संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर पिछले दो हफ्ते से राजपूत संगठन देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। फिल्म के निर्देशक और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को धमकियां दी जा रही हैं। टीवी स्टूडियोज में बहस हो रही है लेकिन इन सबके बीच एक चीज गायब है। जो लोग इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं या बहस कर रहे हैं उनमें से किसी ने फिल्म नहीं देखी है। मैंने शुक्रवार को पूरी फिल्म बारीकी से देखी। फिल्म देखते समय उन बातों को ध्यान में रखा जिसे लेकर विरोध किया जा रहा है। इस फिल्म को लेकर मेरे मन में कई सवाल थे। मैं भी राजस्थान का रहने वाला हूं। मेरे पूर्वज चित्तौड़ के हैं। चित्तौड़ के सुनहरे इतिहास के बारे में अच्छी तरह जानता हूं। महाराणा प्रताप और राणा सांगा की वीरगाथाएं सुनकर बड़ा हुआ हूं। क्षत्राणियों के शौर्य के बारे में जानता हूं। इसलिए फिल्म पद्मावती को लेकर मेरे मन में भी काफी उत्सुकता थी। पूरी फिल्म देखने के बाद में स्तब्ध था। फिल्म में न तो इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ की गई है और न ही राजूपतों के गौरव को ठेस पहुंचानेवाली कोई बात है।
राजपूत संगठन करणी सेना ने आरोप लगाया कि इस फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है और इससे राजपूतों के गौरवाशाली इतिहास को ठेस पहुंचती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस फिल्म में रानी पद्मावती को उस रूप में नहीं दिखाया गया जैसा कि इतिहास में वर्णन किया गया है। साथ ही अलाउद्दीन खिलजी को महान दिखाया गया है और महाराजा रतन सिंह को उनके सामने झुका हुआ दिखाया गया है। राजपूतों के बलिदान और उनके गौरव को नकारात्मक तौर पर दिखाया गया है।
मैं दावे से कह सकता हूं कि इस पूरी फिल्म को देखने के बाद कोई नहीं कह पाएगा कि इसमें एक भी डायलॉग, सीन, सिक्वेन्स या फिर पूरी फिल्म की थीम में कहीं कुछ ऐसा है जो हमारे राजपूती गौरवशाली इतिहास के खिलाफ हो। संजय लीला भंसाली ने पूरी रिसर्च करके फिल्म बनाई है। फिल्म बनाते वक्त हिन्दुस्तान के गौरव का ख्याल रखा है। हमारे शानदार इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। मुझे लगता है कि संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती महाराजा रतन सिंह की जाबांजी, महारानी पद्मावती का रणनीतिक कौशल, अदम्य साहस और बलिदान की कहानी है।
लोकेन्द्र सिंह कलवी राजपूत हैं और महाराजा रतन सिंह और रानी पद्मावती के वंशज हैं। अगर उन्होंने फिल्म के बारे इस तरह की बातें सुनी हैं तो उनका गुस्सा जायज है लेकिन उन्होंने फिल्म देखी नहीं है। उनका गुस्सा अफवाह पर आधारित है। शुक्रवार को पूरी फिल्म देखने के बाद मुझे पूर्वजों की बहादुरी और उनके बलिदान पर, अपने सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी ताकतवर अत्याचारी से लोहा लेने की हिम्मत पर गर्व हुआ। संजय लीला भंसाली की फिल्म में गौरवशाली राजपूती इतिहास से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
विरोध प्रदर्शनों के दौरान फिल्म में घूमर डांस पर आपत्ति जताई गई। इल्जाम यह लगाया कि फिल्म पद्मावती में राजस्थान की राजपूती संस्कृति को भद्दे ढंग से पेश किया गया है। राजूपत रानियां सार्वजनिक तौर पर ऐसा डांस नहीं करती हैं। फिल्म के प्रोमो में रानी पद्मावती को जिस तरह के कपड़े पहनकर नाचते हुए दिखाया गया है वैसा लिबास रानियों की दासियां पहनती हैं। जैसा डांस रानी पद्मावती को करते हुए दिखाया गया है वो दासियां करती थीं। सबसे बड़ी बात यह है कि राजस्थान में घूमर डांस नहीं होता। राजपूतानियां घूमर डांस नहीं करतीं। फिल्म में कालबेलिया जाति का नृत्य है जो रानी पद्मावती को करते हुए दिखाया गया है।
मैं भी राजपूती शान और संस्कृति से पूरी तरह वाकिफ हूं। मैं भी यह जानता हूं कि राजपूत रानियां सबके सामने खुलेआम डांस नहीं करतीं। लेकिन इस बात से तो सब सहमत होंगे कि रनिवास में रानियां डांस करती थीं जहां सिर्फ महिलाएं होती थीं, रानियों की सहेलियां होती थीं। वहां किसी पुरूष को जाने की इजाजत नहीं होती थी। सिर्फ राजा बैठकर डांस देख सकते थे। फिल्म पद्मावती में यही दिखाया गया है। प्रोमो देखकर ऐसा लग सकता है कि रानी किसी सार्वजनिक जगह पर डांस कर रहीं हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। रानी पद्मावती को महल के अंदर रनिवास में डांस करते हुए दिखाया गया है जहां केवल महिलाएं ही इस डांस को देख सकती थीं।
मैं उन लोगों की भावनाओं को समझता हूं जिन्हें इस फिल्म से ठेस पहुंची है लेकिन उनका गुस्सा केवल अफवाह पर आधारित है। मेरी अपील है कि राजपूत भाई और बहनें एकबार इस फिल्म को देख लें उसके बाद फैसला करें। मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि वे सिनेमा हॉल से अपने सिर को ऊंचा उठाकर पूरे गर्व के साथ बाहर निकलेंगे। इस फिल्म को देखने के बाद देश को राजपूतों की बहादुरी और उनके बलिदान के बारे में पता चलेगा। मैं यह कह सकता हूं कि जो लोग भी अभी विरोध कर रहे हैं वे लोग इस फिल्म को देखने के बाद यह महसूस करेंगे कि संजय लीला भंसाली, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, शाहिद कपूर समेत इस फिल्म से जुड़े सभी लोगों के प्रति उनकी जो भावनाएं रहीं वह सही नहीं थीं।
मैं राजपूत समाज से अपील करता हूं कि वे अपने समाज के पांच सम्मानित सदस्यों को चुन लें, जैसे महाराजा गज सिंह या मेवाड़ के महाराजा अरविंद सिंह या अन्य कोई नेता। मैं भंसाली से यह आग्रह करूंगा कि वह इन लोगों की मौजूदगी में विशेष तौर पर फिल्म को दिखाएं। मुझे विश्वास है कि ये लोग फिल्म देखने के बाद राजपूतों के गौरवशाली इतिहास, वीरता और उनके बलिदान के सही चित्रण पर खुश होंगे। (रजत शर्मा)