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RAJAT SHARMA BLOG: अगर विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं तो फिर किसका फैसला मानेंगे?

सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है उसका मतलब साफ है कि राहुल गांधी इस PIL की आड़ में पर्दे के पीछे से अमित शाह के साथ राजनीतिक बदला लेने की कोशिश कर रहे थे।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated : April 20, 2018 18:38 IST
RAJAT SHARMA BLOG: Whose verdict will Opposition accept, if it is not ready to accept SC verdict?
Image Source : INDIA TV RAJAT SHARMA BLOG: Whose verdict will Opposition accept, if it is not ready to accept SC verdict?

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सीबीआई कोर्ट जज बीएच लोया की मौत के मामले की एसआईटी जांच को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। जज बीएच लोया की मौत नागपुर में 1 दिसंबर 2014 को हुई थी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि जज लोया की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी और इसमें किसी भी तरह के संदेह की गुंजाइश नहीं बनती है। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की प्रक्रिया को अपमानित करने के लिए याचिकाकर्ताओं की निंदा की और कहा कि पहली नजर में यह आपराधिक अवमानना का केस बनता है लेकिन कोर्ट ने इस संबंध में कार्यवाही नहीं शुरू करने का फैसला किया है। कोर्ट ने कहा, जनहित याचिका के अधिकार का दुरुपयोग उनलोगों के द्वारा ढिठाई से किया जा रहा है जिनके पास बदला लेने के लिए एक एजेंडा है।

सुप्रीम कोर्ट ने जो अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया उसके दो बड़े मतलब हैं। एक तो जज लोया के केस को हथियार बनाकर पॉलिटिकल स्कोर सैटल (राजनीतिक बदला) करने की कोशिश की गई। दूसरा PIL को हथियार बनाकर चीफ जस्टिस और केस के सुनवाई करने वाले जजों पर कीचड़ उछालने की कोशिश हुई। नोट करने वाली बात ये है कि जिन लोगों और संगठनों ने इस मामले में याचिकाएं दाखिल की थी उन सभी के तार आपस में जुड़े हैं। सबके निशाने पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह थे।

मैं यहां मैं कुछ बातें साफ-साफ कहना चाहता हूं। जब प्रशान्त भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में जज लोया की मौत की जांच को लेकर जजों की नियत पर सवाल उठाए और जब दुष्यन्त दवे ने बार-बार अमित शाह का नाम लिया, एक ऐसा प्रभाव पैदा करने की कोशिश की जैसे सबकुछ अमित शाह को बचाने के लिए हो रहा है। राहुल गांधी को संभवत: ऐसे मौके पर लगा कि लॉटरी हाथ लग गई। उन्हें अमित शाह पर लांछन लगाने का बड़ा मौका मिल गया। और जैसा कि राहुल गांधी की आदत है कि एक बात को वो बार-बार कहते हैं। राहुल बार-बार जज लोया की मौत और अमित शाह का नाम लेते रहे। सभी विरोधी दल के नेताओं को इक्कठा करके वे राष्ट्रपति से मिलने गए।

सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है उसका मतलब साफ है कि राहुल गांधी इस PIL की आड़ में पर्दे के पीछे से अमित शाह के साथ राजनीतिक बदला लेने की कोशिश कर रहे थे। अब राहुल गांधी इस मुद्दे पर खामोश हैं और उनकी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए दिए हैं। अब सवाल सिर्फ इतना है कि अगर आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नहीं मानेंगे तो किसके फैसले को मानेंगे? (रजत शर्मा)

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