हरियाणा के रेवाड़ी और पश्चिमी दिल्ली में शुक्रवार को हुई दो घटनाओं ने देश की अंतरआत्मा को झकझोर कर रख दिया।
पहली घटना में एक लड़की के साथ उसके गांव के ही तीन लड़कों ने सामूहिक बलात्कार किया। लड़की सीबीएसई की परीक्षा में अपने जिले की टॉपर रही थी और राष्ट्रपति ने उसे पुरस्कृत किया था। वह अपने कोचिंग क्लास के लिए जा रही थी जब इन युवकों ने झांसा देकर उसे नशीली दवा पिला दी और सुनसान जगह पर ले जाकर सामूहिक बलात्कार किया। इसके बाद इनलोगों ने लड़की को बदहाल अवस्था में बस स्टॉप पर छोड़ दिया और इस वारदात में शामिल एक लड़के ने लड़की के पिता को फोन कर उसे घर ले जाने के लिए कहा।
इस तरह की घटना मानवता पर कलंक हैं। हलांकि कुछ विपक्षी नेताओं ने इस पर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की लेकिन यह सच है कि ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। कोई सरकार या पुलिस ऐसी घटनाओं को नहीं रोक सकती जहां पीड़ित अपने जाननेवालों पर भरोसा करती है और बाद में वही लोग उसके साथ बलात्कार करते हैं। लड़की ने अपने गांव के युवकों पर भरोसा किया, लेकिन यदि आपके जानने वाले लोग, आपके आपपास रहने वाले ....गली मुहल्ले के लोग ऐसा करने लगें तो बेटियों के माता-पिता किस पर भरोसा करें? कई बार मुझे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताते हैं कि बलात्कार के ज्यादातर मामलों की जांच में आरोपी या तो घर वाले होते हैं या रिश्तेदार होते है...या फिर जान पहचान के लोग होते हैं। यह हमारे समाज के लिए बहुत चिंता की बात है।
दूसरी घटना पश्चिमी दिल्ली में हुई जो कि बेहद घृणित अपराध है। यहां, दिल्ली पुलिस के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के बेटे का एक वीडियो सामने आया जिसमें एक वीरान कॉल सेंटर के अंदर वह एक लड़की की बेरहमी से पिटाई कर रहा था। जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तत्परता दिखाते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर से कहा कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाए। पुलिसकर्मी के बेटे को घंटे भर के अंदर गिरफ्तार कर लिया गया। यह भी पता चला है कि इस अपराधी ने एक अन्य लड़की की भी पिटाई की थी और उसके साथ बलात्कार किया था।
इस अपराधी को उसके गुनाह की सजा तो मिलेगी, लेकिन उसकी काली करतूत की सजा उसका परिवार, उसके माता-पिता बेकसूर होते हुए भी भुगतेंगे। पूरे समाज में उनकी बदनामी हो रही है। एक वीडियो में हमने देखा कि पुलिसकर्मी अपने बेटे को डांट रहा था लेकिन बेटा अपने पिता के साथ ही बदतमीजी करता दिखाई दिया। इसका सीधा सा मतलब है कि अगर पिता अपने बेटे को बचपन से अनुशासन में रखते और उसे अच्छे-बुरे का फर्क बताते तो शायद आज उन्हें ये दिन नहीं देखना पड़ता। इस वीडियो को हमारे समाज में सभी माता-पिता को एक सबक के तौर पर लेना चाहिए। (रजत शर्मा)