कुलभूषण जाधव को लेकर पाकिस्तान की नीयत पर शुरू से ही शक रहा है। उसका ट्रायल किसी सिविल कोर्ट में नहीं हुआ। उसे काउंसलर एक्सेस तक नहीं मिला और न ही उसे अपना पक्ष रखने के लिए किसी वकील को रखने की इजाजत दी गई। सैन्य अदालत ने जल्दबाजी में उसे मौत की सजा सुना दी।
भारत ने जब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इस मामले को रखा और मौत की सजा पर स्टे हासिल कर लिया तो पाकिस्तान की सेना ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर कुलभूषण को उसकी पत्नी और मां से मिलने की इजाजत दी। सोमवार को पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह मौत की सजा प्राप्त एक आरोपी अपनी मां और पत्नी से लंबे अर्से बाद मिलता भी है तो उनके बीच शीशे की दीवार होती है। कैमरे से इस बात पर नजदीकी निगाह रखी जा रही थी कि दोनों तरफ क्या हो रहा है और किस तरह की बातें हो रही हैं। कुलभूषण से मुलाकात से पहले मां और पत्नी के कपड़े तक बदलवाए गए। इतना ही नहीं मंगलसूत्र, बिंदी, चूड़ी और जूते तक उतरवा लिए गए। कुलभूषण की पत्नी को वापसी के समय उसके जूते तक नहीं लौटाए गए। इंटरकॉम के जरिए जाधव ने अपनी मां और पत्नी से बात की। क्लोजअप वीडियो से साफ जाहिर हो रहा है कि कुलभूषण को टॉर्चर किया गया है। उसके सिर, गर्दन और कान पर चोट के निशान थे। दुबई स्थित एक जर्मन डॉक्टर की मेडिकल रिपोर्ट में हेरफेर स्पष्ट तौर पर नजर आता है। प्रिंटेड रिपोर्ट पर हाथ से तारीख लिखी गई है।
जिस तरह से यह मुलाकात करवाई गई वह 'लॉ ऑफ नेचुरल जस्टिस' और इंसानियत के खिलाफ है। जरा सोचिए कि कोई मां अपने बेटे से मिलने के लिए और कोई पत्नी अपने पति से मिलने के लिए 21 महीने तक इंतजार करे। औऱ जब मुलाकात हो तो वो कुलभूषण को छू भी ना सकें। अकेले में उससे यह भी न पूछ सकें कि क्या वह ठीक है? उसे अब भी टॉर्चर तो नहीं किया जाता? औऱ सबसे दुख की बात यह है कि पाकिस्तान ने इस मुलाकात को पब्लिसिटी के लिए खुलकर इस्तेमाल किया। अगर वाकई में कुलभूषण ठीकठाक है, उसे टॉर्चर नहीं किया गया है तो फिर काउंसलर एक्सेस देने में क्या प्रॉबल्म है? यह तो दुनिया का नॉर्म्स है। इसके लिए भारत कम से कम 20 बार आग्रह कर चुका है। पाकिस्तान सरकार को इस बात का अहसास होना चाहिए कि पूरी दुनिया इस केस के परिणाम पर नजदीकी निगाह बनाए हुए है। (रजत शर्मा)