प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर यह कहते हुए तंज कसा कि यदि प्रधानमंत्री का पद नीलामी के माध्यम से उपलब्ध होता, तो वह उस विकल्प की भी कोशिश करतीं, लेकिन दिक्कत यह है कि इस पद की नीलामी नहीं होती। मोदी ने यह बात आसनसोल में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कही, जहां से केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो दोबारा चुनाव जीतने के लिए जोर लगा रहे हैं।
ठीक उसी दिन ममता बनर्जी ने मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती पर खुलकर आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि अर्धसैनिक बलों के अधिकारी मतदाताओं से भारतीय जनता पार्टी को वोट देने के लिए कह रहे हैं। उनके आरोपों का सत्यापन होना अभी बाकी है, लेकिन उनके ये आरोप साफतौर पर पश्चिम बंगाल के संभावित लोकसभा परिणामों के बारे में उनकी बेचैनी को जाहिर करते हैं।
प्रधानमंत्री की रैलियों में भारी भीड़ का जुटना एक आम बात है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले बीरभूम और बर्धमान जैसे इलाकों में भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी रैलियों में जबर्दस्त भीड़ का दिखाई देना हैरान करता है। बंगाल के ग्रामीण इलाकों के वोटरों के मूड में बदलाव साफ नजर आ रहा है।
आपको याद होगा कि 2014 में जब देश के बाकी हिस्सों में मोदी लहर की धूम थी तब बंगाल में इसका शायद ही कोई असर पड़ा हो। इस सूबे के बीजेपी खेमे को शायद ही कोई उम्मीद थी, और न ही ममता ने इस पार्टी को अपने लिए चुनौती माना था। अंत में बीजेपी इस सूबे की 42 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 2 पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। लेकिन पिछले 5 सालों में मोदी और अमित शाह, दोनों ने बंगाल में बीजेपी की चुनावी मशीनरी का विस्तार करने के लिए कड़ी मेहनत की, और अब नतीजे भी दिखाई दे रहे हैं। बीजेपी के झंडे अब बंगाल के अंदरूनी इलाकों में लोग अपने घरों की छतों पर फहराते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता अब मानते हैं कि बंगाल और कुछ हद तक ओडिशा उत्तर भारतीय राज्यों में पार्टी को हुए किसी भी चुनावी नुकसान की भरपाई करने में सक्षम है। बंगाल में पिछले पंचायत चुनावों के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं को मतदान केंद्रों तक पहुंचने से रोक दिया था। इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है। चुनाव आयोग बंगाल में 7 चरणों में मतदान करवा रहा है। यहां प्रत्येक चरण में 4 से 5 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव हो रहे हैं। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है और अभी तक सभी चरणों में भारी मतदान हुआ है। इसके चलते ममता बनर्जी के खेमे में चिंता पसर गई है।
पड़ोसी राज्य ओडिशा में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव साथ-साथ हो रहे हैं। यहां मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल सूबे में लगातार पांचवी बार सत्ता हासिल करने के लिए लड़ रही है। पटनायक पिछले 19 सालों से सत्ता में हैं और वह काफी लोकप्रिय भी हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजू जनता दल ने 21 में से 20 सीटें जीती थीं। बाकी की एक सीट बीजेपी के हिस्से आई थी।
ओडिशा में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस कमजोर हो गई है और अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल हावी है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपनी सेहत को लेकर भी थोड़े परेशान हैं और ऐंटी-इनकम्बैंसी तो है ही। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने गरम लोहे पर वार करने का फैसला किया है। उन्होंने मंगलवार को नवीन पटनायक का नाम लिया और कहा कि वह सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं पर किए गए हमलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। जाहिर है मोदी के पास ओडिशा की राजनीतिक जमीन पर कब्जा करने का यह अच्छा मौका है। इसका फैसला होना अभी बाकी है। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 23 अप्रैल 2019 का पूरा एपिसोड