भारत के लौह पुरुष के रूप में विख्यात स्वाधीन भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का आज 143वां जन्मदिवस है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने 182 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी राष्ट्र को समर्पित की ।
भारत के इस महान सपूत को यही सच्ची श्रद्धांजलि है। सरदार पटेल ने आजादी के तुरंत बाद अपनी मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक कुशलता की बदौलत 550 अलग-अलग रियासतों और रजवाड़ों को भारत में मिलाकर उन्हें एकता के सूत्र में पिरोया। सरदार पटेल और उनकी टीम ने बड़े ही धैर्य के साथ एक-एक रियासत से बात की और उन्हें स्वतंत्र भारत का हिस्सा बनाया । भारत का आज जो भी नक्शा है, वह उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा है।
सरदार पटेल की प्रतिमा की स्थापना तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही प्रतिमा के आसपास के इलाकों को विकसित करके इसे पर्यटन स्थल का रूप दिया गया है । इस विशाल प्रतिमा में व्यूईंग गैलरी बनाई गई है जहां से चारों तरफ का नजारा देखने का इंतजाम है। कुशल कारीगरों ने फूलों की घाटी तैयार की है। एक संग्रहलाय बनाया गया है और बोटिंग के भी इंतजाम हैं।
इस पर्यटन स्थल के विकसित होने से आने वाले समय में पूरे नर्मदा जिले के लोगों को रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे। यह एक ऐसी योजना थी जिसकी कल्पना नरेंद्र मोदी ही कर सकते थे। इसकी कल्पना उन्होने उस वक्त की थी जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। एक ड्रीम प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने का पूरा श्रेय उन्हें जाता है। इसके लिए नरेंद्र मोदी प्रशंसा के पात्र हैं। (रजत शर्मा)