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Rajat Sharma’s Blog: पूर्व मंत्रियों एवं पूर्व सांसदों को अपने सरकारी आवास क्यों खाली करने चाहिए?

जिन बंगलों में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी रहा करते थे, उन्हें इन नेताओं के निधन के बाद स्मारकों में बदल दिया गया।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : June 28, 2019 14:45 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

लोकसभा की हाउस कमिटी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को निर्देश दिया है कि वे अपने सरकारी बंगलों को खाली कर दें, क्योंकि वे लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। आम तौर पर संसद में चुनाव हारने वाले नेताओं को अपने बंगले खाली करने होते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह देखने को मिला है कि कई पूर्व मंत्रियों सहित तमाम नेताओं ने विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए अपने बंगलों को खाली करने से इनकार कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में इस बार जो अंतर देखा जा रहा है, वह यह है कि चुनाव हारने वाले नेताओं से उनके बंगलों को खाली करवाया जा रहा है। मैं अतीत से एक या दो उदाहरणों का हवाला दे सकता हूं। जब पूर्व उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम का निधन हुआ तो कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके बंगले को उनकी सांसद बेटी मीरा कुमार को आवंटित किया गया था। बाद में जब मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष बनीं तब उन्हें एक अलग बंगला आवंटित किया गया, लेकिन उन्होंने अपने पिता के बंगले को स्मारक में तब्दील कर दिया और उस पर अपना कब्जा बरकरार रखा। वह सरकारी बंगला आज तक खाली नहीं हुआ है।

जिन बंगलों में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी रहा करते थे, उन्हें इन नेताओं के निधन के बाद स्मारकों में बदल दिया गया। जब पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हुआ तो उनके परिवार ने चार सप्ताह के भीतर सरकारी बंगला खाली कर दिया और गुरुग्राम में स्थित अपने घर में शिफ्ट हो गए। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे अजीत सिंह कई साल तक उस बंगले में रहे, लेकिन जब वह लोकसभा चुनाव हार गए तो उन्हें बंगले से जबरन बाहर निकालने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा।

ऐसे कई उदाहरण हैं, लेकिन सबसे ताजा उदाहरण जो मैं देना चाहता हूं, वह है पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का। जेटली अभी भी राज्यसभा के वरिष्ठ सांसद हैं, और उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के चलते प्रधानमंत्री से खुद को मंत्री की जिम्मेदारी से मुक्त करने का अनुरोध किया था। अगर जेटली चाहते तो एक वरिष्ठ सांसद के रूप में अपने सरकारी बंगले में रह सकते थे, लेकिन मंत्री पद छोड़ने के तुरंत बाद उन्होंने चुपचाप वह बंगला खाली कर दिया और दिल्ली के कैलाश कॉलोनी में स्थित अपने घर में शिफ्ट हो गए। यह एक उदाहरण है जिसका पूर्व मंत्रियों और पूर्व सांसदों को अनुकरण करना चाहिए।

लोकसभा में पहली बार बड़ी संख्या में चुनकर आए सांसदों के लिए पहले ही आवास की जबर्दस्त कमी का सामना करना पड़ रहा है। उनमें से कई सांसद फिलहाल राज्य सरकार के गेस्ट हाउस या होटलों में रह रहे हैं, क्योंकि अभी तक उन्हें आधिकारिक आवास आवंटित नहीं किया गया है। दूसरी ओर ऐसे भी कई सांसद और मंत्री हैं जो चुनाव हार गए हैं लेकिन उन्होंने अभी तक अपने बंगले और फ्लैट खाली नहीं किए हैं। मोदी सरकार हाउसिंग कमिटी की सिफारिशों पर सांसदों के लिए आवास नीति को सख्ती से लागू कर रही है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 जून 2019 का पूरा एपिसोड

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