गुजरात के साबरकांठा में ठाकोर जाति की 14 महीने की बच्ची से बलात्कार की घटना के बाद बिहार और यूपी के लोगों पर हमले हुए, जिसके कारण करीब 15 हजार प्रवासी मजदूर वहां से पलायन कर चुके हैं। बिहार और यूपी के मजदूरों को ठाकोर सेना से जुड़े स्थानीय गुंडों ने राज्य छोड़ने की धमकी दी और कई मामलों में इन निर्दोष मजदूरों के साथ मारपीट की गई, जिसके चलते ये पलायन के लिए मजबूर हुए।
इस पलायन से स्थानीय उद्योगों खासतौर से सिरैमिक (चीनी मिट्टी) उद्योग को जहां बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर काम करते हैं, भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है। इन औद्योगिक इकाइयों में काम करनेवाले हिंदी राज्यों के मजदूरों को अच्छा मेहनताना मिलता था और यही लोग गुजरात के असली एंबैसडर्स थे। ये लोग जब अपने राज्य बिहार और यूपी में वापस जाते तो लोगों को बताते थे कि गुजरात कितना शांतिप्रिय प्रदेश है और वहां कितनी अच्छी कमाई होती है।
लेकिन राजनीतिक लाभ उठाने और अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में कुछ नेताओं ने इस शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ दिया। ये नेता समाज के दुश्मन हैं। कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर, ठाकोर समुदाय के नेता के तौर पर अपने नए 'अवतार' में बचाव के कितने भी तर्क दे सकते हैं कि जिस वीडियो में उनका भड़काऊ भाषण दिखाया जा रहा है वह बलात्कार की इस घटना से 20 दिन पहले हुई मीटिंग का है। उनकी दलील सही हो सकती है लेकिन इस भड़काऊ भाषण से नफरत और घृणा का माहौल बना और बच्ची के साथ बलात्कार की घटना ने आग में घी डालने का काम किया। अल्पेश ठाकोर के समर्थकों ने बिहार और यूपी के निर्दोष मजदूरों से मारपीट कर हालात को बिगाड़ दिया जिससे बड़ी संख्या में लोग पलायन करने लगे।
गुजरात, बिहार और यूपी के समाज के सभी वर्गों से मैं अपील करना चाहता हूं कि वे तसल्ली से रहें और गुजरात में सामान्य स्थिति बहाल होने में मदद करें। इस प्रकार की संकीर्णता और प्रांतीयता की भावना से किसी समस्या का समाधान नहीं होगा। (रजत शर्मा)