कोरोना वायरस को लेकर हालात अब पिछले साल की तरह होने लगे हैं। मंगलवार को देशभर में कोरोना के 1,15,249 नए मामले सामने आए जो अबतक एक दिन में सबसे ज्यादा है। पिछले 24 घंटे में 630 मरीजों की मौत हो गई। पांच नवंबर के बाद से यह कोरोना के चलते एक दिन में होनेवाली सबसे ज्यादा मौत है। कोरोना के एक्टिव मामलों में 54 हजार से ज्यादा की वृद्धि हुई और अब यह 8 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। दो दिन पहले एक्टिव मामलों की संख्या सात लाख दर्ज की गई थी और इस संख्या में एक बड़ी उछाल देखने को मिली है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण पैदा हुआ संकट कितना बड़ा है जरा इसके बारे में सोचें। कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, किसी तरह की कमी देखने को नहीं मिल रही है। अमेरिका के बाद भारत दुनिया का दूसरा देश बन गया है जहां एक दिन में एक लाख से ज्यादा कोरोना के मामले दर्ज किए गए। महाराष्ट्र में हालात चिंताजनक है। मंगलवार को यहां 55,469 नए मामले सामने आए जो अबतक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। वहीं राज्य में एक दिन में 297 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई। इनमें अकेले मुंबई शहर में 10,030 नए मामले सामने आए और 31 लोगों की मौत हुई है। पुणे जिले में मंगलवार को 10,226 नए मामले सामने आए और 58 लोगों की मौत हुई। नागपुर में एक दिन में 3,758 नए मामले सामने आए और 54 लोगों की मौत हुई। महाराष्ट्र में हालात नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है।
वहीं महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य कर्नाटक में मंगलवार को 6,150 नए मामले सामने और 39 मौतें हुईं। यह महामारी कई अन्य राज्यों में फैल रही है: केरल (3,502), उत्तर प्रदेश (5,928), तमिलनाडु (3,645), दिल्ली (5,100), राजस्थान (2,236), गुजरात (3,280), मध्य प्रदेश (3,722), पंजाब (2,924) ) और झारखंड में 1,264 नए मामले सामने आए हैं । ये महामारी के फैलने का साफ संकेत दे रहे हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने बताया कि यह महामारी पिछले साल की तुलना में तेजी से फैल रही है इसलिए अगले चार सप्ताह बेहद अहम हैं। कोरोना के हाई एक्टिव मामलों वाले 10 राज्यों में से सात राज्य महाराष्ट्र के हैं जबकि छत्तीसगढ़ और पंजाब में हालात खतरनाक है।
अधिकांश राज्यों ने नाइट कर्फ्यू और आवाजाही पर पाबंदी लगाना शुरू कर दिया है, लेकिन ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं। मंगलवार को दिल्ली सरकार ने रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक का कर्फ्यू लगा दिया और ऐलान किया कि यह 30 अप्रैल तक लागू रहेगा। केवल वैक्सीनेशन सेंटर्स (टीकाकरण केंद्रों), स्वास्थ्य कर्मचारियों, हवाई और रेल यात्रियों और जरूरी सेवाओं को ही इस कर्फ्यू प्रतिबंध से छूट दी गई है। दिल्ली मेट्रो चलती रहेगी, लेकिन कर्फ्यू की अवधि में इसका इस्तेमाल वही लोग कर पाएंगे जिन्हें छूट दी गई है। एक राज्य से दूसरे राज्य में और राज्य के अंदर सामानों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। कोरोना का प्रकोप बढ़ने के कारण एम्स ( AIIMS) और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी अस्पताल ने बुधवार से ओपीडी बंद कर दी है। केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी कर्मचारियों को खुद से वैक्सीनेशन (टीकाकरण) कराने का निर्देश दिया है।
