वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन द्वारा शुक्रवार को संसद में प्रस्तुत केंद्रीय बजट मूल रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की नीतियों और उद्देश्यों को रेखांकित करने वाला बजट था, जो अपने दूसरे कार्यकाल के प्रारंभिक दौर में है। यह एक पूर्ण बजट नहीं था और इसकी अधिकांश घोषणाएं इस साल फरवरी में लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में की जा चुकी हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन द्वारा पेश किये गए बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए चुनावी वादों की झलक मिलती है। मोदी ने चुनाव के दौरान जो वादे किए उन्हें पूरा करने की दिशा में सरकार की नीति और नियत का यह बजट है। इस बजट से ये बात तो साफ हुई कि सरकार की नीति का मुख्य फोकस 'गांव', गरीब और किसान है। सभी ग्रामीण घरों में पाइप के जरिये पानी पहुंचाने, अगले दो वर्षों में गरीबों के लिए 1.95 करोड़ घरों के निर्माण और किसानों की आय को दोगुना करने के उपायों की स्पष्ट झलक इस बजट भाषण में मिलती है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि आने वाले दिनों में हम इन सारी बातों का इंप्लीमेंटेशन देखेंगे और भारत को बदलता देखेंगे।
अपने बजट में निर्मला सीतारामन ने किसानों, ग्रामीण परिवारों, मध्यम और छोटे स्तर के उद्यमियों, स्टार्टअप और मध्यम वर्ग के टैक्स पेयर्स पर अधिक ध्यान देने के साथ सभी वर्गों के लोगों को लाभ देने की कोशिश की है। बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश को आमंत्रित करने और रोजगार प्रदान करने के लिए विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के साथ, इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश पर भारी जोर निश्चित रूप से अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के लिए बड़ा लाभ उत्पन्न करने वाला है।
वित्त मंत्री ने टैक्स चोरी की कई खामियों को दूर करते हुए उन लोगों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी कर दिया है जो विदेश यात्रा पर जमकर पैसे लुटाते हैं और अपने बैंक खाते में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि रखते हैं। इसी तरह, आयकर अधिकारियों और करदाताओं के बीच के इंटरफेस को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया जाएगा ताकि किसी टैक्स पेयर्स को यह पता न चले कि कौन सा आयकर अधिकारी उसके आई-टी रिटर्न का आकलन कर रहा है। ऐसा करने से कर संग्रह में भ्रष्टाचार पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
मैंने रेल मंत्री पीयूष गोयल से पूछा कि क्या सरकार भारतीय रेलवे के प्राइवेटाइजेशन का इरादा रखती है तो इसपर उन्होंने साफ-साफ कहा कि रेलवे को प्राइवेटाइज करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। पीयूष गोयल का कहना है कि सरकार ने बजट में जो प्रोविजन्स किए हैं उससे इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिलेगी और जो सेक्टर्स इस वक्त परेशानी में हैं उन्हें राहत मिलेगी। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से रेलवे ट्रैक कंस्ट्रक्शन, रोलिंग स्टॉक के निर्माण और यात्रा माल सेवा को गति मिलेगी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भी संभाल रहे पीयूष गोयल ने एक्सपोर्ट के बारे में मुझे बताया कि कैसे वो इसके रास्ते में आने वाली रुकावटों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी का सपना देश के हर परिवार को घर, एलपीजी, बिजली, शौचालय और पाइप के माध्यम से जलापूर्ति प्रदान करना है। निस्संदेह यह चुनौती बहुत बड़ी है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में उज्जवला, उजाला, मुद्रा योजनाओं में उनकी सरकार की सफलता को देखते हुए, मुझे विश्वास है कि यह लक्ष्य निश्चित तौर पर प्राप्त किया जा सकता है। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 05 जुलाई 2019 का पूरा एपिसोड