![Rajat Sharma's Blog:Why BJP lost Jharkhand assembly elections?](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को हुई मतगणना में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की अगुवाई वाले गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी को हरा दिया। जेएमएम की अगुवाई वाले गठबंधन ने विधानसभा की कुल 81 सीटों में से 47 सीटों पर जीत हासिल की। अब हेमंत सोरेन प्रदेश के अगले सीएम बनेंगे जो कि मौजूदा मुख्यमंत्री रघुबर दास की जगह लेंगे।
पिछले साल दिसंबर से लेकर अबतक आठ विधानसभा चुनावों में बीजेपी केवल हरियाणा में चुनाव के बाद दुष्यंत चौटाला की पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार बचाने में कामयाब रही है। वहीं यदि शिवसेना बीजेपी का साथ छोड़कर एनसीपी और कांग्रेस खेमे के साथ नहीं जाती तो महाराष्ट्र में बीजेपी अपनी सरकार बनाये रखने में कामयाब रहती। झारखंड पांचवां राज्य है जिसे बीजेपी ने पिछले एक साल में खो दिया है।
आइये यह आकलन करें कि झारखंड में हुआ क्या
सिर्फ छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झारखंड में लोकसभा की कुल 14 में से बारह सीटों पर जीत दर्ज की थी और उसे 51 फीसदी वोट मिले थे। अगर उस हिसाब से देखा जाए तो 81 में से 57 विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में वह बुरी तरह हार गई। उसे कुल 25 सीटों से संतोष करना पड़ा और 34 फीसदी वोट मिले। इसके साथ ही बीजेपी ने सिंगल लार्जेस्ट पार्टी (अकेली सबसे बड़ी पार्टी) का दर्जा भी खो दिया जो कि इस चुनाव में जेएमएम को हासिल हुआ। जेएमएम कुल 30 सीटें जीतने में कामयाब रही।
बीजेपी की हार की मुख्य तीन वजहें
बीजेपी की हार की सबसे पहली वजह तो यह है कि अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को नजरअंदाज किया। पार्टी ने आजसू के साथ गठबंधन नहीं किया और अकेले चुनाव लड़ा। वहीं दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मजबूत गठबंधन बनाया। बीजेपी विरोधी मतों को बंटने से रोकने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन किया। बीजेपी को 34 फीसदी वोट मिले, आजसू को 9 फीसदी और जेएमएम की अगुवाई वाले गठबंधन को करीब 36 फीसदी वोट मिले।
बीजेपी की हार की दूसरी सबसे बड़ी वजह पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी को छोड़ना रहा। राधाकृष्णा किशोर ने आजसू का दामन थाम लिया जबकि वरिष्ठ नेता सरयू राय ने मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत करके जमशेदपुर पूर्वी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया और सीएम रघुवर दास को हरा भी दिया। इन नेताओं के नाराजगी ये थी कि बीजेपी ने अपने पुराने लोगों को किनारे किय़ा और बाहर से हाल ही में पार्टी में आए लोगों को टिकट दिया गया।
झारखंड में बीजेपी की इस हार की तीसरी वजह है कि पार्टी ने गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री को सामने रखा। इस राज्य में 26 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी रहते हैं और विधानसभा की 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। बीजेपी के पुराने आदिवासी नेता बार-बार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को कहते रहे कि राज्य के आदिवासी मुख्यमंत्री से नाराज हैं और उन्हें आदिवासी विरोधी मानते हैं....उनकी नीतियों को गलत मानते हैं। लेकिन इन नेताओं की बातों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। झारखंड बीजेपी के नेताओं को इस बात की भी शिकायत है कि पार्टी नेतृत्व ने मुख्यमंत्री रघुबर दास पर जरूरत से ज्यादा भरोसा किया और इसका नतीजा सबके सामने है। पिछले एक साल में पांचवां राज्य बीजेपी के हाथ से निकल गया। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 23 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड