों की संख्या में किसी तरह की कमी होने के संकेत नहीं मिले हैं।
बांग्लादेश के अधिकारियों के मुताबिक हर घटना में एक जैसा ही पैटर्न नजर आ रहा है। हर घटना का बैकग्राउंड धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी और ईशनिंदा से जोड़ा गया। सबसे पहले सोशल मीडिया पर बेअदबी की झूठी अफवाह फैलाई गई और इसके तुरंत बाद भीड़ ने हिंदू मंदिरों, उनके घरों और व्यापारिक ठिकानों को निशाना बना शुरू कर दिया।
बांग्लादेश पुलिस के मुताबिक, रंगपुर में हिंदू बस्ती पर हुए हमले में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और उसके स्टूडेंट विंग का हाथ होने का पता चला है, यहां 29 घरों में आग लगा दी गई। हैरानी की बात ये है कि बांग्लादेश के कुछ नेता और पुलिस अफसर हिन्दुओं पर हुए हमलों को सही ठहराने की भी कोशिश कर रही है। कुछ नेताओं ने कहा कि सोशल मीडिया पर इस्लाम को लेकर अपमानजनक पोस्ट किया गया इसलिए हिंसा भड़की। हालांकि बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने वादा किया है कि जिनके घरों का नुकसान हुआ है, सरकार उनकी मरम्मत कराएगी। जो सामान लूटा गया है या जल गया है, सरकार मुआवजा देकर उसकी भरपाई करेगी। लेकिन इसके बाद भी लोगों में खौफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
बांग्लादेश के ढाका, चटगांव और अन्य शहरों में सोमवार को हिंदुओं ने अपनी सुरक्षा और दंगाइयों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। कोलकाता में सोमवार को बांग्लादेश के डिप्टी हाईकमिश्नर के दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नेताओं ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले को लेकर वहां का बहुसंख्यक मुस्लिम समाज चुप है, यह बेहद गंभीर प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा अगर जल्द कार्रवाई नहीं कई गई तो जिहादी तत्व बड़ी संख्या में हिंदुओं को निशाना बनाएंगे। कोलकाता के साथ ही गुवाहाटी में भी विरोध प्रदर्शन हुआ। यहां इस्कॉन के स्थानीय नेता ने बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र शान्ति सेना तैनात करने की मांग की।
बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान का कहना है कि उनके यहां हिन्दुओं को कोई खतरा नहीं है। हिन्दुओं पर हमले बांग्लादेश को बदनाम करने की साजिश के तहत किए गए हैं। उनकी आधी बात सही है। सिर्फ इतना सही है कि हिन्दुओं पर हमले साजिश के तहत हो रहे हैं लेकिन साजिश बांग्लादेश को बदनाम करने की नहीं बल्कि बांग्लादेश से हिन्दुओं को भगाने की हो रही है। हिंदुओं को उनकी मातृभूमि से अलग करने की साजिश हो रही है। जरा सोचिए, पहले फेसबुक पर ये अफवाह फैलाई गई कि एक हिन्दू लड़के ने पवित्र ग्रंथ का अपमान किया और फिर कुछ ही देर में सैकड़ों लोग इक्कठे हो गए। पूरे गांव को घेर लिया और घरों को आग के हवाले कर दिया। फिर ये अफवाह फैलाई गई कि मंदिर में कुरान का अपमान हुआ और इसके कुछ ही देर के बाद मंदिर पर हमला हो गया।
हकीकत ये है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले सिर्फ नौ दिन में नहीं हुए हैं। बांग्लादेश के एक मानवाधिकार संगठन (Legal and Conciliation Centre) की रिपोर्ट मैंने देखी है। पिछले नौ वर्ष में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले की 3,679 घटनाएं हुई हैं। 1,559 घरों को लूट लिया गया और उनमें आग लगा दी गई। हिंदुओं के 442 व्यापारिक ठिकानों में तोड़फोड़ की गई और इन्हें आग के हवाले कर दिया गया। वहीं हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ने, मंदिरों पर हमले, तोड़फोड़ और आगजनी की 1,678 घटनाएं हुईं। इन हमलों में 11 हिंदुओं की मौत हो गई जबकि 862 हिंदू घायल हुए थे।
अगर ये सब बांग्लादेश को बदनाम करने की साजिश के तहत हो रहा है तो क्या नौ महीने से बांग्लादेश की सरकार सो रही है? इस साजिश को नाकाम करने के लिए बांग्लादेश की सरकार ने क्या किया? हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए क्या किया? कुल मिलाकर हकीकत ये है कि बांग्लादेश में हिन्दू असुरक्षित और डरा हुआ है। उसकी संपत्ति और जिंदगी दोनों खतरे में है।
सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले की निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा- “ अपना धर्म चुनने की आजादी हर इंसान का अधिकार है, दुनिया का हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म या आस्था को मानने वाला हो, अपना महत्वपूर्ण त्योहार मना सकें, इसके लिए यह जरूरी है कि वह खुद को सुरक्षित महसूस करे।“ प्रवक्ता ने कहा,‘‘ विदेश मंत्रालय, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के लोगों पर हाल में हुए हमलों की घटनाओं की निंदा करता है।’’
इस बीच, बांग्लादेशी हिन्दू समुदाय के सदस्य प्राणेश हलदर ने एक बयान जारी किया, ‘‘ बांग्लादेश में पहले से ही परेशानियों में घिरे हिन्दुओं को और नुकसान नहीं पहुंचे, यह सुनिश्चित किया जाए।’’
उधर रविवार को बांग्लादेशी हिंदुओं ने वॉशिंगटन में बांग्लादेश दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इन लोगों ने अमेरिका में नवाधिकार को लेकर सक्रिय सभी निगरानी समूहों और मीडिया से आग्रह किया कि वे बांग्लादेश के हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा की घटनाओं को गंभीरता को उजागर करें। एक बांग्लादेशी हिंदू प्रवासी नेता ने कहा, बांग्लादेश में रहने वाले मूल हिन्दू लगातार नफरत और भेदभाव के शिकार हो रहे हैं। वहां हिन्दुओं की आबादी 40 के दशक में 28 प्रतिशत थी जो अब तेजी से घट कर 9 प्रतिशत पर आ गई है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 18 अक्टूबर, 2021 का पूरा एपिसोड