एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं की पूरी फौज हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार में व्यस्त है, वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस खामोश नजर आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दोनों राज्यों में एक भी चुनावी रैली को संबोधित नहीं किया। सोनिया गांधी के बारे में माना जा सकता है कि उनकी सेहत ज्यादा मेहनत की इजाजत नहीं देती, लेकिन उनकी बेटी प्रियंका वाड्रा और बेटे राहुल गांधी का क्या?
प्रियंका वाड्रा अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश तक ही सीमित हैं और उन्होंने हरियाणा या महाराष्ट्र में एक भी चुनावी रैली को संबोधित नहीं किया। पार्टी के स्टार प्रचारक राहुल गांधी दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में कुछ निजी वक्त बिताने के बाद वापस आए, लेकिन मुश्किल से दो दिन ही चुनावी सभाओं को संबोधित किया। इन सभाओं में राहुल गांधी ने वही भाषण दिए जो वह 6 महीने पहले दिया करते थे। अपने भाषणों में उन्होंने राफेल सौदे जैसे पुराने और बेजान मुद्दों को उठाया। उन्होंने पिछले 2 दिनों में एक भी चुनावी रैली को संबोधित नहीं किया।
स्वाभाविक रूप से, कांग्रेस के कार्यकर्ता खुद को हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस के कई नेता या तो पार्टी छोड़ रहे हैं या वे गुटों में बंटे हुए हैं। देश पर कई दशकों तक शासन करने वाली 134 साल पुरनी पार्टी की हालत इस समय ठीक नहीं है। दूसरी तरफ, असदुद्दीन ओवैसी जैसे सीमित पहुंच वाले नेता ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं और उन इलाकों पर खास ध्यान दे रहे हैं जहां उनकी मजबूत पकड़ है। ओवैसी जैसे नेता महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी को कई सीटों पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। (रजत शर्मा)
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