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Rajat Sharma Blog: मध्य प्रदेश में किसानों को यूरिया की भारी किल्लत का सामना क्यों करना पड़ रहा है?

15 साल के वनवास के बाद सत्ता में आई कांग्रेस, बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है कि वह जानबूझकर यूरिया की कमी पैदा कर रही है

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: December 25, 2018 23:26 IST
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Image Source : INDIA TV Rajat Sharma Blog: Why farmers in MP are facing acute shortage of urea?

मध्य प्रदेश और राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में सुबह पौ फटने के साथ ही यूरिया वितरण केंद्रों पर किसानों की लंबी कतार आजकल आम बात हो गई है। सोमवार की रात इंडिया टीवी ने 'आज की बात' में रायसेन, राजगढ़ और अशोक नगर में अपने संवाददाताओं के माध्यम से रियलिटी चेक किया और पाया कि जहां एक ओर किसान यूरिया के लिए तरस रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसकी ब्लैक मार्केटिंग के जरिए भारी मुनाफाखोरी कर रहे हैं। 

इसका नतीजा ये हो रहा है कि यूरिया वितरण केंद्रों से निराश होकर लौट रहे किसान धरना-प्रदर्शन और सड़क जाम कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे रबी की फसल बो चुके हैं, अगर यूरिया समय पर नहीं मिला तो फसल चौपट हो जाएगी। दिसंबर में मध्यप्रदेश में करीब तीन लाख सत्तर हजार मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत थी, लेकिन अभी तक सिर्फ सवा दो लाख टन यूरिया की आपूर्ति हुई है। यानी अभी भी करीब डेढ़ लाख टन यूरिया की कमी है। अब इसपर राजनीति भी शुरू हो गयी है। हाल के विधानसभा चुनाव में कड़े मुकाबले के बाद अब एकबार फिर कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। 

15 साल के वनवास के बाद सत्ता में आई कांग्रेस, बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है कि वह जानबूझकर यूरिया की कमी पैदा कर रही है जिससे किसान परेशान होकर विरोध-प्रदर्शन करें। राज्य के बीजेपी नेताओं का आरोप है कि कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के संरक्षण में यूरिया की भारी कालाबाजारी की जा रही है।

रायसेन में सहकारी समितियों और मार्केटिंग फेडरेशन केंद्रों के चक्कर लगाने के बाद खाली हाथ लौट रहे किसानों का कहना है कि गोदामों में यूरिया के स्टॉक खत्म हो गए हैं जबकि खुलेआम इसकी कालाबाजारी की जा रही है। कई जगहों पर किसानों ने मार्कफेड के दफ्तरों का घेराव भी किया, आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में यूरिया बांटने की जिम्मेदारी मार्कफेड की है। किसानों के गुस्से का नतीजा ये रहा कि स्थानीय अधिकारियों को गोदाम खोल कर दिखाना पड़ा कि यूरिया नहीं है।

राजगढ़ में कड़कड़ाती ठंड में सुबह 5 बजे से लाइन में लगने के बाद जब किसान यूरिया केंद्र से खाली हाथ वापस लौट रहे थे तो उन्होंने हाईवे जाम कर दिया। अशोक नगर में किसानों ने जिला कलेक्ट्रेट का घेराव करने के साथ ही चक्का जाम भी किया। जिसके बाद अफसरों ने उन्हें समझाया कि यूरिया की कमी है, उसे पूरा करने में वक्त लगेगा। तबतक स्टॉक में जो यूरिया बचा था वो सभी किसानों में बंट जाए इसके लिए राशनिंग कर दी गई, सभी किसानों को दो-दो बोरी यूरिया बांटी गई। 

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि यूरिया की कोई कमी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इस साल पिछले साल की तुलना में यूरिया की ज्यादा आपूर्ति हुई है। मुनाफाखोर लोग सिस्टम में कमी का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह मानव निर्मित कमी है। यूरिया की कमी थी नहीं, कमी की गई है। 

ये समस्या ऐसी है जिस पर पहले से प्लानिंग होनी चाहिए थी। किसानों की जरूरतें कितनी हैं इसका अंदाजा लगाया जाना चाहिए था औऱ समय रहते यूरिया की आपूर्ति होनी चाहिए थी। इससे मौजूदा समस्या से बचा जा सकता था, लेकिन इसका पूरी तरह से अभाव दिखा। राज्य प्रशासन पूरे महीने चुनाव कराने में व्यस्त था और आचार संहिता लागू थी। हमारे यहां नेताओं के साथ दिक्कत ये है कि वे समस्या का हल निकालने पर कम और एक-दूसरे को दोषी ठहराने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। (रजत शर्मा)

देखें,'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 24 दिसंबर 2018 का पूरा एपिसोड

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