बुधवार की रात इंडिया टीवी ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी पर अपनी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट प्रसारित की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह एक गांव में गोकशी के जरिए दंगे फैलाने की राजनीतिक साजिश रची गई थी। स्पेशल टास्क फोर्स ने गोकशी में शामिल 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और अब उनके राजनीतिक और माफिया संपर्कों को लेकर पूछताछ की जा रही है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया था कि बुलंदशहर की घटना, जिसमें एक पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार सिंह को गोकशी के मामले के सामने आने के बाद उत्तेजित भीड़ ने मार डाला था, एक ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ का हिस्सा थी।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'बुलंदशहर की घटना एक साजिश थी, जिसे उन्हीं लोगों ने अंजाम दिया था जिन्होंने प्रदेश में जहरीली शराब बनाकर, यहां के लोगों को मारने का प्रयास किया था। यह राजनीतिक षड्यंत्र था और ऐसे राजनीतिक षड्यंत्र वही कायर करते हैं जो आमने-सामने किसी चुनौती को का सामना करने की हालत में नहीं होते हैं। वे अपने पैरों के नीचे जमीन खिसकती देख एक-दूसरे के गले मिल रहे हैं और निर्दोंष लोगों को निशाना बनाना चाहते हैं। प्रदेश सरकार इस तरह की किसी साजिश को सफल नहीं होने देगी और सख्ती से निपटेगी। जो लोग गोकशी करके अशांति और अराजकता फैलाना चाहते थे, उन्हें रोका जा चुका है।’
यह घटना बुलंदशहर में मुसलमानों के एक बड़े आयोजन, इज्तेमा के आखिरी दिन की है। यह साफ है कि गांव में गोकशी करके सांप्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश रची गई थी। यूपी पुलिस ने 3 दिसंबर को ही कहा था कि इज्तेमा के दौरान गोकशी की घटना का सामने आना दंगे भड़काने के लिए एक सोची-समझी साजिश की तरफ इशारा कर रही है। पुलिस ने यह भी स्वीकार किया कि उसने पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद गोकशी के इल्जाम में गलत लोगों के पकड़ा था। ऐसा कम ही होता है कि पुलिस अपनी गलती माने, लेकिन यूपी पुलिस को इस बात का श्रेय देना होगा कि उसने स्वीकार किया कि मामले में गलत लोगों की गिरफ्तारी की गई।
अब पुलिस गोकशी करने वाले गैंग तक तो पहुंच गई है, लेकिन यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह और गहराई से जांच करे और उन लोगों का पता लगाए जो सांप्रदायिक दंगे भड़काने की बड़ी साजिश रच रहे थे। (रजत शर्मा)
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