क्रिकेटर श्रीसंत को मैच फिक्सिंग के सभी आरोपों से दिल्ली सेशन कोर्ट ने मुक्त कर दिया है। 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस में नाम आने के बाद बीसीसीआई ने श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। अगस्त में केरल हाईकोर्ट ने बीसीसीआई को आदेश दिया कि वह श्रीसंत पर लगाए गए आजीवन प्रतिबंध हटा ले लेकिन बीसीसीआई ने इसी हाईकोर्ट में सिंगल बेंच जज के आदेश के खिलाफ अपील फाइल की। बोर्ड ने अपनी अपील में हाईकोर्ट से कहा कि वह केवल इस तथ्य के आधार पर श्रीसंत से बैन नहीं हटा सकता कि उसे दिल्ली सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया है। 2013 में गिरफ्तारी के तुरंत बाद से श्रीसंत को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहना पड़ा और तभी से उन्हें क्रिकेट के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। अब वे 34 साल के हो गए हैं। इंडिया टीवी के साथ एक इंटरव्यू में श्रीसंत ने कहा, 'मैं कोई भीख नहीं मांग रहा हूं, मैं केवल अपनी आजीविका वापस चाहता हूं। लोग जानते हैं कि मैं किस तरह का क्रिकेट खेलता हूं और मैं किस तरह का क्रिकेटर हूं।'
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यह बात सही है कि एक घटना से श्रीसंत का पूरा करियर बर्बाद हो गया। पूरी दुनिया में उनकी बदनामी हुई। यह भी सही है कि केरल हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया। मतलब यह कि पुलिस श्रीसंत के खिलाफ इल्जामात को अदालत में साबित नहीं कर पाई। अब श्रीसंत का करियर तो कोई नहीं लौटा सकता। जो बदनामी हुई उसकी भरपाई नहीं हो सकती लेकिन यह पता लगाना जरूरी है कि अगर श्रीसंत बेगुनाह हैं तो उनके खिलाफ साजिश रचने वाले पुलिस अफसर कौन थे? वो कौन लोग थे जो क्रिकेट के दुश्मन थे जिन्होंने श्रीसंत को तबाह कर दिया? (रजत शर्मा)