इस निराशाजनक माहौल में अच्छी बात ये है कि अब वैक्सीनेशन सेंटर्स पर आम लोगों की भीड़ लगने लगी है। मंगलवार रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में, हमने पटना और मुरैना (मध्य प्रदेश) में टीकाकरण केंद्रों के बाहर खड़ी भीड़ को दिखाया। यहां लोग टीकों के लिए बड़ी संख्या में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।
दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान पूरे देश में चल रहा है। महामारी के फैलने की रफ्तार को धीमा करने के लिए टीके महत्वपूर्ण हैं। पूरी आबादी के 60 से 70 फीसदी टीकाकरण के बाद ही यह कहा जा सकता है कि लोगों ने अब हर्ड इम्यूनिटी हासिल कर ली है। टीकाकरण अभियान के पिछले तीन महीनों में अबतक केवल तीन राज्यों ने अपनी आबादी का 5 प्रतिशत कवर किया है। महाराष्ट्र में अकोला, यवतमाल, बुलढाणा, गोंदिया, वाशिम और नागपुर ग्रामीण जैसे कई जिलों में वैक्सीन का स्टॉक खत्म होने की खबरें हैं।
मंगलवार रात 8 बजे तक पूरे देश में कोरोना के 8.4 करोड़ से ज्यादा टीके लगाए गए हैं। इनमें 45 वर्ष और इससे अधिक उम्र के 5.44 करोड़ से ज्यादा लोगों को दी गई पहली खुराक भी शामिल है। पिछले 79 दिनों में कोरोना की 7.9 करोड़ से ज्यादा खुराक दी गई है। केंद्र ने यह संकेत दिया है कि टीकाकरण के मौजूदा दौर के बाद वैक्सीन की आपूर्ति में कमी हो सकती हैं। टीकाकरण का मौजूदा दूसरा दौर जुलाई तक चलेगा। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि दूसरा दौर खत्म होने के बाद सबसे कमजोर समूहों को टीकाकरण में प्राथमिकता मिलेगी।
देश में कुछ लोग अभी-भी वैक्सीन लगवाने से डर रहे हैं। वे कहते हैं जरा देख लें, कुछ और इंतजार कर लें। ऐसे लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि हमारे देश में 8.4 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। अब क्या देखना बाकी है? किस बात का डर है? दुनिया के 155 मुल्कों में करीब सत्तर करोड़ डोज (खुराक) दी जा चुकी है। लेकिन ये आंकड़ा दुनिया की आबादी का पांच प्रतिशत भी नहीं है। ये बहुत कम है। हालात फिर से सामान्य हों इसके लिए किसी भी मुल्क में 70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगवानी होगी। जिन देशों में चालीस प्रतिशत से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, वहां कोरोना के मामले तेजी से कम हुए हैं और हालात सुधर रहे हैं।अमेरिका में करीब 17 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। यहां आधी आबादी का टीकाकरण हो चुका है और मई के आखिर तक कुल आबादी 33 करोड़ में से 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगा दी जाएगी।
इसके विपरीत भारत की चुनौती इससे कहीं बड़ी है। अमेरिकी में तो कुल 33 करोड़ लोग हैं लेकिन हमारे यहां अकेले उत्तर प्रदेश में 24 करोड़ लोग हैं। हमारे देश की आबादी अमेरिका से सौ करोड़ ज्यादा है। हालांकि वैक्सीन लगाने की हमारी क्षमता दुनिया में सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हम 70 लाख लोगों को रोज वैक्सीन की डोज (खुराक) देने में सक्षम हैं लेकिन इसके लिए देश की जनता का सहयोग सबसे जरूरी है। लोग आगे बढ़ें और जो योग्य हैं वो वैक्सीन लगवाएं ताकि फिर आपसे कम उम्र वालों का नंबर आए। इसीलिए अगर हम चाहते हैं कि हमारे देश में जनजीवन सामान्य हो तो फिर वैक्सीनेशन ही इसका रास्ता खोल सकता है। जब तक 50 से 60 प्रतिशत लोगों का वैक्सीनेशन हो नहीं जाता तब तक मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग अपनाना और हाथों को धोते रहना जरूरी है।
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 06 अप्रैल, 2021 का पूरा एपिसोड