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Rajat Sharma's Blog: अंडरग्राउंड जमात सदस्यों का पता लगाना एक बड़ी चुनौती

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के मुताबिक करीब 6 हजार तबलीगी जमात के कार्यकर्ता लापता हैं और इनका पता नहीं लगाया जा सका है। इनमें से कई इस खतरनाक वायरस के संभावित वाहक हो सकते हैं। क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने कहा, 13 मार्च से 15 मार्च तक मरकज में करीब 9 हजार लोग जमा हुए थे। 28 मार्च के बाद से 3,193 जमातियों का पता चल चुका है जबकि बाकी लापता हैं। 

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : April 14, 2020 17:39 IST
Rajat Sharma's blog: अंडरग्राउंड जमात सदस्यों का पता लगाना एक बड़ी चुनौती
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's blog: अंडरग्राउंड जमात सदस्यों का पता लगाना एक बड़ी चुनौती 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन मई तक लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के फैसले का भारत की जनता ने समर्थन किया है। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि इस बार लॉकडाउन का उल्लंघन करनेवालों के साथ पुलिस बहुत सख्ती करेगी। यह बहुत आवश्यक है। मैं आपको बताऊंगा ऐसा करना क्यों जरूरी है। भारत में कोरोना वायरस के मामले 10 हजार के आंकड़े को पार कर चुके हैं। यह साफ संकेत है कि सबसे बुरा दौर अभी आना बाकी है। इस आफत का असर कम हो सकता था अगर दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में बड़ी संख्या में लोग शामिल नहीं होते और यहां से निकलने के बाद ये लोग पूरे देश में इधर-उधर जाकर वायरस का फैलाव नहीं करते। 

आंकड़े यह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के कुल मामलों में 30 फीसदी मामले जमात से जुड़े हुए हैं। अगर आप इस आंकड़े में उनलोगों को भी जोड़ लें जो इनके संपर्क में आने पर संक्रमित हुए होंगे, तो यह आंकड़ा 55 से ऊपर चला जाता है। महाराष्ट्र में भी कोरोना वायरस के ज्यादातर मामले तबलीगी जमात के लोगों के संपर्क में आने से हुए। धारावी में भी जो पहली मौत हुई वह शख्स तबलीगी जमात के कार्यकर्ता के संपर्क में आकर कोरोना का शिकार हुआ था। इंदौर, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश में भी ठीक ऐसा ही हुआ । दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के कुल 356 पॉजिटिव मामले सामने आए जिनमें से 325 तबलीगी जमात से संबंधित थे। 

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के मुताबिक करीब 6 हजार तबलीगी जमात के कार्यकर्ता लापता हैं और इनका पता नहीं लगाया जा सका है। इनमें से कई इस खतरनाक वायरस के संभावित वाहक हो सकते हैं। क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने कहा, 13 मार्च से 15 मार्च तक मरकज में करीब 9 हजार लोग जमा हुए थे। 28 मार्च के बाद से 3,193 जमातियों का पता चल चुका है जबकि बाकी लापता हैं। 

 
केवल दिल्ली में ही पुलिस ने मस्जिदों और अन्य जगहों से करीब 900 जमातियों को पकड़ा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जमात के अंडरग्राउंड वर्कर अब अपने परिवारों के बीच छिपे हो सकते हैं और ऐसे में उनका पता लगा पाना बेहद मुश्किल काम होगा, क्योंकि उन्होंने अपने सेलफोन बंद कर दिए हैं।
 
तथ्य यह है कि 3,193 जमातियों में से अबतक 765 को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है और बाकी लोगों को क्वारंटीन में रखा गया है। दिल्ली के चांदनी महल में 13 मस्जिदों में छिपे हुए 185 जमात कार्यकर्ताओं में से 52 को पॉजिटिव पाया गया। 26 जमात कार्यकर्ता जिनमें से ज्यादातर बंगाल, असम और बांग्लादेश के थे, जहांगीरपुरी की दो मस्जिदों से पकड़े गए। अब आप जरा उस संख्या की कल्पना करें कि कितने लोगों के संपर्क में ये लोग आए होंगे। 

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जमात के उन कार्यकर्ताओं को जेल भेजना शुरू कर दिया है जो कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं। बहराइच में, इंडोनेशिया और थाईलैंड के 17 विदेशी जमात कार्यकर्ताओं को आइसोलेशन की 14 दिनों की अवधि पूरी होने के बाद वीजा नियमों के उल्लंघन के आरोप में जेल भेज दिया गया जबकि उनके साथ चार भारतीय जमात कार्यकर्ताओं को आइसोलेशन की अवधि पूरी होने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया। 

ऐसे समय में जब राज्य सरकारों को लापता जमात कार्यकर्ताओं का पता लगाने में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, सोमवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस मुद्दे को 'सांप्रदायिक' बना रहा है। मीडिया की रिपोर्टिंग से ऐसा लग रहा है कि कोरोना वायरस के मामले बढ़ाने में तबलीगी जमात का बड़ा हाथ है।  याचिका में यह आरोप लगाया गया कि तबलीगी जमात का नाम लेकर पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम किया जा रहा है। 

जमीयत ने मीडिया द्वारा रिपोर्टिंग करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, लेकिन भारत के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने यह कहते हुए कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया कि 'हम मीडिया को चुप नहीं करेंगे'। सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत को यह सलाह की कि वह प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को इस मुकदमेबाजी के लिए एक पार्टी बनाए, ताकि बाद में इस पर एक विस्तृत आदेश दिया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने एक सही फैसला लिया है और जमीयत इस फैसले पर सवाल नहीं उठा सकता है। मीडिया पर ऊंगली उठाने के बजाय,  यह उचित होगा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद को सलाह दे कि वे छिपे हुए जमात कार्यकर्ताओं से कोरोना वायरस टेस्ट के लिए बाहर आने का आह्वान करें। यह पूरी तरह से जमात के कार्यकर्ताओं, मुस्लिम समुदाय और राष्ट्र के हित में होगा।
 
जमीयत उलेमा के नेताओं को यह पता होना चाहिए कि अगर जमात के अंडरग्राउंड कार्यकर्ता बाहर नहीं आते हैं, और बाद में गिरफ्तार किए जाते हैं, तो सबसे पहले पुलिस उनका कोरोना वायरस टेस्ट करवाएगी। अगर जरूरी हुआ तो उन्हें इलाज के लिए भेज देगी और ठीक होने के बाद उन्हें जेल भेज सकती है।अभी भी उनके पास सामने आने, पुलिस को रिपोर्ट करने और सहयोग करने का समय है। (रजत शर्मा)

देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 13 अप्रैल 2020 का पूरा एपिसोड

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