प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चेन्नई के पास समुद्र तटीय शहर मामल्लपुरम (पुराना नाम महाबलीपुरम) में एक अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में मुलाकात करेंगे। सभी की निगाहें इस सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की तरफ से उठाए जानेवाले मुद्दों पर टिकी हुई हैं। चीन के वुहान में दोनों नेताओं के बीच हुई अनौपचारिक शिखर बैठक के बाद यह तय किया गया था कि पीएम मोदी के साथ दूसरी शिखर बैठक के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत आएंगे।
मोदी को अनौपचारिक कूटनीति की कला में माहिर माना जाता है। डोनाल्ड ट्रम्प, व्लादिमीर पुतिन, शिंजो आबे और शी जिनपिंग जैसे राजनेताओं के साथ उनकी अनौपचारिक बैठकों का पूरी दुनिया में प्रभाव पड़ा है। इन बैठकों को मोदी बेहद पर्सनल टच देते हैं, जिसका दूरगामी असर होता है। पिछले साल वुहान यात्रा के दौरान चीन में मोदी का भव्य स्वागत किया गया था और तभी उन्होंने भारत में चीन के राष्ट्रपति का उसी तरह से भव्य स्वागत करने का फैसला किया था।
यह 'अनौपचारिक' शिखर बैठक स्वातंत्र्य़ोत्तर भारतीय कूटनीति के इतिहास में एक अद्भुत घटना है, जो वर्ष 2014 के बाद से शुरु हुई। दुनिया के बड़े राजनेताओं के साथ पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों की सभी बैठकें लगभग औपचारिक और एक तय ढांचे के तहत हुआ करती थी। मोदी को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने अनौपचारिक शिखर मुलाकातों की एक नयी रवायत शुरु की है ।
कूटनीति के अलावा इस तरह की अनौपचारिक शिखर मुलाकातों के पीछे नरेंद्र मोदी का एक विजन काम करता है। असल में नरेन्द्र मोदी इस तरह की जगहों पर दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं को बुलाकर भारत की सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने रखते हैं। इससे दो फायदे होते हैं:एक तो पूरी दुनिया की नजर इन पर्यटन स्थलों पर पड़ती है और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। दूसरा ये कि इन नेताओं के दौरे से महाबलीपुरम जैसे पर्यटन स्थलों का कायाकल्प हो जाता है। इन शहरों में पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विकास हो जाता है। इससे विदेशी पर्यटकों को सुविधा मिलने के साथ ही स्थानीय पर्यटन उद्योग को भी गति मिलती है।
पीएम मोदी व्यक्तिगत तौर पर शी जिनपिंग के साथ गाइड की भूमिका में नजर आएंगे। भरत नाट्यम नृत्य देखने के बाद मोदी और शी जिनपिंग अर्जुन तपस्या स्मारक, पंच रथ और शोर टेंपल भी देखेंगे। पीएम मोदी मामल्लपुरम में शी जिनपिंग को वे प्राचीन चीनी सिक्के भी दिखाएंगे जिसे पुरातत्वविदों ने खोज निकाला था। इन प्राचीन चीनी सिक्कों से यह साबित होता है कि 7वीं सदी में पल्लव वंश और चीनी साम्राज्य के बीच व्यापारिक और सामाजिक संबंध थे।
इस बार की मुलाकात के लिए कोई तय एजेंडा नहीं है कि उसी के दायरे में बातचीत हो। दोनों नेता अपने सलाहकारों के साथ उन गंभीर मुद्दों पर चर्चा करेंगे जो खासतौर से एशिया और दुनिया, दोनों को प्रभावित करते हैं। व्यापार और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बातचीत में प्रमुखता से चर्चा हो सकती है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि एशिया की दो बड़ी शक्तियां, जो दुनिया की करीब दो तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करती है, एक दूसरे के नज़दीक आ पाने में कामयाब होंगी। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 10 अक्टूबर 2019 का पूरा एपिसोड