गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में खुलासा किया कि केंद्र सरकार नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) को असम के साथ-साथ पूरे देश में लागू करेगी। शाह के ऐलान के बाद से ही इस मुद्दे पर हंगामा मचा हुआ है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि उनकी सरकार किसी भी कीमत पर अपने राज्य में एनआरसी को लागू करने की इजाजत नहीं देगी। अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि ‘एनआरसी की प्रक्रिया को पूरे देश में अंजाम दिया जाएगा। किसी भी धर्म के व्यक्ति को चिंता नहीं करनी चाहिए। यह सिर्फ हर किसी को एनआरसी के तहत लाने की प्रक्रिया है।’
गृह मंत्री ने साफ किया कि नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) एनआरसी से अलग है। सीएबी का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता प्रदान करना है जो धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आ गए है। लेकिन उन्होंने कहा, ‘एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कुछ धर्मों को इससे बाहर रखा जाएगा। भारत के सभी नागरिक, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, एनआरसी लिस्ट में शामिल होंगे।’
भारत भर में लागू की जाने वाली एनआरसी प्रक्रिया में समय लगेगा क्योंकि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) तैयार नहीं है। 2021 की जनगणना के दौरान एनपीआर को अपडेट किया जाएगा। लोगों के मन में एनआरसी को लेकर कई आशंकाएं हैं। मैं यहां बताना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असम में एनआरसी की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया था। इस प्रक्रिया को पूरा करने के दिशानिर्देश शीर्ष अदालत द्वारा तैयार किए गए थे। और अब जब गृह मंत्री ने कहा है कि एनआरसी को देश भर में लागू किया जाएगा, तो ममता बनर्जी जैसे राजनेता आशंकित हो गए हैं।
ममता बनर्जी एनआरसी का विरोध इसलिए कर रही हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे पश्चिम बंगाल में उनके वोट बैंक को नुकसान हो सकता है। अमित शाह ने सही समय पर साफ किया है कि एनआरसी तैयार करते समय कोई धार्मिक भेदभाव नहीं होगा। चलिए, इंतजार करते हैं और देखते हैं कि आगे क्या होता है। (रजत शर्मा)
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