यूपी का एक गैंगस्टर लखनऊ के एक व्यापारी का अपहरण करवाता है और उसे देवरिया जेल में अपने बैरक में लाता है जहां उसके गुंडे उस व्यापारी की जमकर पिटाई करते हैं, यह हमारी जेल व्यवस्था के जड़ तक फैली सड़ांध का ऐसा उदाहरण है जिससे लोगों को जगना चाहिए। कोई इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता कि एक गैंगस्टर पूरे जेल प्रशासन को इस तरह से हाईजैक कर लेगा। इससे पहले हम ये देख चुके हैं कि कैसे कुछ जेलों में गैंगस्टर वीआईपी सुविधाएं पाते हैं और अपने बैरक में पार्टियां करते हैं। लेकिन ये घटना तो सारी हदें पार गई।
अब आपको पूरी घटना तफसील से बताते हैं। समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद और इलाहाबाद के गैंगस्टर अतीक अहमद हत्या समेत कई अन्य जघन्य अपराध के केस में देवरिया जेल में बंद था। 26 दिसंबर को अतीक ने लखनऊ के रीयल इस्टेट व्यापारी मोहित जायसवाल का अपहरण करवा लिया और उसे उसी दिन देवरिया जेल ले आया जहां उसके गुंडों ने जेल स्टाफ और अन्य कैदियों के बीच मोहित की बुरी तरह पिटाई की।
मोहित जायसवाल के मुताबिक उससे ब्लैंक पेपर और चेक पर जबरन हस्ताक्षर कराए गए, और उसकी ऊंगलियां तोड़ दी गईं। उसने आरोप लगाया कि जब बेरहमी से उसकी पिटाई की जा रही थी उस दौरान पुलिसकर्मी और जेल स्टाफ चुपचाप तमाश देखते रहे। गैंगस्टर ने उसे यह चेतावनी देकर छोड़ा कि या तो पैसे दो या फिर मौत का सामना करो।
अतीक के चंगुल से निकलकर व्यापारी पुलिस के पास पहुंचा जहां उसने एफआईआर दर्ज कराई जिसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में यह मामला आया। मोहित जायसवाल ने पुलिस को वह ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मुहैया कराई जिसमें किडनैपिंग से पहले फोन पर अतीक से उसकी बात हुई थी। इस ऑडियो में अतीक मोहित को ये धमकी दे रहा है कि वह उसके पूरे परिवार को खत्म कर देगा।
व्यापारी के मुताबिक दो साल पहले अतीक अहमद ने धन उगाही का दबाव बनाया था। डर के कारण पीड़ित मोहित ने उस समय रुपये दे दिए थे। दो महीने पहले अतीक के दो गुंडों ने एकबार फिर उससे जबरन वसूली का दबाव बनाया लेकिन उसने पैसे देने से मना कर दिया। इसके बाद इन दोनों ने मोहित के ऑफिस पर कब्जा कर लिया। मोहित और उसकी बहन के 'डिजिटल हस्ताक्षर' लेकर जबरन कंपनी में अपना नाम लिखवा लिया।
रविवार को देवरिया के डीएम और एसपी दो सौ से ज्यादा पुलिसकर्मियों के साथ जेल पहुंचे और सबूत की तलाश में कोने-कोने की तलाशी ली। चौंकाने वाली बात ये थी कि जिस वक्त जेल पर छापे मारे गए उस वक्त जेल के सीसीटीवी कैमरे काम कर रहे थे, लेकिन जब पुरानी फुटेज खंगाली गई तो पता चला कि जिस वक्त कारोबारी को जेल में लाकर पिटाई करने की बात कही जा रही है, उस वक्त की फुटेज गायब है। डीएम ने बताया कि जेल में सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग से छेड़छाड़ हुई है। डिप्टी जेलर, हेड वार्डन और दो अन्य जेल कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है और अतीक अहमद को देवरिया से बरेली जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। जेलर का ट्रांसफर किया गया है और कुछ अन्य जेल कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जा रही है।
अतीक अहमद चाहे जेल में रहे या घर में, उनका काम है...गुंडागर्दी, लूटपाट, वसूली और हत्या। कहने को ये नेता भी हैं। विधायक और सासंद भी रह चुके हैं। पहले ये समाजवादी पार्टी में थे और फिर बीएसपी में शामिल हो गए। फूलपुर का उपचुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था, लेकिन हार गए।
अतीक अहमद जब 17 साल के थे तो उनके खिलाफ पहला केस दर्ज हुआ और मामला भी कोई मारपीट का नहीं बल्कि हत्या का था। गैंगस्टर एक्ट के तहत एक दर्जन से ज्यादा केस अतीक अहमद के खिलाफ दर्ज हैं। जेल के अंदर जाने के बाद भी अतीक का धंधा बंद नहीं हुआ। अपना नेटवर्क चलाए रखने के लिए उसने जेल कर्मचारियों की मदद ली। ये बात हैरान करने वाली है कि एक गैंगस्टर ने जेल में रहकर व्यापारी का अपहरण कराया, उसके बाद व्यापारी को जेल लाया गया और गैंगस्टर के सामने पिटाई की गई। यह पूरी घटना हमारी व्यवस्था की सड़ांध के बारे में बहुत कुछ बयान करती है। हमें इसपर विचार करना चाहिए। (रजत शर्मा)